Investment Planning: इन्वेस्टमेंट की प्लानिंग कार चलाने जैसा है. आप जब कार में बैठते हैं तो आप जानते हैं कि आपकी मंजिल कहां है. वहां पहुंचने के लिए ऊबड़-खाबड़ शॉर्ट-कट लेंगे या फिर सीधी सपाट मेन रोड से निकलेंगे?
शॉर्ट-कट में खराब रास्ता मिलने का रिस्क है. लंबे रास्ते पर सड़क बेहतर है, लेकिन ट्रैफिक मिल सकता है. कहां पहुंचना है , कब तक पहुंचना है और वहां पहुंचने के लिए कौन सा रास्ता सही होगा- इन्हीं तीन सवालों का जवाब आपको अपने निवेश के साथ भी देना होगा.
लक्ष्य आधारित निवेश
लक्ष्य तय करके उसके आधार पर निवेश चुनने को कहा जाता है लक्ष्य आधारित निवेश. SEBI रजिस्टर्ड इन्वेस्टमेंट एडवाइजर अमित कुकरेजा के मुताबिक, आप जब जानते हैं कि आपकी मंजिल कहां है और उस मंजिल तक पहुंचने के लिए आप कितना समय दे सकते हैं तो निवेश से जुड़े फैसले आसान हो जाते हैं.
हो सकता है कि आप पैसे इसलिए निवेश कर रहें हों कि आपको तीन सील बाद कार खरीदनी हो या 8 साल बाद आप अपनी शादी के लिए पैसा इकठ्ठा कर रहें हों.
रिस्क लेने की क्षमता को समझें
हर निवेश के पहले ये समझना जरूरी है कि आप अपने पैसे के साथ कितना रिस्क ले सकते हैं? इसकी मतलब है कि आपको इन पैसों की जरूर कम समय में होगी या लंबे समय में.
अमित कुकरेजा की सलाह है कि अगर 3 साल की छोटी अवधि में पैसे वापस चाहिए तो Fixed Deposit और रेकरिंग डिपॉजिट या शॉर्ट-टर्म लिक्विड फंड में निवेश कर सकते हैं.
वहीं, अगर आपका लक्ष्य 5 साल का है तो इंडेक्स से जुड़े म्यूचुअल फंड एक विकल्प हो सकते हैं. और अगर 8-10 साल से ज्यादा लंबे समय के लिए निवेश कर रहें हैं तो बड़ी कंपनियों यानी कि लार्ज कैप इक्विटी म्यूचूअल फंड में निवेश कर सकते हैं.
SEBI रजिस्टर्ड इन्वेस्टमेंट एडवाइजर अमित कुकरेजा से पूरी बातचीत इस वीडियो में-