क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (RRB) के लिए अब एजुकेशन लोन (Education Loan) देना और आसान हो जाएगा. सरकार अब लगभग 30 क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को क्रेडिट गारंटी फंड स्कीम (CGFS) योजना से जोड़ने पर विचार कर रही है. यानी अब ग्रामीण क्षेत्रों के छात्रों को एजुकेशन लोन लेने में सुविधा होगी.
ग्रामीण बैंकों को एकीकृत करने की पहल
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, एक सरकार अधिकारी ने बताया कि यह क्षेत्रीय बैंकों को और अधिक एकीकृत करने की दिशा में बड़ा कदम है. उम्मीद है कि ग्रामीण बैंक अब इच्छुक छात्रों को आसानी से लोन दे सकेंगे. इतना ही नहीं, इससे ग्रामीण बैंकों को कमर्शियल बैंकों के समांतर आने का मौका मिलेगा.
एजुकेशन लोन में आई कमी
सरकार चाहती है उच्च शिक्षा के लिए ज्यादा से ज्यादा विद्यार्थियों को कर्ज मिले. इसके विपरीत भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के आंकड़े बताते हैं शिक्षा लोन बांटने में गिरावट आई है. आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2020-21 में एजुकेशन लोन घटकर 18,350.83 करोड़ रुपए और 2021-22 में, 17,715.33 करोड़ रुपए रह गया जबकि 2019-20 में यह आंकड़ा 18,553.46 करोड़ रुपए था.
क्रेडिट गारंटी फंड स्कीम
दरअसल, शिक्षा ऋण देने से पहले बैंक उसकी वापसी सुनिश्चित करते हैं. औपचारिकताएं पूरी न कर पाने की वजह से बड़ी संख्या में जरूरतमंदों को लोन नहीं मिल पाता. इस समस्या को दूर करने के लिए केंद्र सरकार ने वर्ष 2015 में जरूरतमंदों को शिक्षा ऋण मुहैया कराने के लिए क्रेडिट गारंटी फंड स्कीम (CGFS) शुरू की थी. इस योजना के तहत अगर कर्ज डूबता है तो सरकार उसकी गारंटी लेती है. यह गारंटी मिलने के बाद बैंक बिना किसी जमानत के 7.5 लाख रुपए तक का लोन दे देते हैं.
CGFS के अंतर्गत हैं ये आरआरबी
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ग्रामीण बैंकों के प्रदर्शन और उनकी वित्तीय ताकत तय करेगी कि उन्हें इस योजना से जोड़ा जाए या नहीं. वर्तमान में, 21,856 शाखाओं के साथ, कुल 43 क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक हैं जो 12 सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों से समर्थित हैं. अभी सीजीएफएस के अंतर्गत आने वाले कुछ आरआरबी में त्रिपुरा ग्रामीण बैंक, सप्तगिरी ग्रामीण बैंक और सौराष्ट्र ग्रामीण बैंक शामिल हैं.
सस्ता हो सकता है शिक्षा लोन
बैंकर्स को यह उम्मीद है कि इस कदम से आरआरबी एजुकेशन लोन पर ब्याज दर को कम करने में सक्षम होंगे क्योंकि उन्हें गारंटी कवर मिलेगा. इसके साथ ही, आरआरबी को क्रेडिट गारंटी फंड के दायरे में लाने से सार्वजनिक बैंकों पर दबाव कम होगा और उन्हें खराब ऋणों को कम करने में मदद मिल सकती है. बता दें कि एजुकेशन लोन में फंसा कर्ज (एनपीए) 2021-22 में 7.28 लाख करोड़ रुपए था.