Mutual Funds में निवेश से पहले अपनी रिस्क उठाने की क्षमता को पहचानें

Mutual Funds: यदि आपके पास अपने इन्वेस्टमेंट के रिटर्न लिए लंबे समय तक इंतजार करने की क्षमता है, तो आप ज्यादा रिस्क लेना चाहेंगे.

Mutual Funds:

निफ्टी हेल्थकेयर टोटल रिटर्न इंडेक्स इसका बेंचमार्क होगा. यह न्यू फंड आफर (NFO) 18 अक्टूबर यानी सोमवार से निवेश के लिए खुल चुका है. निवेशक इसमें 1 नवंबर 2021 तक पैसे लगा सकते हैं

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Mutual Funds: एक म्यूचुअल फंड इन्वेस्टर के तौर पर, आप फाइनेंशियल एडवाइजर से ये जरूर सुनते रहते होंगे कि कई दूसरे फैक्टर्स के साथ Mutual Funds में इन्वेस्टमेंट आपके रिस्क लेने की क्षमता पर निर्भर करता है. इसके अलावा, आपने फाइनेंशियल एडवाइजर और डिजिटल प्लेटफॉर्म पर कई रिस्क कैपेसिटी टेस्ट को देखा होगा जो किसी की रिस्क उठाने की कैपेसिटी को मापते हैं, जिसे स्टैंडर्ड रिस्क प्रोफाइलिंग या साइकोमेट्रिक टेस्ट कहा जाता है. कई थंब रूल हैं जिनका इस्तेमाल इसके लिए किया जा सकता है.

नियो मनी के बिजनेस हेड स्वप्निल भास्कर के मुत‍ाबिक  “रिस्क कैपेसिटी पहचानने का सबसे पॉपुलर रूल है-100 में से अपनी उम्र को घटाने पर जो नंबर आए उतना रिस्की इन्वेस्टमेंट करें जैसे इक्विटी में.

उदाहरण के लिए, यदि आपकी उम्र 30 साल है, तो आपका रिस्की इन्वेस्टमेंट आपके पोर्टफोलियो का 70% (100 – 30) हो सकता है.”

ध्यान देने वाली बातें

जब इन्वेस्टमेंट की बात आती है, तो ज्यादातर लोग अपनी इंडिविजुअल पर्सनालिटी के हिसाब से इन्वेस्टमेंट करते हैं. कम रिस्क वाला इन्वेस्टमेंट किसी ऐसे व्यक्ति को सूट कर सकता है जो हमेशा जीवन के हर क्षेत्र में सेफ खेलना चाहते हैं.

LXME की फाउंडर प्रीति राठी गुप्ता ने कहा, “ज्यादातर लोग अपनी पर्सनालिटी को अपने इन्वेस्टमेंट में ले जाते हैं.

इसलिए, जो लोग जिंदगी में किसी भी तरह का रिस्क नहीं लेते वो इन्वेस्टमेंट भी कम रिस्क वाला चुनते हैं और जो लोग जिंदगी में रिस्क लेना पसंद करते हैं वो इन्वेस्टमेंट में भी.”

अपने इन्वेस्टमेंट गोल की पहचान करना जरूरी है. यह फाइनेंशियल ऑब्जेक्ट को पाने के लिए पैसा इकट्ठा करने के बारे में हो सकता है या अपने फंड को इन्फ्लेशन से सुरक्षित रखने के बारे में.

उम्मीदें गोल पर आधारित होती हैं. एक व्यक्ति की उम्र काफी हद तक निर्धारित करती है कि वो क्या उम्मीद कर सकते हैं.

गुप्ता ने कहा, “युवा लोगों के पास समय होता है और इसलिए, आम तौर पर, ज्यादा रिस्क लेने की क्षमता होती है.”

वेल्थ बनाने में समय और पैसा लगता है, चाहे उम्र कुछ भी हो. यदि आप लंबे समय तक इन्वेस्ट करते हैं, तो आपके प्रॉफिट कमाने की संभावना बढ़ जाती है, और आपके पैसे डूबने की संभावना कम हो जाती है.

यदि आपके पास अपने इन्वेस्टमेंट के रिटर्न लिए लंबे समय तक इंतजार करने की क्षमता है, तो आप ज्यादा रिस्क लेना चाहेंगे. दूसरी ओर, यदि जल्दी पैसे की जरूरत हो तो कम रिस्क वाले इन्वेस्टमेंट को सिलेक्ट किया जाएगा.

जैसे-जैसे आप अपने फाइनेंशियल गोल के करीब आते हैं, अपने पैसे को कम रिस्क वाले इन्वेस्टमेंट में इन्वेस्ट करें, भले ही रिटर्न थोड़े समय के लिए कम हो.

रिस्की इन्वेस्टमेंट से धीरे धीरे एक्सपोजर कम करें

भास्कर ने कहा, “मेरी राय में, प्रैक्टिकली कोई भी रिस्की इन्वेस्टमेंट में वाले धीरे-धीरे एलोकेशन बढ़ाना शुरू कर सकता है और उस पॉइंट तक जहां आप स्टैस में रहने लगते हैं (जैसे मार्केट की वोलैटिलिटी के बारे में दिन-रात सोचना).

उसके बाद, उस पॉइंट से, रिस्की इन्वेस्टमेंट से धीरे धीरे एक्सपोजर कम करें ताकि कंफर्टेबल रह सकें.”

रिस्क लेने की क्षमता और आपके ऊपर डिपेंडेंट लोगों की संख्या के बीच विपरीत संबंध है. उदाहरण के लिए, एक युवा अविवाहित व्यक्ति शादी करने से पहले ज्यादा रिस्क उठा सकता है.

यदि आपको अपने पेरेंट्स की फाइनेंशियल मदद करनी है और अपने बच्चों की एजुकेशन का खर्च उठाना तो सेफ इन्वेस्टमेंट करें. जिन पर भले ही रिटर्न कम मिलेगा लेकिन रिस्क भी कम होगा.

म्यूचुअल फंड में इन्वेस्टमेंट अपनी पर्सनालिटी के हिसाब से नहीं अपनी रिस्क कैपेसिटी के हिसाब से करें.

Published - October 14, 2021, 12:20 IST