देश में कर्ज लेकर खर्च करने की प्रवृत्ति तेजी से बढ़ रही है. जहां एक तरफ क्रेडिट कार्ड का कारोबार बढ़ रहा है, क्रेडिट कार्ड से किया जाने वाला खर्च बढ़ रहा है, दूसरी तरफ क्रेडिट कार्ड के बिल पेमेंट में डिफॉल्ट के मामले भी बढ़ रहे हैं.
अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट में ये जानकारी दी गई है. रिपोर्ट में रिजर्व बैंक (RBI) के आंकड़ों का हवाला दिया गया है. रिजर्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक वित्त वर्ष 2021-22 की तुलना में बीते वित्त वर्ष यानी वित्त वर्ष 2022-23 में क्रेडिट कार्ड के कुल नॉन-परफॉर्मिंग एसेट (NPA) में 30.46% की वृद्धि हुई. जहां वित्त वर्ष 2021-22 में ये आंकड़ा 3,122 करोड़ रुपए का था, वहीं बीते वित्त वर्ष में यह बढ़कर 4,073 करोड़ रुपए हो गया.
रिजर्व बैंक (RBI) बैंकिंग सिस्टम में बढ़ते अनसिक्योर्ड लोन को लेकर बैंकों के सामने चिंता जता चुका है. क्रेडिट कार्ड का जमकर इस्तेमाल किया जा रहा है, लोग जमकर क्रेडिट कार्ड ले रहे हैं. क्रेडिट कार्ड की वजह से बैंकिंग सिस्टम में अनसिक्योर्ड लोन का आंकड़ा भी बढ़ा सकता है.
कितना बढ़ा बकाया?
अनसिक्योर्ड लोन का मतलब उस लोन से है जो बिना किसी संपत्ति को गिरवी रखे दिया जाता है.
यानी इस लोन के लिए आपको कुछ गिरवी नहीं रखना पड़ता. रिजर्व बैंक के आंकड़े के मुताबिक वित्त वर्ष 2022-23 के अंत तक लोगों का क्रेडिट कार्ड का कुल 1.94 लाख करोड़ रुपए का बिल बकाया था. इससे पिछले वित्त वर्ष (2021-22) के अंत में ये आंकड़ा 1.48 लाख करोड़ रुपए का था, यानी क्रेडिट कार्ड के बकाया बिल में 31% से ज्यादा की वृद्धि देखी गई. इसी तरह क्रेडिट कार्ड की संख्या भी 7.52 करोड़ से बढ़कर 8.53 करोड़ हो गई. मई 2023 के अंत में देश में क्रेडिट कार्ड की कुल संख्या 8.77 करोड़ थी.
रिजर्व बैंक ने अपनी एक रिपोर्ट में क्रेडिट कार्ड के कारोबार को लेकर भी चिंता जताई है. केंद्रीय बैंक ने अपनी वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट (Financial Stability Report) में कहा है कि वित्त वर्ष 2022-23 में क्रेडिट कार्ड से जुड़े सरकारी बैंकों का कुल एनपीए (NPA) 18% था जबकि निजी बैंकों के मामले में आंकड़ा 1.9% था.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
पर्सनल फाइनेंस एक्सपर्ट जितेन्द्र सोलंकी कहते हैं कि आजकल युवा वर्ग क्रेडिट कार्ड से क्षमता से अधिक खर्च कर रहा है. यहां तक कि क्रेडिट कार्ड के जरिए कैश की निकासी भी की जा रही है जिस पर शुल्क के अलावा भारी ब्याज लगता है. अगर कोई व्यक्ति एक बार भुगतान से चूक जाता है तो फिर उसे चुकाना मुुश्किल हो जाता है. क्रेडिट कार्ड पर डिफॉल्ट बढ़ने की सबसे बड़ी वजह है इसका क्षमता से ज्यादा इस्तेमाल करना. सोलंकी कहते हैं कि जिस तरह से क्रेडिट कार्ड का बेजा इस्तेमाल किया जा रहा है, इससे आने वाले दिनों में इसके कर्ज के डिफॉल्ट में और तेज वृद्धि देखी जा सकती है.
कैसे बनता है एनपीए? यूजर पर क्या होता है इसका असर?
क्रेडिट कार्ड का बिल अमाउंट तब एनपीए बन जाता है जब कोई यूजर न्यूनतम बकाया राशि देय तारीख के 90 दिनों के भीतर भुगतान नहीं करता है. क्रेडिट कार्ड धारकों के लिए भी ये अच्छा नहीं है क्योंकि इससे उसका क्रेडिट स्कोर खराब हो जाता है. इस वजह से उसे बाद में लोन लेने में बहुत दिक्कत आ सकती है. डिफॉल्ट करना जेब पर भी काफी भारी पड़ सकता है क्योंकि डिफॉल्ट करने पर बैंक बकाया राशि पर 38 से 42% का ब्याज लगाते हैं.