Mutual Funds: मार्केट में चल रही तेजी और इंटरेस्ट रेट में अब तक के सबसे निचले स्तर ने निवेशकों को निवेश के विकल्प तलाशने के लिए मजबूर कर दिया है.
म्यूचुअल फंड (Mutual Funds) का इन्वेस्टर बेस मार्च 2017 के अंत में 1.19 करोड़ से 30 जून 2021 तक दोगुना होकर 2.39 करोड़ हो गया.
म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री में निवेशकों की संख्या यूनिक PAN (परमानेंट अकाउंट नंबर) द्वारा गिनी जाती है. इसमें इंडीविजुअल और कॉर्पोरेट दोनों शामिल होते हैं.
एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (AMFI) के CEO एनएस वेंकटेश द्वारा मंथली कॉन्फ्रेंस कॉल में साझा किए गए डाटा के अनुसार, यूनिक PAN नंबरों में इजाफा खास तौर से वित्त वर्ष 2022 की पहली तिमाही में काफी तेज था.
म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री ने तिमाही में 11 लाख से अधिक यूनिक PAN नंबर जोड़े, जो 2.28 करोड़ से बढ़कर 2.39 करोड़ हो गए. पिछले वित्त वर्ष में 20 लाख निवेशक जोड़े गए थे, जिससे गिनती 2.08 करोड़ से बढ़कर 2.28 करोड़ हो गई थी.
Money9 के साथ एक इंटरव्यू में, मॉर्निंगस्टार इंडिया में एसोसिएट डायरेक्टर- मैनेजर रिसर्च, हिमांशु श्रीवास्तव ने बताया कि म्यूचुअल फंड में निवेशकों की भागीदारी की इस तेजी का कारण ‘म्यूचुअल फंड – सही है’ कैंपेन की सफलता है, जिसे 2017 में शुरू किया गया था.
इस कैंपेन के जरिए लोगों को म्यूचुअल फंड के बारे में जानकारी दी गई. मीडिया में भी म्यूचुअल फंड को काफी कवरेज मिला. लोगों को लगने लगा कि उनके पोर्टफोलियो में म्यूचुअल फंड को भी जगह मिलनी चाहिए.
इससे न केवल मेट्रो या टियर I शहरों में बल्कि टियर II और III शहरों में भी इन्वेस्टर बेस बढ़ा. ये बस म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री की शुरुआत है और मौजूदा इन्वेस्टर बेस को आइसबर्ग की टिप की तरह देख सकते हैं.
उनके मुताबिक पिछले एक साल में इक्विटी मार्केट की परफॉर्मेंस ने भी निवेशकों को आकर्षित किया है. उन्होंने कहा, “महामारी की पहली लहर में मार्केट में आई भारी गिरावट के बाद भी निवेश में बने रहे लोगों को मिले भारी रिटर्न ने म्यूचुअल फंड में लोगों का विश्वास बढ़ाया है.”
ज्यादा से ज्यादा निवेशक SIP का विकल्प चुन रहे हैं, जिससे SIP निवेश बढ़कर 9,155 करोड़ रुपये हो गया है. इसके अलावा, जून में SIP खाते बढ़कर 4.02 करोड़ हो गए और AUM 4.84 लाख करोड़ रुपये हो गया.
यह दिखाता है कि निवेशक समझदार हो रहे हैं. वो महसूस कर रहे हैं कि मार्केट को टाइम करना आसान नहीं है ऐसे में उन्हें SIP एक बेहतर विकल्प नजर आ रहा है.
हिमांशु श्रीवास्तव के मुताबिक “पिछले कुछ सालों में मार्केट में आए उतार-चढ़ाव ने SIP की ओर लोगों को ध्यान खींचा है. निवेशकों ने इस बात को समझ लिया है कि मार्केट को टाइम करना संभव नहीं है.
ऐसा करने के प्रोसेस में वो निवेश के अवसरों से चूक जाते हैं. दूसरी ओर SIP उन्हें मार्केट के रिस्क से सुरक्षित रखती है और मार्केट में उथल-पुथल के दौरान निवेश के अवसरों को बेहतर ढंग से भुनाने में मदद करती है.”