पैसिव इन्वेस्टमेंट काफी पॉपुलर हो रहा है. पिछले कुछ सालों में जागरूकता बढ़ने, डिजिटल एडेप्टेशन और प्रोडक्ट इनोवेशन के कारण इन्वेस्टर्स ने एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड (ETF) पर भरोसा दिखाया. जिन निवेशकों को निवेश का कोई ज्ञान या अनुभव नहीं है, वो बेहतर रिटर्न के जरिए अपने फाइनेंशियल गोल तक पहुंचने के लिए म्यूचुअल फंड का विकल्प चुनते हैं. म्यूचुअल फंड दो तरह के होते हैं. एक्टिव और पैसिव.
एक्टिव म्यूचुअल फंड स्कीम
इन फंड को फंड मैनेजरों द्वारा मैनेज किया जाता है और स्कीम की स्ट्रेटजी तैयार करने के लिए बहुत रिसर्च और एनालिसिस की जरूरत होती है. एक्टिव इन्वेस्टमेंट एक प्रोएक्टिव अप्रोच है, जिसमें अक्सर खरीद-बिक्री के फैसले होते हैं. जिन्हें इनफ्लो और प्राइस फ्लक्चुएशन के आधार पर लिया जाता है. रिटर्न की तुलना बेंचमार्क इंडेक्स जैसे निफ्टी और बैंक निफ्टी आदि से की जाती है. स्ट्रेटजी मार्केट कैपिटलाइजेशन, इकोनॉमिक सेक्टर, कंपनी वैल्यूएशन और AMC एंड फंड मैनेजर द्वारा चुनी गई अन्य थीम पर आधारित सकती है. इन फंडों का पोर्टफोलियो सिक्योरिटीज के साथ गहरा संबंध है और इकोनॉमिक वेरिएबल में बदलाव पर ज्यादा वोलैटिलिटी देख सकते हैं जैसे:
क्लाइंट नॉलेज- फंडामेंटल अंडरस्टैंडिंग और हायर रिस्क सहने की क्षमता रखने वाले इन्वेस्टर एक्टिव फंड में इन्वेस्ट करने के बारे में सोच सकते हैं.
स्ट्रेटजी फॉर्मूलेशन- यह रिस्क-रिवार्ड रेशियो, इकोनॉमिक प्रोस्पेक्ट, डेटा एनालिसिस जैसे कई पैरामीटर पर आधारित होती है और इसमें कॉम्प्लेक्स एल्गोरिदम शामिल हो सकती है.
मैनेजमेंट- फंड मैनेजर स्कीम मैनेज करता है और स्ट्रैटेजी के अनुसार अलग-अलग इन्वेस्टमेंट अपॉर्च्युनिटी पर नजर रखता है.
रिस्क- इसमें अपेक्षाकृत (रिलेटिवली) ज्यादा रिस्क होता है.
रिटर्न- इसमें अपेक्षाकृत ज्यादा रिटर्न मिलता है.
फीस- हायर एक्सपेंस रेशियो
पोर्टफोलियो- पोर्टफोलियो रीबैलेंसिंग कई बार होता है.
उदाहरण- SBI लार्ज एंड मिडकैप फंड.
पैसिव म्यूचुअल फंड स्कीम
इन फंडों को फंड मैनेजरों द्वारा पैसिवली मैनेज किया जाता है और स्कीम की स्ट्रेटजी तैयार करने के लिए बहुत ज्यादा रिसर्च और एनालिसिस की जरूरत नहीं होती है. पैसिव इन्वेस्टमेंट खास तौर से उन निवेशकों के लिए है, जो सही फंड को क्लासीफाई करने की कॉम्प्लिकेशन नहीं चाहते हैं. रिटर्न की तुलना अन्य एसेट क्लास और बेंचमार्क इंडेक्स जैसे निफ्टी और बैंक निफ्टी आदि से की जाती है.
(लेखक अलंकित में मैनेजिंग डायरेक्टर हैं, व्यक्त किए गए विचार उनके निजी हैं.)