रिटायरमेंट की जिंदगी बहुत मजेदार हो सकती है, यहां तक की लंबे समय से सोचे गए बहुत से प्लान्स आप इस वक्त में पूरे कर सकते हैं पर वो सब तभी हो पाएगा जब आप ने बहुत पहले से इसके लिए योजना बनाई हो. रिटायरमेंट के लिए प्लान बनाते वक्त लोग बहुत सी गलतियां करते हैं, उनमें से 3 गलतियों पर नजर डालते हैं.
हम सभी को पता है की जिंदगी में रिटायरमेंट के उस वक्त को कोई टाल नहीं सकता. सभी को हमेशा लगता है कि रिटायरमेंट के लिए अभी बहुत समय बाकी है और इसलिए ये प्लान आपकी लिस्ट में सबसे पीछे होता है. हर बार, हम ऐसे ग्राहकों से मिलते हैं जिन्होंने इस काम को कई बार टाल दिया है. ऐसी स्थिति में कुछ ही सालों के अंदर बचत बढ़ाने की जरूरत होती है. उतना ही रिस्क उठाएं जितना आप उठा सकने की क्षमता रखते हैं.
हम में से ज्यादातर लोग “कंपाउंडिंग” के जादू को समझते हैं, लेकिन इस जादू को देखने के लिए सबसे जरूरी इनपुट है समय. इसलिए रिटायरमेंट के लिए निवेश जल्दी शुरू करना जरूरी है, भले ही कम रकम के साथ शुरू करें पर एक ऐसी रकम जुटाएं जो सिर्फ रिटायरमेंट के लिए बनाई गई योजना में लगानी हो. इसमें नियमित तौर पर निवेश की मात्रा बढ़ाकर प्लान किया जा सकता है. शुरू करने के लिए कभी भी देर नहीं होती है और अगर आपने इसे अभी तक नहीं किया है, तो बस फिर देर ना करें. इन गलतियों से बचें
जब आप प्रतिशत में बात करते हैं तो इन्फ्लेशन आपको बहुत डरावना नहीं लगेगा पर जब आप इसे कम आंकते हैं तो ये आपके लंबे प्लान को नुकसान पहुंचा सकता है. एक बुनियादी नियम के तौर पर आपका खर्च हर दस साल में 7% की मुद्रास्फीति के हिसाब से दोगुना हो जाएगा. मान लें अगर आपका महीने का आज का खर्च 1 लाख है तो अगले 10 सालों में ये 2 लाख हो जाएगा और 20 सालों में 4 लाख. और यही आपके रिटायरमेंट और बाकी जिंदगी तक जारी रहेगा.
परेशानी तब आती है जब लोग रिटायरमेंट के लिए जरूरी पैसे को अपने आज के खर्चों के हिसाब से आंकते हैं और यही जोड़-तोड़ अक्सर झटके की तरह आता है. दरअसल ये कॉर्पस चार गुना ज्यादा होता है अगर आप सही तौर पर जोड़ घटाव करें.
कई बार, हम देखते हैं कि ग्राहक बहुत सारी संपत्ति लेकर हमारे पास आते हैं, जिसके लिए उन्हें सालाना आधार पर भुगतान करना होता है और 20 साल बाद उन्हें एक तय रकम देने का वादा भी किया जाता है. पहले देखने में तो ये अच्छा लगता है. पर आप इन्फ्लेशन को भूल जाते हैं. आप अगर ठीक से जोड़े तो आज का आपका 1 लाख 20 सालों में 25 हजार के बराबर रह जाएगा और हर साल इस रकम का मूल्य कम होता जाएगा जिससे आपके निवेश की योजना कहीं ना कहीं गड़बड़ हो जाएगी.
हम बहुत से ऐसे लोगों को देखते हैं जिनके पास रिटायरमेंट पोर्टफोलियो डायवर्सिफाइ नहीं किए गए होते. जैसे कई बार रिटायरमेंट के लिए बहुत सी रियल एस्टेट संपत्ति की बात तो की जाती है पर कोई दूसरे फाइनेंशियल एसेट नहीं होते. अब प्लान ये होता है कि किराये पर रह लेंगे और अपनी संपत्ति को नहीं छुएंगे. समस्या यह है कि भारत में रेंटल यील्ड लगभग 2% है, और जब तक किसी आदमी के पास कई रियल एस्टेट संपत्तियां नहीं होती हैं, तब तक अकेले उस एक घर के किराए से आपका खर्च पूरा नहीं होता. इसमें मेंटेनेंस पर होने वाली लागत और वो समय जब घर किराए पर ना चढ़ा हो वो लोग देख ही नहीं पाते. इसलिए रिटायरमेंट के वक्त उन संपत्तियों को बेचने के बाद अनफैमिलियर फाइनेंशिल एसेट में पैसे लगाने का ही विकल्प रह जाता है.
बहुत जरूरी है कि आपके पोर्टफोलियो का डाइवर्सिफिकेशन अच्छे से हुआ हो. अक्सर हम देखते हैं कि ज्यादातर ग्राहक घरों और सेफ फिक्स्ड डिपॉजिट की ओर ही झुकते हैं. यह मानते हुए भी कि रिटायरमेंट का वक्त बहुत सालों तक चल सकता है ये जरूरी नहीं कि आप इक्विटी जैसे निवेश के तरीकों में जोखिम न लें और कभी-कभी जोखिम न लेना ही आपके लिए सबसे बड़ा जोखिम हो सकता है.
रिटायरमेंट आपकी जिंदगी का एक बहुत ही जरूरी समय है जिसके लिए सावधानी से प्लानिंग और विचार की जरूरत होती है क्योंकि यह एक ऐसा लक्ष्य है जिसके लिए आपको कर्ज नहीं मिलने वाला. इसलिए रिटायरमेंट को अपनी प्लानिंग में वो जगह दे जो आपके आने वाले कल को संवार दे.