NPF vs EPF: दोनों सेविंग स्कीमों में क्या है अंतर, किसे चुनें?

NPF vs EPF: दोनों स्कीमों में से कौन सी चुनी जाए, इसका फैसला अपनी जोखिम उठाने की क्षमता, पैसों की जरूरत, रिटर्न की उम्मीदों के मुताबिक किया जा सकता है

How to make arrangements to maintain income even after retirement

image: pixabay, रिटायरमेंट प्लानिंग के लिए सबसे जरूरी है कि आप अपने निवेश पोर्टफोलियो को डायवर्सिफाई करें.

image: pixabay, रिटायरमेंट प्लानिंग के लिए सबसे जरूरी है कि आप अपने निवेश पोर्टफोलियो को डायवर्सिफाई करें.

फाइनेंशियल प्लानिंग करते समय रिटायरमेंट के बाद के लिए पैसे जुटाना बेहद जरूरी होता है. निवेशकों के सामने दो प्रचलित विकल्प हैं, नेशनल पेंशन स्कीम (NPS) और एंप्लॉयीज प्रॉविडेंट फंड (EPF), जिनमें वे भविष्य के लिए फंड जमा कर सकते हैं. इन दोनों में क्या अंतर है और कैसे सही स्कीम चुनें, आइए समझते हैं.

नेशनल पेंशन स्कीम (NPS) क्या है
नेशनल पेंशन स्कीम एक सरकारी योजना है, जिसमें अपनी इच्छा अनुसार हिस्सेदारी देनी होती है. न्यूनतम 500 रुपये इसमें निवेश किए जा सकते हैं. इस स्कीम में आपकी बचत मार्केट से जुड़ी होती है. यह कुछ-कुछ म्यूचुअल फंड जैसा होता है, मगर यहां लक्ष्य सिर्फ रिटायरमेंट से जुड़ी सेविंग्स होती हैं. इनसे कोई तय रिटर्न नहीं मिलता है. यह स्कीम मैनेजर और बाजार के प्रदर्शन पर निर्भर करता है. योजना का हिस्सा बनने वालों को आयकर अधिनियम के तहत टैक्स में बचत भी मिलती है.

एंप्लॉयीज प्रॉवि़डेंट फंड (EPF) क्या है
ऑर्गनाइज्ड सेक्टर में काम करने वालों की रिटायरमेंट के बाद की वित्तीय जरूरतों को पूरा करने के लिए यह सरकारी फंड बनाया गया है. EPF में शामिल कर्मचारियों को बेसिक सैलरी और कुछ अलाउएंस मिलाकर बनने वाले वेतन का कम से कम 12 प्रतिशत हिस्सा फंड में जाता है.

वॉलेंटरी तौर पर कर्मचारी चाहें तो पूरी मासिक बेसिक सैलरी को फंड में डाल सकते हैं. सेवानिवृत्त होने पर उन्हें तब तक जमा हुई कुल राशि ब्याज समेत वापस मिल जाती है.

फाइनेंशियल बिल 2021 में प्रस्ताव रखा गया है कि PF में कर्मचारी का योगदान अगर ढाई लाख रुपये प्रति वर्ष के पार जाता है तो उसपर मिलने वाले रिटर्न पर टैक्स लगेगा. इससे उनपर अधिक फर्क पड़ेगा, जिनकी बेसिक सैलरी अधिक है.

EPS और NPS में क्या अंतर है
दोनों योजनाओं के बीच मुख्य अंतर यह है कि EPF का हिस्सा केवल कर्मचारी बन सकते हैं. जबकि, NPS में किसी भी सेक्टर के कारोबारी, सरकारी या प्राइवेट वर्कर निवेश कर सकते हैं. केवल सशस्त्र बल इसका हिस्सा नहीं बन सकते.

NPS या EPF, कैसे चुनें
दोनों स्कीमों में से कौन सी चुनी जाए, इसका फैसला कुछ बातों को ध्यान में रखते हुए किया जा सकता है. आप कितना जोखिम उठा सकते हैं, आपको पैसों की कितनी जरूरत है, कितने रिटर्न की उम्मीद कर रहे हैं, इनके आधार पर फैसला कीजिए.

प्रॉविडेंट फंड में मिलने वाले रिटर्न पर ब्याज दर तय होती है. वहीं, NPS का रिटर्न नेट एसेट वैल्यू पर निर्भर करता है. जो लोग बिना जोखिम उठाए, सुरक्षित रूप से रिटर्न पाना चाहते हैं, उनके लिए EPF बेहतर विकल्प है. जिनका लक्ष्य अधिक रिटर्न पाना है, वे NPS में निवेश कर सकते हैं. यहां जोखिम अधिक है, मगर साथ ही ज्यादा रिटर्न पाने का मौका भी.

Published - August 9, 2021, 05:37 IST