जब हम क्रेडिट कार्ड की बात करते हैं तो सबसे पहले इसकी लिमिट के बारे में चर्चा होती है. आखिर क्या होती है क्रेडिट लिमिट और कैसे तय होती है? इस बारे में बहुत से लोग उलझन में रहते हैं. दरअसल, क्रेडिट लिमिट वह लिमिट होती है जिसके बराबर क्रेडिट कार्ड होल्डर अपने कार्ड से अधिकतम खर्च कर सकता है. यह लिमिट बैंकों और वित्तीय संस्थानों की तरफ से तय की जाती है और हर क्रेडिट कार्ड पर एक समान नहीं होती है. क्रेडिट कार्ड पर लाभ और विशेषताओं के आधर पर ही क्रेडिट लिमिट तय होती है.
क्या हैं मानक?
क्रेडिट लिमिट तय करने का कोई सटीक पैमाना नहीं है क्योंकि बैंक को लिमिट तय करने का अधिकार होता है. ऐसे में क्रेडिट कार्ड पर दी जाने वाली क्रेडिट लिमिट का अंदाजा लगाना कई बार मुश्किल होता है. फिर भी कई ऐसे मानक होते हैं जिन्हें देखकर बैंक क्रेडिट कार्ड की लिमिट तय करता है. इनमें मानकों में आपकी मासिक कमाई, खर्चे और वित्तीय दायित्व शामिल होते हैं. क्रेडिट लिमिट तय करने से पहले बैंक कुछ कागजात की जांच करके आपकी वित्तीय सेहत की जानकारी हासिल करता है. इनमें आपकी सैलरी स्लिप, आईटीआर, बैंक स्टेटमेंट, और क्रेडिट रिपोर्ट प्रमुख रूप से शामिल होते हैं. इस कवायद के बाद बैंक आपकी कर्ज और कमाई के रेश्यो की गणना करेगा. क्रेडिट लिमिट तय करते समय कमाई और खर्च के रेश्यो को ध्यान में रखा जाता है.
शुरुआत में यह लिमिट आपकी शुद्ध मासिक आय का चार गुना तक हो सकती है. अगर आपका लेनदेन अच्छा है तो बैंक समय-समय पर आपकी क्रेडिट लिमिट बढ़ाने का ऑफर देगा लेकिन आपको अपनी जरूरत के हिसाब से यह ऑफर स्वीकार करना चाहिए. कर्ज के जाल में फंसने से बचने के लिए अपनी क्रेडिट लिमिट सीमित दायरे में ही रखें.