पोर्टफोलियो में Core & Satellite म्यूचुअल फंड से होगा रणनीतिक फायदा, जानिए कैसे

कोर पोर्टफोलियो स्थिरता देने में मदद करता है. यह लंबी अवधि में पूंजी को बढ़ाता है. वहीं, सैटेलाइट पोर्टफोलियो अतिरिक्त 'रिस्क-एडजस्टेड रिटर्न' देता है

  • Team Money9
  • Updated Date - September 16, 2021, 03:03 IST
How to Implement a Core & Satellite Strategy in Mutual Fund Investment?

Pixabay - पोर्टफोलियो के कोर हिस्से में लार्ज-कैप कंपनियां होनी चाहिए और सेटेलाइट हिस्से में लॉन्ग टर्म गिल्ट फंड, सेक्टर आधारित फंडों को शामिल करना चाहिए.

Pixabay - पोर्टफोलियो के कोर हिस्से में लार्ज-कैप कंपनियां होनी चाहिए और सेटेलाइट हिस्से में लॉन्ग टर्म गिल्ट फंड, सेक्टर आधारित फंडों को शामिल करना चाहिए.

Core & Satellite Strategy: म्यूचुअल फंड निवेश में विभिन्न तरह की रणनीति से आपको वेल्थ क्रिएशन, डाइवर्सिफिकेशन और सुरक्षित विकल्पों को चुनने का मौका मिलता है. अपने पैसे की वैल्यू बढ़ाने के लिए हम निवेश करते हैं और इसके लिए तरह-तरह की रणनीतियों का इस्तेमाल करते हैं. Core & Satellite रणनीति भी ऐसी ही एक स्ट्रैटेजी है, जो आपको अपने वेल्थ को बढाने और उसे सुरक्षित रखने में मदद करती हैं. इस तरह की रणनीति में निवेशक अपने पोर्टफोलियो को दो सेगमेंट में बांट देता है. एक होता है ‘कोर’ और दूसरा होता है ‘सैटेलाइट’.

कैसे काम करती है ये रणनीति

निवेशक का ज्यादातर का मकसद सुरक्षा के साथ निवेश की रकम को बढ़ाना ही होता है और इसे ‘कोर एंड सैटेलाइट’ स्ट्रैटेजी से हासिल किया जा सकता हैं. इसमें निवेशक को अपने कुल पोर्टफोलियो में कोर (core) के मुकाबले सैटेलाइट (satellite) का हिस्सा बहुत छोटा रखना होता है.

कोर पोर्टफोलियो स्थिरता देने में मदद करता है. यह लंबी अवधि में पूंजी को बढ़ाता है. वहीं, सैटेलाइट पोर्टफोलियो अतिरिक्त ‘रिस्क-एडजस्टेड रिटर्न’ देता है. यह वाला हिस्सा पोर्टफोलियो को सुरक्षित रखने के साथ-साथ कुल रिटर्न को बढ़ाने का काम करता है.

कैसे होता है फायदा?

इस तरह की रणनीति बनाने से ट्रांजैक्शन कॉस्ट बहुत कम हो जाती है. साथ ही यह कुल पोर्टफोलियो की अस्थिरता को भी कम करने में मदद करता है. जब पैसे की तुरंत जरूरत होती है तो वह सैटेलाइट पोर्टफोलियो से पूरी हो जाती है और कोर पोर्टफॉलियो में किए गए निवेश को बरकरार रखने में मदद मिलती है.

कोर पोर्टफोलियो

कोर पोर्टफोलियो को लंबी अवधि के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए बनाया जाता है. यह कुल पोर्टफोलियो का 60-70% होता है. इंडेक्स, डायवर्सिफाइड इक्विटी या लार्जकैप इक्विटी और शॉर्ट-टर्म डेट फंडों से पोर्टफोलियो का यह वाला हिस्सा बनता है.

कोर पोर्टफोलियो में क्या रखें

वेल्थ मैनेजरों का कहना है कि पोर्टफोलियो के कोर हिस्से में लार्ज-कैप कंपनियां होनी चाहिए क्योंकि उनमें से कई अपने-अपने व्यवसाय में अग्रणी हैं, मजबूत वित्तीय हैं और छोटी कंपनियों की तुलना में अर्थव्यवस्था में किसी भी मंदी का सामना करने के लिए बेहतर स्थिति में हैं. इसमें निष्क्रिय रूप से प्रबंधित (passively managed) लार्ज-कैप फंड शामिल हो सकते हैं. इसके लिए इंडेक्स फंड को भी चुना जा सकता हैं और अपने कुल निवेश का 80-85% आवंटन किया जा सकता है.

सैटेलाइट पोर्टफोलियो

कुल पोर्टफोलियो में सैटेलाइट पोर्टफोलियो का हिस्सा बहुत छोटा होता है. इसका मुख्य मकसद आर्थिक और बाजार की स्थितियों से फायदा उठाना होता है. पोर्टफोलियो के इस वाले हिस्से को लॉन्ग टर्म गिल्ट फंड, सेक्टर आधारित फंड्स से बनाया जाता है.

सैटेलाइट पोर्टफोलियो में क्या रखें

सेटेलाइट पोर्टफोलियो में मिडकैप या स्मॉलकैप फंड, वैल्यू फंड, थीमैटिक फंड, इंटरनेशनल फंड जैसे सक्रिय रूप से प्रबंधित (actively-managed) फंड शामिल हो सकते हैं, जो अल्फा उत्पन्न करने में मदद करते हैं.

कितने फीसदी करें आवंटन

निवेशक अपने पोर्टफोलियो का लगभग 60-80% पैसिव लार्ज-कैप फंडों में आवंटित कर सकते हैं, शेष राशि को मिड और स्मॉल-कैप फंडों के मिश्रण के लिए आवंटित की जा सकती है. वेल्थ मैनेजर्स निफ्टी 50 को दो-तिहाई आवंटन और निफ्टी नेक्स्ट 50 फंड में एक तिहाई आवंटन की सिफारिश करते हैं.

Published - September 16, 2021, 03:03 IST