Asset Allocation: म्यूचुअल फंड में निवेश की विभिन्न रणनीतियों में एसेट अलोकेशन यानि, परिसंपत्ति आवंटन को सबसे महत्वपूर्ण पहलुओं में से एक माना जाता है. दुर्भाग्य से, बड़ी संख्या में रिटेल इंवेस्टर इसकी उपेक्षा करते हैं और कुछ एसेट क्लास में अधिक या कम निवेश करते हैं जो उनके दीर्घकालिक वित्तीय हितों को नुकसान पहुंचा सकते हैं. अपने पोर्टफोलियो की वोलेटिलिटी (उतार-चढाव) कम करने के लिए एसेट अलोकेशन बेहतरीन हथियार है. यदि आप भी एसेट अलोकेशन रणनीति से अपने पोर्टफोलियो को बेहतर और प्रभावी बनाना चाहते है तो नीचे दिए गए पहलुओं पर विचार करने से यह काम आसान हो सकता है.
याद रखें रिस्क और रिटर्न के बीच गहरा संबंध हैं. आपको अलग-अलग वित्तीय लक्ष्यों के लिए सही मात्रा में जोखिम उठाना चाहिए – कम या ज्यादा नहीं. आपको अपनी जोखिम लेने की क्षमता का आकलन करना चाहिए. आपकी आयु, प्रयोज्य आय (disposable income), गैर-विवेकाधीन व्यय (non-discretionary expenses), संपत्ति और देनदारियां क्या है यह अच्छी तरह से जान ले. आपको जोखिम लेने की अपनी क्षमता और अपनी जोखिम सहने की क्षमता के बीच अंतर करना चाहिए.
आपने शोर्ट-टर्म, मीडियम-टर्म और लोंग-टर्म के लिए जो लक्ष्य तय किए है, उन सबको एक समान महत्व देना चाहिए. निवेशक हमेशा लोंग-टर्म टार्गेट के मुकाबले शोर्ट-टर्म टार्गेट को ज्यादा महत्व देते है, और उसमें निवेश की मात्रा बढा देते है, ऐसा ना करे. यदि आप सभी टार्गेट को पर्याप्त महत्व देकर एसेट अलोकेशन करेंगे तो आसानी से सारे लक्ष्य हासिल कर सकेंगे.
हर किसी निवेशक की वित्तीय स्थिति एक समान नहीं होती और उसकी शोर्ट-टर्म और मीडियम-टर्म की तरलता आवश्यकता भी अलग-अलग होती है. आपको अपनी तरलता की आवश्यकता सुनिश्चित करनी चाहिए. ऐसा करने से ही शोर्ट-टर्म और मीडियम टर्म के लिए कहां निवेश करना है वह पता करना आसान होगा. शोर्ट-टर्म जरूरतों को पूरा करने के लिए अपने पोर्टफोलियो में ऐसे प्लान रखें जिसमें पर्याप्त तरलता हो और किसी भी आकस्मिकता को पूरा करने के लिए कुछ आकस्मिक धन सुनिश्चित करते हो.
क्या आपके पोर्टफोलियो में ज्यादातर इक्विटी स्कीम है या आपका अधिकांश निवेश कम रिटर्न वाली बैंक FD में है तो आपको विभिन्न लक्ष्यों के लिए आवश्यक इष्टतम मिश्रण बनाना होगा. आप या तो ज्यादा जोखिम लेते है या बहुत ही कम. ऐसा करने से दूर रहे.
अलग-अलग एसेट क्लास, निवेश की अवधि और आपको होने वाली आय डिविडंड है या केपिटल गेइन उसके आधार पर टैक्स तय होता है. आपको कम से कम टैक्स चुकाना पडे उस तरह से निवेश करना चाहिए. एसेट अलोकेशन करते वक्त यह सुनिश्चित करना भी जरूरी है.
उपर बताए गए पहलुओं पर विचार करने के बाद ही अपने म्यूचुअल फंड पोर्टफोलियो में एसेट अलोकेशन रणनीति लागू करे. यदि ऐसा करने में आप परेशानी का सामना कर रहे है, तो वित्तीय सलाहकार की मदद ले सकते है.