Tax : पोर्टफोलियो को डाइवर्सिफाई के लिए विदेशी बाजार में निवेश करना अच्छी बात है, लेकिन आपको मालूम होना चाहिए कि विदेशी निवेश पर जो लाभ होगा उसके टैक्सेशन रूल्स भारत में इक्विटी निवेश पर लागू होने वाले रूल्स से भिन्न होते हैं.
विदेशी बाजार में डायरेक्ट और इनडायरेक्ट निवेश करने पर अलग-अलग दरों से टैक्स (Tax) लगता है.
निवेशक के लिए विदेशी बाजार में तीन तरीकों से निवेश संभव है. आप विदेशी ब्रोकर के जरिए शेयर खरीद कर डायरेक्ट निवेश कर सकते है, फोरेन के म्यूचुअल फंड की स्कीम्स में निवेश कर सकते है या फोरेन की कंपनियों में निवेश करने वाले भारतीय फंड हाउस की स्कीम में चुन सकते है.
भारत में लिस्टेड शेयर या इक्विटी-ओरिएंटेड स्कीम्स में निवेश पर 12 महीने से कम अवधि के लिए 15% शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स (STCG) लागू होता है.
उससे ज्यादा अवधि पर लाभ होने से इंडेक्सेशन बेनिफिट के साथ 1 लाख रूपए से ज्यादा लाभ पर 10% लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (LTCG) टैक्स लागू होता है.
विदेशी शेयरों को अनलिस्टेड शेयरों के बराबर माना जाता है. यदि ऐसे विदेशी स्टॉक 24 महीने से अधिक समय तक रखे जाते हैं, तो उनकी बिक्री से प्राप्त लाभ को लॉन्ग-टर्म के रूप में वर्गीकृत किया जाएगा, अन्यथा शॉर्ट-टर्म के रूप में गिना जाएगा.
विदेशी शेयरों पर इंडेक्सेशन के लाभ के साथ 20% LTCG टैक्स लगता है, जबकि शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स (STCG) पर स्लैब दरों के अनुसार टैक्स लगाया जाएगा. टैक्स के साथ आपको 4% हेल्थ और एजुकेशन सेस भी चुकाना होगा.
अगर आपके पास Apple, Google, Amazon जैसी कंपनियों के शेयर है तो चिंता करने की जरूरत नहीं, क्योंकि यह कंपनियां
डिवीडेंड नहीं देती है, लेकिन दूसरे विदेशी शेयरों से डिवीडेंड मिलता है तो उसे ‘इनकम फ्रॉम अदर सोर्सेज के तहत गिना जाएगा और आपको टैक्स स्लैब के अनुसार कर चुकाना होगा.
म्यूचुअल फंड के जरिए निवेश पर टैक्सः
यदि आपने विदेशी म्यूचुअल फंड के जरिए डायरेक्ट या भारतीय म्यूचुअल फंड के जरिए इनडायरेक्ट निवेश किया है तो 36 महीने के बाद होने वाले लाभ को लॉन्ग टर्म के रूप में देखा जाता है.
इंडेक्सेशन बेनिफिट के बाद 20% LTCG टैक्स चुकाना पडता है. यदि 36 महीने के कम अवधि के निवेश पर लाभ होगा तो टैक्स स्लेब के अनुसार STCG टैक्स चुकाना होगा.
ITR में क्या दिखाना होगाः
इनकम टैक्स प्रैक्टिशनर और शाह कंसल्टेंसी के पार्टनर CA सतीष शाह के मुताबिक, इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करते समय आपको शेडयूल FA में विदेशी एसेट्स का विवरण प्रस्तुत करना आवश्यक है.
आप कुछ शर्तों का पालन करने के बाद आप लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन का पैसा रेसिडेंशियल प्रॉपर्टी लगाते हैंं, तो LTCG टैक्स में राहत का दावा कर सकते हैं.