बैंकों को देश के प्राथमिकता वाले क्षेत्रों को सस्ता लोन मुहैया कराने का लक्ष्य दिया जाता है. इसमें कृषि क्षेत्र प्रमुख हैं. लेकिन बैंक किसानों को बड़ा लोन देने के एवज में सोना मांग रहे हैं. कृषि भूमि गिरवी रखने पर लोन नहीं दिया जा रहा. इस वजह से देश में सबसे बड़े सरकारी बैंक (SBI) और बैंक ऑफ बड़ौदा (BoB) जैसे बैंक धीरे-धीरे एग्रीकल्चर यानी कृषि गोल्ड लोन का दायरा तेजी से बढ़ रहा है.
दरअसल, कृषि ऋण के लक्ष्य को पूरा करने के लिए बैंक एग्री गोल्ड लोन पर ज्यादा फोकस कर रहे हैं. हालांकि किसानों को यह कर्ज पर्सनल लोन की तुलना में काफी सस्ता मिल जाता है लेकिन बैंक इसे लोन को कृषि कार्य के लिए ही देते हैं. ज्यादातर बैंक एग्री गोल्ड लोन पर 8 से 9 फीसद तक का ब्याज वसूल रहे हैं. सुरक्षित लोन होने की वजह से इसके डूबने का जोखिम नहीं होता. यही वजह है कि वित्त वर्ष 2023 में एसबीआई के एग्रीकल्चर गोल्ड लोन पोर्टफोलियो में अच्छी वृद्धि देखी गई. यह31 मार्च, 2023 तक 83,000 करोड़ रुपए हो गया, जो 31 मार्च 2022 को 73,600 करोड़ रुपए था.
दूसरे प्रमुख सरकारी बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा (BoB) के भी एग्रीकल्चर गोल्ड लोन पोर्टफोलियो में इजाफा देखने को मिला है. यह मार्च 2022 तक 27,459 करोड़ रुपए था जो मार्च 2023 तक बढ़कर 35,829 करोड़ रुपए हो गया. इसमें करीब 30.47 फीसद की बढ़ोतरी हुई है. बैंक ऑफ बड़ौदा की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार कुल कृषि लोन में एग्रीकल्चर गोल्ड लोन का योगदान वित्त वर्ष 2023 में 28.49 फीसद बढ़ गया है. यह वृद्धि वित्त वर्ष 2022 में 25.14फीसद और वित्त वर्ष 2021 में 22.30 फीसद रही थी.
क्यों बढ़ रही एग्री गोल्ड लोन की डिमांड?
किसानों की सहूलियत के लिए वैसे तो किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) योजना चलाई जाती है. इसके तहत बैंकों की ओर से किसानों को बीज, उर्वरक, कीटनाशक आदि कृषि से जुड़े उत्पाद खरीदने के लिए नकदी निकालने की सुविधा दी जाती है. लेकिन केसीसी की लिमिट सीमित होती है. इस वजह से किसानों की जरूरतें पूरी नहीं हो पाती है जिसके चलते वह सोना गिरवी रखकर खेती के लिए एग्रीकल्चर लोन लेते हैं. लेकिन केसीसी पर लोन की लिमिट तीन लाख रुपए तक होती है. यह लोन सात फीसद ब्याज पर मिल जाता है. अगर किसान इस लोन को एक साल के भीतर लौटा देता है तो इसके ब्याज पर सरकार की ओर से तीन फीसद की सब्सिडी मिलती है. कुछ किसानों का केसीसी से काम नहीं चलता है. इसलिए एग्री गोल्ड लोन की डिमांड बढ़ रही है.
बैंकों के लिए कैसे है फायदेमंद?
पूर्व बैंक केबी सिंह कहते हैं कि बैंकों के लिए, कृषि गोल्ड लोन की वसूली आसान है. अगर कोई किसान लोन का भुगतान नहीं कर पाता है तो गिरवी रखे सोने को नीलाम करके वसूली कर ली जाती है जबकि सामान्य कृषि ऋण में वसूली प्रक्रिया लंबी हो सकती है. क्योंकि गिरवी रखी गई जमीन पर सुरक्षा प्रावधानों को लागू करना आसान नहीं होता. इस प्रक्रिया में राज्य सरकार का भी दखल होता है. इस वजह से बैंकों के लिए एग्री गोल्ड लोन ज्यादा सुरक्षित होता है.