मार्केट रेगुलेटर SEBI ने म्युचुअल फंड निवेशकों के हितों की सुरक्षा के लिए रिस्क मैनेजमेंट फ्रेमवर्क को जारी कर दिया है. यह फ्रेमवर्क 1 जनवरी 2022 से लागू हो जाएगा. इसके तहत कंपनी को मुख्य जोखिम अधिकारी की नियुक्ति, जोखिम प्रबंधन समितियों का निर्माण और प्रत्येक योजना के लिए निवेश जोखिम, तरलता जोखिम और क्रेडिट जोखिम जैसे मेट्रिक्स को बनाए रखना अनिवार्य होगा. सेबी का कहना है कि तब से लेकर अब तक म्युचुअल फंड्स इंडस्ट्री को लेकर काफी बदलाव आए गए हैं, इसलिए नया फ्रेमवर्क लागू करना जरूरी हो गया है. दरअसल रिस्की डेट सिक्युरिटीज में म्यूचुअल फंड्स का एक्सपोजर कैपिटल मार्केट में निवेश करने वालों के लिए बड़े रिस्क के रूप में उभरा है. इसलिए सेबी निवेशकों को बड़े रिस्क से सेफ रखने के लिए रेगुलेटरी सेफ्टी नेट मजबूत बनाने में जुटा है. SEBI के मुताबिक म्यूचुअल फंड संचालन से जुड़े महत्वपूर्ण जोखिमों के प्रबंधन के व्यापक लक्ष्य के साथ, संशोधित रिस्क मैनेजमेंट फ्रेमवर्क (RMF) में सिद्धांतों या मानकों का एक सेट शामिल होगा, जिसमें नीतियां, प्रक्रियाएं और जोखिम प्रबंधन शामिल होंगे.
मार्केट रेगुलेटर सेबी का ये भी कहना है कि एएमसी को आरएमएफ के अनुपालन की सालाना समीक्षा भी करनी चाहिए. ऐसी समीक्षाओं के परिणाम एएमसी निदेशक मंडल और ट्रस्टी को उनके विचार के लिए प्रस्तुत किए जाएंगे और अगर जरूरत हो तो निर्देश भी दिए जाएंगे. ट्रस्टी सेबी को अपने अर्धवार्षिक ट्रस्टी रिपोर्ट में निष्कर्ष और जोखिम प्रबंधन के लिए उठाए गए कदमों के साथ-साथ अपनी टिप्पणियों को प्रस्तुत कर सकते हैं.
म्यूचुअल फंड के आरएमएफ में निम्नलिखित विशेषताएं होनी चाहिए:
– इसे व्यवस्थित, कुशल और समयबद्ध तरीके से अपनाया जा सके.
– आंतरिक और बाहरी दोनों तरह की सभी उपलब्ध सूचनाओं पर विचार करते हुए, म्यूचुअल फंड के परिचालन और रणनीतिक संचालन और शासन ढांचे का हिस्सा बनें.
– संभावित जोखिमों पर ध्यान केंद्रित करते हुए और अनिश्चितता को स्पष्ट रूप से संबोधित करने के लिए सरपेशन एंड कंट्रोल सिस्टम उपयोग करते हुए, एएमसी और योजना दोनों के जोखिम प्रोफाइल के अनुरूप बनें.
– इसमें आने वाले खतरों को पहचानने के लिए डायनमिक और एडाप्टेबल बनाएं वहीं उन लोगों के लिए रियायतें दें जिन्हें इसकी जरूरत है.
– यह पहचानें कि लोग और संस्कृति ढांचे की प्रभावशीलता को प्रभावित करते हैं और सिस्टम को पूरे हितधारकों के साथ संवाद और परामर्श करना चाहिए.
– एएमसी और योजना दोनों के पास एक एप्रूव्ड आरएमएफ योजना होनी चाहिए.
– प्रबंधन के विभिन्न स्तरों पर, डेलिगेशन ऑफ पॉवर (डीओपी) के लिए एक सिस्टम होना चाहिए, जिसमें रेगुलर रिस्क की निगरानी, रेगुलर रिस्क रिपोर्टिंग और करेक्टिव एक्शन शामिल हो.
निवेशकों को मिलेगा लाभ
इन्वेस्टमेंट रिस्क मैनेजमेंट उन जोखिमों पर रिस्पांसेबिल इनवेस्टर एक्सपेक्टेशन पर बेस्ड होगा, जो म्यूचुअल फंड अपने निवेश उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए लेगा, जिसे फंड की जोखिम प्रोफ़ाइल के रूप में रेफरेंस्ड किया जाता है.
निवेशकों को दी जाएगी जानकारी
इसके अलावा, एक फंड की रिस्क प्रोफाइल के बारे में निवेशकों को विभिन्न तरीकों से सूचित किया जाएगा, जिसमें इसके स्कीम इंफॉर्मेशन डॉक्यूमेंट (SID) और मार्केटिंग मैटेरियल्स शामिल हैं, जो फंड की निवेश रणनीति और जोखिम विशेषताओं की जानकारी देते हैं.
निवेशकों के दावे की होगी समीक्षा
लिक्विडिटी, कॉउंटरपार्टी और क्रेडिट (मुख्य रूप से क्रेडिट रेटिंग के आधार पर लोन पर किए गए निवेश की गुणवत्ता), निवेश और अन्य जोखिम क्षेत्रों जैसे भौतिक जोखिमों के संबंध में निवेशकों को किए गए दावे की समीक्षा भी होगी.
एएमसी अपने आरएमएफ और सेल्फ ऐक्सेस की प्रेक्टिस करेंगे और फ्रेमवर्क इंप्लीमेंटेशन की रणनीति के साथ अपने निदेशक मंडल को एक रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे. 1 जनवरी, 2022 से लागू होने वाले इस सर्कुलर के प्रोविजन का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए एएमसी के पास जरूरी प्रक्रियाएं होनी चाहिए.
निवेशक को नहीं किया जा सकेगा गुमराह
इसके अतिरिक्त, डिस्ट्रीब्यूटर्स सहित म्यूचुअल फंड की बिक्री से जुड़े लोगों द्वारा की गई किसी भी गलत बयानी के लिए एएमसी उत्तरदायी होगी. निवेशकों के लिए डिस्ट्रीब्यूटर्स का प्रदर्शन डिस्क्लोजर यदि कोई हो तो वह सटीक और निष्पक्ष होना चाहिए. कोई भी गलत दावा करके अब निवेशक को गुमराह नहीं किया जा सकेगा.