क्या होता है गिल्ट फंड, निवेश करने से पहले इसके बारे में जानें सबकुछ

रिटेल इन्वेस्टर कुछ गवर्नमेंट सिक्योरिटीज को डायरेक्ट नहीं खरीद सकते. ऐसी गवर्नमेंट सिक्योरिटीज पाने के लिए केवल गिल्ट फंड में इन्वेस्ट कर सकते हैं.

keep these things in mind before investing in passive funds

डेट म्यूचुअल फंड की बात करें तो इसमें कौन सी कैटेगरी सेफ है, यह सिलेक्ट करना जरा कंफ्यूज करने वाला हो सकता है. रिटेल इन्वेस्टर कुछ गवर्नमेंट सिक्योरिटीज को डायरेक्ट नहीं खरीद सकते. ऐसी गवर्नमेंट सिक्योरिटीज पाने के लिए इंडिविजुअल केवल गिल्ट फंड में इन्वेस्ट कर सकते हैं. गिल्ट फंड बहुत कम या बिना किसी क्रेडिट रिस्क के होते हैं क्योंकि अंडरलाइंग सिक्योरिटीज गवर्नमेंट द्वारा जारी की जाती हैं. रिस्क से बचने वाले इन्वेस्टर के लिए गिल्ट फंड एक आकर्षक विकल्प है. वैल्यू रिसर्च के डेटा के मुताबिक, गिल्ट फंड ने एक, तीन और पांच साल में 4.47%, 9.46% और 6.98% का रिटर्न दिया है.

ये कैसे काम करते हैं?

जब किसी राज्य या केंद्र सरकार को पैसे की जरूरत होती है, तो फाइनेंशियल असिस्टेंस के लिए वो RBI को अप्रोच करती हैं. उसके बाद, RBI इंश्योरेंस कंपनियों और बैंकों से फंड कलेक्ट करता है और उन्हें सरकार को उधार देता है. बदले में, RBI फिक्स्ड टर्म की गवर्नमेंट सिक्योरिटीज जारी करता है. इन सिक्योरिटीज को गिल्ट फंड द्वारा सब्सक्राइब किया जाता है. एक बार जब सिक्योरिटी मैच्योर हो जाती है और फंड को पेआउट मिल जाता है तो फंड उसे रिटर्न कर देता है. ये फंड इंटरेस्ट रेट रिस्क उठाकर इंटरेस्ट कमाते हैं. सरकार के समर्थन के कारण, क्रेडिट रिस्क न के बराबर है. इंटरेस्ट रेट और गवर्नमेंट सिक्योरिटीज की कीमतों के बीच उलटा संबंध है. दूसरे शब्दों में जैसे-जैसे इंटरेस्ट रेट बढ़ता है, गवर्नमेंट बांडों की वैल्यू में गिरावट आती है.

इन्वेस्ट से पहले कंसीडर करने वाले फैक्टर

रिस्क: कॉरपोरेट बॉन्ड के विपरीत, गिल्ट फंड में क्रेडिट रिस्क नहीं है और ये सबसे लिक्विड फाइनेंशियल एसेट के तौर पर जाने जाते हैं. हालांकि, गिल्ट फंड इन्वेस्टर्स को इंटरेस्ट रेट रिस्क में डालते हैं. जब इंटरेस्ट रेट बढ़ता है, तो गिल्ट फंडों की नेट एसेट वैल्यू (NAV) आमतौर पर तेजी से गिरती है.

रिटर्न: गिल्ट फंड के रिटर्न गारंटीड नहीं होते हैं और इंटरेस्ट रेट के आधार पर इसमें उतार-चढ़ाव हो सकता है. इसलिए इन्वेस्टर्स से इंटरेस्ट रेट में गिरावट के दौरान इन्वेस्ट करने को कहा जाता है.

एक्सपेंस रेश्यो: गिल्ट फंड्स में एक एक्सपेंस रेशियो होता है, एक एनुअल फीस जिसमें संबंधित खर्चे और फंड मैनेजर का  मुआवजा शामिल होता है.

मैच्योरिटी पीरियड: यदि आप गिल्ट फंड में इन्वेस्ट करने के बारे में सोच रहे हैं, तो आपका इन्वेस्टमेंट होराइजन कम से कम 3-5 साल होना चाहिए, क्योंकि गिल्ट फंड पोर्टफोलियो की एवरेज मैच्योरिटी लगभग इतनी लंबी होती है.

इन्वेस्टमेंट ऑब्जेक्टिव: यदि आपका इन्वेस्टमेंट ऑब्जेक्टिव मीडियम टर्म का है, तो आप गिल्ट फंड में निवेश कर सकते हैं और देख सकते हैं कि इंटरेस्ट रेट की वोलैटिलिटी आपके फेवर में कैसे काम कर सकती है. यदि आप मार्केट में मंदी के दौरान पैसा कमाने का एक क्विक तरीका खोज रहे हैं, तो आप गिल्ट फंड को सेलेक्ट कर सकते हैं.

Published - October 6, 2021, 03:48 IST