हर व्यक्ति की फाइनेंशियल (financial) जरूरतें अलग होती हैं लेकिन कुछ ऐसे नियम होते हैं जो मोटे तौर पर कई स्थितियों पर लागू होते हैं. ये आजमाए हुए नियम आपकी फाइनेंशियल लाइफ को बेहतर बना सकते हैं. आप इन नियमों को लागू करते समय अपने हिसाब से बदल सकते हैं, लेकिन ये आपकी फाइनेंशियल हेल्थ (financial health) के लिए मददगार हो सकते हैं. यहां हम आपको बता रहे हैं वो खास 9 नियम.
72 का नियम बताता है कि कितने सालों में आपका पैसा एक निश्चित दर पर दोगुना होगा. ये जानने के लिए आपको केवल 72 को ब्याज दर से डिवाइड करना है. उदाहरण के लिए, यदि आप जानना चाहते हैं कि आपके पैसे को 8% ब्याज पर दोगुना करने में कितना समय लगेगा, तो 72 को 8 से डिवाइड करें यानी 9 सालों में आपका पैसा दोगुना होगा. इसलिए 6% की दर से पैसा दोगुना होने में 12 साल लगेंगे और 9% ब्याज दर पर 8 साल लगेंगे.
यह जानने के लिए कि आपके निवेश का मूल्य कितनी तेजी से अपने वर्तमान मूल्य से आधा हो जाएगा, किसी को मौजूदा महंगाई दर से 70 को डिवाइड करना होगा. इसलिए, 7% की महंगाई दर 10 वर्षों में आपके पैसे का मूल्य घटाकर आधा कर देगी.
इस नियम के तहत कॉर्पस आपके एस्टीमेटिड एनुअल एक्सपेंस के 25 गुना के बराबर होना चाहिए. उदाहरण के लिए: यदि 50 वर्ष की आयु के बाद आपका सालाना खर्च 500,000 रुपये है और आप VRS लेना चाहते हैं तो आपको 1.25 करोड़ रुपये की जरूरत होगी. अब इसमें से 50% फिक्स्ड इनकम में और 50% इक्विटी में डालें, और हर साल 4% निकाल लें, जो कि 5 लाख रुपये है. यह नियम 30 साल की अवधि में 96% काम करता है.
इस नियम का इस्तेमाल एसेट एलोकेशन के लिए किया जाता है. यह पता लगाने के लिए कि कितना पोर्टफोलियो इक्विटी में एलोकेट किया जाना चाहिए, किसी की उम्र को 100 से घटाएं. उदाहरण के लिए: यदि आपकी उम्र 30 है, तो 100 में से 30 घटाएं, घटाने पर आपको 70 मिलते हैं, इसलिए आपको इक्विटी में 70% और डेट में 30% एलोकेट करने की जरूरत है.
किसी को रीजनेबिल रिटर्न की उम्मीद रखनी चाहिए. उदाहरण के लिए इक्विटी और म्यूचुअल फंड से 10% रिटर्न की उम्मीद की जा सकती है, 5% डेट से जो फिक्स्ड डिपॉजिट या अन्य डेट इंस्ट्रूमेंट है और 3% सेविंग अकाउंट से.
आपको अपनी इनकम को तीन भागों में डिवाइड करना होता है, जैसे कि जरूरतें, चाहत और बचत जिसमें 50% पैसे को किराने का सामान, किराया और ईएमआई जैसी जरूरतों के लिए एलोकेट किया जाना है, 30% को मनोरंजन और छुट्टियों जैसी जरूरतों के लिए एलोकेट किया जाना है. इक्विटी, म्यूचुअल फंड, डेट और एफडी जैसी सेविंग में 20%.
इमरजेंसी के लिए हमेशा अपनी मंथली इनकम का कम से कम 3 गुना इमरजेंसी फंड में डालें जैसे कि अचानक नौकरी चले जाना, मेडिकल इमरजेंसी आदि.
कभी भी अपनी इनकम के 40% से अधिक EMI में न डालें. उदाहरण के लिए यदि आप हर महीने 50,000 रुपये कमाते हैं, तो आपकी EMI 20,000 रुपये से ज्यादा नहीं होनी चाहिए. यह नियम आमतौर पर फाइनेंस कंपनियों द्वारा लोन प्रोवाइड करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. लेकिन इसका उपयोग किसी के फाइनेंस को मैनेज करने के लिए भी किया जा सकता है.
हमेशा अपनी सालाना इनकम का 20 गुना सम एश्योर्ड रखें. मान लीजिए कि अगर सालाना 5 लाख कमाते हैं, तो इस नियम का पालन करके आपके पास कम से कम 1 करोड़ का बीमा होना चाहिए.