IRR और NPV के बीच का अंतर समझकर जानिए इन्वेस्टमेंट पर मिलेगा कितना रिटर्न

जब किसी प्रोजेक्ट की लागत और उसके अनुमानित रिटर्न की गणना करने के लिए कैपिटल बजटिंग की जाती है, तो NPV और IRR सबसे अधिक उपयोग किए जाते हैं.

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pixabay, अगर किसी निवेश की Net Present Value Positive मिली तो उसमें निवेश किया जा सकता है

pixabay, अगर किसी निवेश की Net Present Value Positive मिली तो उसमें निवेश किया जा सकता है

जब किसी प्रोजेक्ट की लागत और उसके अनुमानित रिटर्न की गणना करने के लिए कैपिटल बजटिंग की कवायद की जाती है, तो दो टूल सबसे अधिक उपयोग किए जाते हैं. ये नेट प्रेजेंट वैल्यू (NPV) और इंटरनल रेट ऑफ रिटर्न (IRR) हैं. किसी परियोजना का मूल्यांकन करते समय, यह आमतौर पर माना जाता है कि इन दो मापदंडों का मूल्य जितना अधिक होगा, निवेश उतना अधिक लाभदायक होगा.

नेट प्रेजेंट वैल्यू (NPV)

NPV एक फाइनांसियल टूल है जिससे हम दो प्रोजेक्ट को कम्पेर कर ये जान सकते हैं की कौन सा प्रोजेक्ट हमें ज्यादा रिटर्न्स देगा. एनपीवी टाइम वेल्यू ओफ मनी पे आधारित है यानी हमारे पास आज की तारीख में जो पैसा है उसकी एक साल बाद जो वेल्यू है वो इंफ्लेशन या कोइ और कारण से कम हो जाती है. तो NPV हमें मदद करता है ये जानने में की जो पैसा फ्यूचर में मिलेगा उसकी आज की वेल्यू क्या होगी. आप किसी इंवेस्टमेंट प्रोडक्ट की वेल्यू जान सकते है या किसी प्रोडक्ट में इंवेस्टमेंट कर चूके है तो आप अपनी NPV से कैलकुलेट कर सकते है की आपको उस प्रोडक्ट से टोटल वेल्यू कितनी मिली है. आप एक कंपनी की वेल्यू भी लगा सकते है.

अगर किसी निवेश की Net Present Value Positive मिली तो उसमें निवेश किया जा सकता है और अगर Negative मिली तो उसमे निवेश नहीं किया जा सकता, ऐसा हम कह सकते है. किसी भी निवेश की NPV जानने के लिए हमें उसमे निवेश से भविष्य में मिलने वाले कुल Cash Flow की Present Value को आज निवेश कि जाने वाली राशि में से घटाया जाता है. इस की गणना में डिस्काउंट रेट यानी एक्सपेक्टेड रिटर्न का काफी महत्व रहता है.

Net Present Value= Present Value of Cash out Flow-Present Value of Cash in Flow

उदाहरण से इसको समझते हैं. मान लो एक कार रेंटिंग कंपनी तय करती है की एक नए रुट पे गाडी चलानी चाहिए या नहीं. अब ये उस पर डिपेंड करेगा की उसको इस रुट पर एक्सपेक्टेड रिटर्न मिलता है की नहीं. मान लो कंपनीने इसके लिए 10 लाख की एक कार खरीदती है. अब पांच साल में उसको कितना रिटर्न मिलेगा उसकी गणना करते हैं. मान लो पहले साल 1.50 लाख, दूसरे साल 2 लाख, तीसरे साल 3 लाख, चौथे साल 2.5 लाख और पांचवे साल में 6 लाख रुपये इनकम हुइ. यानी पांच साल में 15 लाख रुपये कमाइ हुइ. मान लो इसका डिस्काउंट रेट 12% है. यानी कंपनी 12% रिटर्न मान के चल रही है. pv=fv/(1+r)n.इस फोर्मुले से हर साल मिलने वाले रिटर्न की गणना करने पर पांच साल में कुल 6237 का पोजिटिव रिटर्न मिलता है यानी इसमें इंवेस्ट किया जा सकता है. इसको आप गुगल शीट में भी कैलकुलेट कर सकते हैं.

इंटरनल रेट ऑफ रिटर्न (IRR)

जब भी आप किसी 1 साल में एक से ज्यादा बार इनवेस्ट करते हैं तो उस पूरे इनवेस्टमेंट के वार्षिक रिटर्न को IRR कहते हैं. याद रहे की इसकी गणना सालाना ही होती है.

अब इसको एक उदाहरण से समझते हैं. मान लीजिए आपने 12,000 रुपये एक साल के लिए किसी फंड में इनवेस्ट किए और आपको 1 साल बाद 13,000 रुपये मिले. यानी आपका रिटर्न हुआ 8.33%.

लेकिन, अगर आप साल की शुरुआत से साल के अंत तक तक हर महीने की 1 तारीख को 1,000-1,000 रुपये इनवेस्ट कर रहे हैं और साल के आखिर में आपको इतना ही यानी 13,000 रुपये रिटर्न मिलता है तो आपका रिटर्न होता है 15.70%.

इसका मतबल आप एक साथ 12,000 इनवेस्ट करते हैं तो कम रिटर्न मिलता है और हर महीने थोड़ा-थोड़ा इनवेस्ट करते हैं तो आपको रिटर्न ज्यादा मिलता है. इसको IRR कहते हैं.

Published - July 20, 2021, 04:41 IST