अपने पर्सनल फाइनेंस को समझदारी से मैनेज करने के लिए याद रखिए ये 6 गोल्डन रूल

Personal Finance: अपनी फाइनेंशियल प्लानिंग को अच्छे से मैनेज करने के लिए हमें इससे जुड़े जरूरी कारकों को समझना बेहद जरूरी है.

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Pic Courtesy: Pixabay,

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Personal Finance: कोरोना महामारी के इस दौर को देखते हुए फाइनेंशियल प्लानिंग बेहद जरूरी है. इस दौर में हमने कई नई चीजों को देखा है, अनुभव किया है. इसलिए, यह जानना बेहद जरूरी है कि वो कौन से कारण हैं, जो हमारी फाइनेंशियल प्लानिंग पर असर डालते हैं. मनी9 की ओर से हमने कई मिलेनियल्स से बात करके अच्छे फाइनेंशियल प्लानिंग के लिए SOP तैयार की हैं. इन युवाओं से बात करने के बाद हम बात कर रहे हैं उन 6 जरूरी कारकों के बारे में, जो हमें फाइनेंशियल प्लानिंग करने से पहले हमेशा ध्यान रखने चाहिए

बचत करना जरूरी

कोरोना के दौर में हमने बचत के महत्व को समझा. कोविड इमरजेंसी या किसी भी आपात स्थिति में हमारे पास बचत की हुई धनराशि है तो कभी चिंता की बात करने की जरूरत नहीं है.

इसलिए सबसे जरूरी नियम है कि अपने लिए इमरजेंसी फंड तैयार करें, जो कम से कम आपके 6 महीने की जरूरत को पूरा कर सके.

इमरजेंसी के लिए लिक्विड फंड या कम से कम बचत खाते में रुपया जमा रखना एक अच्छा विकल्प साबित हो सकता है. लिक्विड फंड्स की बदौलत आप करीब 6 फीसदी का रिटर्न हासिल कर सकते हैं.

सैलरी मिलने के बाद सबसे पहला काम उसमें से एक निश्चित रकम निकालकर बचत खाते या लिक्विड फंड्स में जमा करें. ये बचत आपको कठिन वक्त में निकालने का काम करेगी.

खर्च का हिसाब

बिटन बोस (बदला हुआ नाम) कोलकाता में रहने वाले एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं. 30 साल की उम्र में कोरोना की पहली लहर के कारण उनकी नौकरी चली गई. 6 महीने के कठिन दौर के बाद उनको नौकरी मिली.

अपने मासिक खर्च को लेकर प्लानिंग करना सबसे जरूरी है. आपको अपने खर्च का हिसाब लगाकर निवेश करना चाहिए. अगर आप अपने खर्च को समझते हैं तो समझिए आपने आधा काम खुद ही निपटा लिया.

अगर आपके पास बजट नहीं है तो आप अपने बेतहाशा खर्च को नहीं रोक सकते हैं. बजट आपको बताता है कि आपने अपने पैसों को कौन कौन सी मद में खर्च किया.

अपने खर्च को फिक्स्ड और वैरिएबल्स, जरूरी और गैर-जरूरी, जरूरत और लग्जरी जैसी कैटेगरी में बांटे. इस तरह से आप अपने खर्च का पूरा हिसाब बनाकर रख सकते हैं.

जरूरी है कि अपने गैर जरूरी खर्च को रोकें, डिपार्टमेंटल स्टोर जाने से पहले सामान की लिस्ट बना लें और हफ्ते में कुछ दिन ऐसे रखिए, जब आप कोई खर्च न करें.

निवेश करना सीखें

अपनी बचत और निवेश को एक कैटेगरी में न रखें. अपनी बचाई हुई राशि को एक तरफ रख दें और निवेश के लिए निकाली रकम को स्टॉक्स, बॉन्ड, म्यूचुअल फंड्स आदि में लगाएं.

आप अपनी रिस्क की क्षमता को देखते हुए निवेश करें. अगर ज्यादा रिस्क ले सकते हैं तो इक्विटी मार्केट और इक्विटी लिंक्ड म्यूचुअल फंड्स में पैसा लगाएं. म्यूचुअल फंड में निवेश करते समय निवेश के लिए सही फंड को बेहद ध्यान से चुनें

सुरक्षित रिटर्न के लिए सरकारी बॉन्ड्स में निवेश करें. लेकिन पहले अपने लक्ष्य को हासिल करें और फिर निवेश करें.

सुरक्षा का ख्याल

कोविड ने हमें जिंदगी के महत्व के समझाया है. इसकी कोई गारंटी नहीं है कि हम कितना लंबा जी पाएंगे. इसलिए अपने परिवार और अगली पीढ़ी की सुरक्षा के लिए कुछ समझदारी भरे फैसले लेने होंगे.

तो टर्म इंश्योरेंस, हेल्थ इंश्योरेंस और एक्सीडेंटल डेथ इंश्योरेंस जिंदगी में होना बेहद जरूरी है. ये न होने की स्थिति में आपको और परिवार को मुसीबत का सामना करना पड़ सकता है.

टैक्स

शैक्षणिक संस्थान में नौकरी करने वाली पल्लबी घोष रॉय ने 30 साल के दौर में टैक्स को लेकर सही प्लानिंग नहीं करने पर परेशान का सामना करना पड़ा. लेकिन आप इन गलतियों से सीख सकते हैं.

टैक्स एक्ट के मुताबिक अलग-अलग मदों में अपने टैक्स की कटौती को आप बचा सकते हैं. वास्तव में, टैक्स बचाने के लिए छूट और कटौती के 70 विकल्प हैं जिनके माध्यम अपनी रकम को बचा सकते हैं.

आप निवेश के जरिए 80 सी सेक्शन के तहत सबसे ज्यादा टैक्स बचा सकते हैं. इसमें आप 1.5 लाख रुपए तक का निवेश कर सकते हैं.

इसके अलावा 80 D के तहत आप अपने और परिवार के लिए खरीदे गए हेल्थ इंश्योरेंस के प्रीमियम को दिखा सकते हैं. 80CCD, 80E और दूसरे सेक्शन भी आपकी मदद के लिए है. इसलिए समझदारी और टैक्स विशेषज्ञ की मदद लेकर अपना निवेश करें.

रिटायरमेंट प्लानिंग

रिटायरमेंट जिंदगी का सबसे कठिन दौर माना जाता है, ये और भी मुश्किल भरा हो सकता है अगर आप अच्छी प्लानिंग नहीं करेंगे.

रिटायरमेंट फाइनेंशियल प्लानिंग के लिए दो स्टेप प्रोसेस है. पहला रिटायरमेंट के लिए पैसों की बचत और दूसरा अपनी संपत्ति के जरिए और पैसा बनाना. रिटायरमेंट के लिए फंड तैयार करना और रिटायरमेंट के बाद इनकम हासिल करना दो अलग चीजें हैं.

आपको इन दोनों बातों का पहले से ही ध्यान देना चाहिए. एनपीएस, पीपीएफ और ईपीएफ में छोटा लेकिन लगातार होने वाला कॉन्ट्रिब्यूशन भविष्य में काफी मददगार साबित हो सकता है.

इसके अलावा आपको रिटायरमेंट के बाद अर्जित आय का ख्याल रखना चाहिए. ये बेहद जरूरी है कि रिटायरमेंट के बाद आप फंड का सही इस्तेमाल कैसे करते हैं. सही जगह निवेश करने पर आप लगातार आय अर्जित कर सकते हैं.

आखिरी बात

पूरी जिंदगी फाइनेंशियल प्लानिंग करना एक कठिन काम है. आपको समय के साथ प्लानिंग करनी चाहिए. लेकिन एक बात जरूर समझनी चाहिए कि किसी भी निवेश से पहले विशेषज्ञ की सलाह लें. वरना आपको गलत फैसलों के चलते आर्थिक दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है.

आपकी मेहनत की कमाई को आपकी सहायता और देखभाल की आवश्यकता है, और तभी इसमें इजाफा होगा. जो भविष्य में आने वाले कठिन समय में आपकी मदद करेगा.

Published - August 2, 2021, 04:24 IST