ULIPs vs Mutual Fund: जानिए क्या हैं इन दोनों में फर्क और कहां मिलेगा अधिक मुनाफा

यूलिप मुख्य रूप से एक इंश्योरेंस का प्रोडक्ट है. यूलिप के तहत, पॉलिसीधारक की मृत्यु के मामले में नामांकित व्यक्तियों को इंश्योरेंस राशि मिलेगी.

  • Team Money9
  • Updated Date - October 6, 2021, 01:11 IST
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पॉलिसीधारक की मृत्यु के मामले में इनवेस्टमेंट नॉमिनी व्यक्ति को स्थानांतरित कर दिया जाता है. PC: Pixabay

पॉलिसीधारक की मृत्यु के मामले में इनवेस्टमेंट नॉमिनी व्यक्ति को स्थानांतरित कर दिया जाता है. PC: Pixabay

पैसा बनाने के लिए एक अच्छी निवेश रणनीति बहुत महत्वपूर्ण है. यह आपके परिवार के फाइनेंशियल भविष्य को सुरक्षित करने में भी मदद कर सकता है. यूनिट-लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान (यूलिप) और म्यूचुअल फंड दोनों ही उन निवेशकों के लिए लोकप्रिय निवेश विकल्प हैं, जो लॉन्ग टर्म में संपत्ति बनाना चाहते हैं. हाल के दिनों में यूलिप और एसआईपी दोनों ही भारत में अच्छी लोकप्रियता हासिल कर रहे हैं. यूलिप इंश्योरेंस और इनवेस्टमेंट दोनों के फायदे प्रदान करते हैं.

आपको इंश्योरेंस कवर देते हुए यूलिप आपको इक्विटी बाजारों में निवेश करने की अनुमति देते हैं. दूसरी ओर, म्यूचुअल फंड विशुद्ध रूप से निवेश का विकल्प है. फंड को अलग अलग सिक्योरिटीज में निवेश किया जाता है और फंड मैनेजरों द्वारा मैनेज किया जाता है.

इसके अलावा भी ULIPS और म्यूचुअल फंड में अंतर हैं:

फायदे

म्यूचुअल फंड एक विशुद्ध इनवेस्टमेंट प्रोडक्ट है, जो पैसा बनाने में मदद करते हैं. दूसरी ओर, ULIPS मुख्य रूप से एक इंश्योरेंस प्रोडक्ट है, जिसमें बाजार से जुड़े निवेश होने का अतिरिक्त लाभ होता है.

रिस्क फैक्टर

म्यूचुअल फंड शुद्ध इनवेस्टमेंट प्रोडक्ट है. यह उन्हें एक जोखिम भरा विकल्प बनाता है. जबकि दूसरी ओर, यूलिप मुख्य रूप से इंश्योरेंस प्रोडक्ट हैं. नतीजतन, फंड मैनेजर उच्च जोखिम वाली रणनीतियों से बचने की कोशिश करते हैं.

रिटर्न

यूलिप एक निश्चित राशि का वादा करता है. दूसरी ओर, म्यूचुअल फंड से मिलने वाला रिटर्न जोखिम कारक के आधार पर भिन्न होता है. इक्विटी म्यूचुअल फंड में आमतौर पर डेट म्यूचुअल फंड की तुलना में अधिक रिटर्न देने की क्षमता होती है.

लॉक-इन पीरियड

चूंकि यूलिप इंश्योरेंस प्रोडक्ट है, इसलिए इंश्योरेंस कंपनी इन निवेशों के लिए आम तौर पर पांच साल की लॉक-इन अवधि देते हैं. इस लॉक-इन अवधि के समाप्त होने से पहले निवेशक अपने निवेश को भुना नहीं सकते. दूसरी ओर, ईएलएसएस फंडों को छोड़कर, जिनमें तीन साल की लॉक-इन अवधि होती है, ज्यादातर म्यूचुअल फंड में लॉक-इन अवधि नहीं होती है.

टैक्स का फायदा

इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम (ईएलएसएस) एकमात्र म्यूचुअल फंड है जो टैक्स सेविंग के अवसर प्रदान करता है. लेकिन यूलिप के मामले में, 1.5 लाख रुपए तक की कोई भी राशि पर इनकम टैक्स एक्ट की धारा 80 सी के तहत टैक्स बचाया जा सकता है.

कीमतें

बाजार के जानकारों के मुताबिक म्यूचुअल फंड से जुड़े फंड मैनेजमेंट चार्ज काफी ज्यादा होते हैं. दूसरी ओर, यूलिप बहुत कम फंड मैनेजमेंट फीस के साथ आते हैं, जो लगभग 1.35% है. हालांकि, यूलिप पर अन्य शुल्क भी लागू होते हैं.

रिस्क कवर

यूलिप मुख्य रूप से एक इंश्योरेंस का प्रोडक्ट है. यूलिप के तहत, पॉलिसीधारक की मृत्यु के मामले में नामांकित व्यक्तियों को इंश्योरेंस राशि मिलेगी. हालांकि, म्यूचुअल फंड के मामले में कोई इंश्योरेंस कवर नहीं है. पॉलिसीधारक की मृत्यु के मामले में इनवेस्टमेंट नॉमिनी व्यक्ति को स्थानांतरित कर दिया जाता है.

एक्सपर्ट का व्यू

चार्टर्ड अकाउंटेंट सुमन नंदी के मुताबिक ”म्यूचुअल फंड या यूलिप में निवेश करने का निर्णय पूरी तरह से निवेशक का होता है. क्योंकि दोनों ही निवेश के अच्छे विकल्प हैं. लेकिन मुझे लगता है कि 50 साल की उम्र के बाद हर निवेशक के लिए कम जोखिम वाले विकल्प चुनना बेहतर होता है. इसलिए इस स्तर पर उनके लिए म्यूचुअल फंड की तुलना में यूलिप ज्यादा बेहतर साबित हो सकते हैं.”

Published - October 6, 2021, 01:04 IST