म्यूचुअल फंड की इन कैटेगरीज के बारे में पता है आपको? जानिए कहां पैसा लगाना होगा ठीक

म्यूचुअल फंड में निवेश की सेबी ने बनाई हुई तीन मुख्य कैटेगरी में से इक्विटी में 11, हाइब्रिड में 7 और डेट स्कीम कैटेगरी में 16 सब-कैटेगरी हैं.

  • Team Money9
  • Updated Date - August 30, 2021, 03:38 IST
what are the different mutual fund categories, which one is best for you?

स्पेशल सिच्युएशन फंड द्वारा नई संभावनाओं को ध्यान में रखके निवेश रणनीति बनाई जाती हैं.

स्पेशल सिच्युएशन फंड द्वारा नई संभावनाओं को ध्यान में रखके निवेश रणनीति बनाई जाती हैं.

Mutual Fund Investment: म्यूचुअल फंड में निवेश करने के लिए सेबी ने मोटे तौर पर तीन कैटेगरी बनाई हैं, एक कैटेगरी के जरिए आप इक्विटी में निवेश कर सकते हैं, दूसरी कैटेगरी से फिक्स्ड इनकम सिक्योरिटीज में, और तीसरी कैटेगरी से इक्विटी और डेट दोनों में निवेश कर सकते हैं. फिर, इन व्यापक श्रेणियों के भीतर सब-एसेट क्लास हैं. अब सवाल यह है कि इन श्रेणियों के कौन से फंड आपके सपनों को वास्तविकता में बदल सकें ऐसा रिटर्न देने में मदद करेंगे? इसका उत्तर जानने के लिए हमारे पास इन सभी कैटेगरी की जानकारी होनी आवश्यक है.

(A) इक्विटी स्कीम कैटेगरीः इसमें 11 प्रकार की सब-कैटेगरी हैं, जिसके जरिए इक्विटी और इक्विटी-रिलेटेड इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश किया जाता है.

(1) लार्ज-कैप फंडः कुल एसेट का 80% निवेश लार्ज-कैप कंपनियों की इक्विटी और इक्विटी-रिलेटेड सिक्योरिटीज में किया जाता है.

(2) मिड-कैप फंडः कुल एसेट का 65% निवेश मिड-कैप कंपनियों की इक्विटी और इक्विटी-रिलेटेड सिक्योरिटीज में किया जाता है.

(3) स्मॉल-कैप फंडः कुल एसेट का 65% निवेश स्मॉल-कैप कंपनियों की इक्विटी और इक्विटी-रिलेटेड सिक्योरिटीज में किया जाता है.

(4) मल्टी-कैप फंडः कुल एसेट का 65% निवेश इक्विटी और इक्विटी-रिलेटेड सिक्योरिटीज में किया जाता है.

(5) लार्ज & मिड-कैप फंडः कुल एसेट का 35% निवेश लार्ज-कैप कंपनियों में और 35% निवेश मिड-कैप कंपनियों की इक्विटी और इक्विटी-रिलेटेड सिक्योरिटीज में किया जाता है.

(6) डिविडेंड यील्ड फंडः कुल एसेट का कम से कम 65% निवेश डिविडेंड-यील्डिंग स्टोक्स में और इक्विटी में निवेश होता हैं.

(7) वैल्यू फंडः इसमें वैल्यू इन्वेस्टमेंट रणनीति का पालन करते हुए कुल एसेट का 65% इक्विटी और उससे संबंधित प्रतिभूतियों में निवेश किया जाता हैं.

(8) कॉन्ट्रा फंडः इसमें विपरीत निवेश रणनीति का पालन करते हुए कुल संपत्ति का 65% इक्विटी और उससे संबंधित प्रतिभूतियों में निवेश होता हैं.

(9) सेक्टोरल/थीमेटिक फंडः किसी विशेष विषय या क्षेत्र की इक्विटी और उससे संबंधित प्रतिभूतियों में कुल संपत्ति का कम से कम 80% निवेश होता हैं.

(10) फोकस्ड फंडः कुल संपत्ति का 65% इक्विटी और उससे संबंधित प्रतिभूतियों में निवेश होता है. शेयरों की संख्या (अधिकतम 30 स्टॉक) पर ध्यान दिया जाता है.

(11) ELSS: कुल संपत्ति का 80% इक्विटी और उससे संबंधित प्रतिभूतियों में निवेश किया जाता है.

(B) हाइब्रिड फंड

(1) बैलेंस्ड हाइब्रिड फंडः इक्विटी में 40-60% के बीच और डेट में 40-60% के बीच निवेश किया जाता है. 3 साल से ज्यादा अवधि के लिए अच्छा विकल्प हैं.

(2) एग्रेसिव हाइब्रिड फंडः इक्विटी में 75% और डेट में 25% निवेश किया जाता है. 3 साल से ज्यादा अवधि के लिए अच्छा विकल्प हैं.

(3) कंजर्वेटिव हाइब्रिड फंडः इक्विटी में 25% और डेट में 75% निवेश किया जाता है. कम से कम 2-3 साल के लिए निवेश करें. जोखिम से डरने वाले निवेशक के लिए बेहतर विकल्प हैं.

(4) डायनेमिक एसेट एलोकेशन या बैलेंस्ड एडवांटेज फंडः ये फंड मार्केट की मूवमेंट के आधार पर स्टोक और डेट में बेलेंस बनाते हैं.

(5) मल्टी-एसेट एलोकेशन फंडः इक्विटी, डेट इन दोनों के अलवा तीसरे एसेट क्लास (गोल्ड, रियल एस्टेट इत्यादि) में न्यूनतम 10% निवेश करते हैं.

(6) इक्विटी बचतः कुल संपत्ति का कम से कम 65% इक्विटी में और कम से कम 10% डेट में निवेश करते हैं.

(7) आर्बिट्राज फंडः इसमें शेयर बाजार का जोखिम नहीं हैं औऱ 1-3 साल के लिए अच्छा विकल्प हैं.

(C) डेट स्कीम केटेगरी

(1) लो-ड्युरेशन फंडः डेट और मनी मार्केट सिक्योरिटीज में निवेश करते हैं, ताकि पोर्टफोलियो की मैकॉले (Macaulay) अवधि 6 से 12 महीने के बीच रहें.

(2) अल्ट्रा-शॉर्ट ड्युरेशन फंडः डेट और मनी मार्केट सिक्योरिटीज में निवेश करते हैं, ताकि पोर्टफोलियो की मैकॉले (Macaulay) अवधि 3 से 6 महीने के बीच रहें.

(3) लिक्विड फंडः ये फंड सिर्फ 91 दिन तक की मैच्योरिटी वाली डेट और मनी मार्केट सिक्योरिटीज में निवेश करते हैं.

(4) ओवरनाइट फंडः 1 दिन की मैच्योरिटी वाली ओवरनाइट सिक्योरिटीज में निवेश करते हैं.

(5) शॉर्ट-ड्युरेशन फंडः डेट और मनी मार्केट सिक्योरिटीज में निवेश करते हैं, ताकि पोर्टफोलियो की मैकॉले (Macaulay) अवधि 1 से 3 साल के बीच रहें.

(6) मीडियम ड्यूरेशन फंडः डेट और मनी मार्केट सिक्योरिटीज में निवेश करते हैं, ताकि पोर्टफोलियो की मैकॉले (Macaulay) अवधि 3 से 4 साल के बीच रहें.

(7) मनी मार्केट फंडः ये फंड 1 साल तक की मैच्योरिटी वाली मनी मार्केट सिक्योरिटीज में निवेश करते हैं.

(8) मीडियम-टू-लॉन्ग ड्यूरेशन फंडः डेट और मनी मार्केट सिक्योरिटीज में निवेश करते हैं, ताकि पोर्टफोलियो की मैकॉले (Macaulay) अवधि 4 से 7 साल के बीच रहें.

(9) लॉन्ग-ड्यूरेशन फंडः डेट और मनी मार्केट सिक्योरिटीज में निवेश करते हैं, ताकि पोर्टफोलियो की मैकॉले (Macaulay) अवधि 7 साल से अधिक रहे.

(10) कॉरपोरेट बॉन्ड फंडः ये फंड 80% निवेश उच्च रेटिंग वाले कॉरपोरेट बॉन्ड में करते हैं.

(11) डायनेमिक बॉन्ड फंडः ये फंड सभी तरह के ड्युरेशन में निवेश करते हैं.

(12) बैंकिंग & PSU फंडः 80% निवेश बैंक, PSU और पब्लिक फाइनेंशियल इंस्टिट्यूशन्स की डेट सिक्योरिटीज में करते हैं.

(13) क्रेडिट रिस्क फंडः 65% निवेश सर्वोच्च रेटिंग से नीचे की रेटिंग वाले वाले कॉरपोरेट बॉन्ड में करते हैं.

(14) फ्लोटर फंडः 65% निवेश फ्लोटिंग रेट इंस्ट्रूमेंट में करते हैं.

(15) गिल्ट फंडः 80% निवेश सरकारी सिक्योरिटीज में करते हैं.

(16) गिल्ट फंड विद 10-ईयर कॉन्स्टैंट ड्यूरेशनः 80% निवेश सरकारी सिक्योरिटीज में करते हैं, ताकि पोर्टफोलियो की मैकॉले (Macaulay) अवधि 10 साल रहे.

Published - August 30, 2021, 03:38 IST