कॉस्ट ऑफ डिले क्या है, इससे म्यूचुअल फंड में कैसे होता है नुकसान?

बाजार के मौजूदा वैल्यूएशन से कई निवेशक देखो और इंतजार करो के मोड में आ गए हैं, लेकिन ये गलती उन्हें भारी नुकसान करवा सकती है.

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अमेरिकी डॉलर-भारतीय रुपया करेंसी पेयर में साप्ताहिक contracts का शुभारंभ, केवल मौजूदा मुद्रा डेरिवेटिव प्रोडक्‍ट सूट का पूरक होगा और बाजार को गहरा करने में मदद करेगा."

अमेरिकी डॉलर-भारतीय रुपया करेंसी पेयर में साप्ताहिक contracts का शुभारंभ, केवल मौजूदा मुद्रा डेरिवेटिव प्रोडक्‍ट सूट का पूरक होगा और बाजार को गहरा करने में मदद करेगा."

Cost of Delay: मार्केट के मौजूदा हालात को देखते हुए कई संभावित निवेशक सतर्क हो गए हैं. कई निवेशक अभी निवेश शुरु करने से डर रहे हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि, बाजार की वैल्यूएशन बहुत ऊंची है, इसलिए थोड़ा करेक्शन आने के बाद प्रवेश करेंगे. ऐसे निवेशक का मानना है कि, 6 से 12 महीने की देरी से कोई बड़ा फर्क नहीं पड़ेगा. तो क्या देरी से वास्तव में कोई फर्क नहीं पड़ेता? नीचे दिए गए उदाहरण के द्वारा समझते हैं.

25 साल के अभिषेक शर्मा ने अच्छा फंड इकट्ठा करने के इरादे से हाल ही में 10,000 रुपये की इक्विटी SIP शुरू की है. उनके दोस्त रौनक नांबियार भी उनके साथ ही निवेश शुरू करने वाले थे, लेकिन अब उन्होंने अगले साल से SIP करने का निर्णय लिया है. यदि, आने वाले 15 साल में सालाना 12% रिटर्न मान के चलें तो अभिषेक के इन्वेस्टमेंट की मैच्योरिटी वैल्यू 47,59,313 रुपये होती है, वहीं रौनक के निवेश की मैच्योरिटी वैल्यू 41,35,400 रुपये होती है. यानि, एक साल बाद निवेश शुरू करने से रौनक को 6,23,913 रुपये का कम मुनाफा मिलेगा. इस उदाहरण से पता चलता है कि, म्यूचुअल फंड में 1 साल का विलंब मतलब लाखों का नुकसान. इस नुकसान को कॉस्ट ऑफ डिले कहते हैं.

Cost of Delay क्या हैः

जल्दी निवेश करने से होने वाले फायदे और देरी से निवेश करने पर होने वाले फायदे के बीच के अंतर को कॉस्ट ऑफ डिले (देरी की लागत) कहते हैं. मान लीजिए, आपने पांच साल पहले A कंपनी के शेयर खरीदे थे, जिस पर आज X प्रॉफिट हो रहा है और आपने उसी कंपनी के शेयर 3 साल पहले खरीदे होते तो आज Y प्रॉफिट होता है. यानी X-Y=Z आपका कॉस्ट ऑफ डिले है.

AMFI-रजिस्टर्ड म्यूचुअल फंड डिस्ट्रिब्यूटर हरीश साल्वे बताते है कि, “निवेश स्थगित करने के पीछे कई कारण हो सकते हैं, लेकिन आप मार्केट को टाइम करने की कोशिश करेंगे तो निश्चित रूप से लोस करेंगे. मार्केट कौन सी चाल चलेगा ये कोई नहीं जानता, इसलिए आपको छोटे अंतराल के लोस से बचने के लिए निवेश में विलंब नहीं करना चाहिए, ऐसा करने से आप पावर ओफ कंपाउंडिंग के फायदे से भी दूर रहते है.”

पहला पगार हाथ में आते ही निवेश शुरू कर देना चाहिए, फिर चाहे आप केवल 1,000 रूपये का निवेश करो या 5,000 रूपये का. निवेश छोटा या बडा नहीं होता. हर व्यक्ति अपने ताकत के अनुसार निवेश कर सकता है. “मेरी नौकरी हाल ही में लगी है, मेरा पगार बहुत कम है, इसलिए मैं पगार बढ़ने के बाद अगले साल से निवेश शुरू करूंगा.” ऐसा हमने कई बार सुना है, लेकिन यह गलत है, हमें जल्द से जल्द निवेश शुरू कर देना चाहिए. यदि 22 साल का व्यक्ति केवल 1,000 रुपये से निवेश शुरू करता है और कोई 25 साल का होने के बाद 5,000 रुपये के निवेश से शुरुआत करता है, फिर भी उसको 10 साल बाद जल्दी निवेश शुरु करने वाले के मुकाबले कम मुनाफा होगा.

हरीश बताते है कि, आपको निवेश को भी अपने EMI की तरह देखना चाहिए या बिजली का बिल मानना चाहिए. ऐसा करने से आप हर महीने निवेश करते रहेंगे.

Published - July 27, 2021, 06:38 IST