real estate stocks: सितंबर में हाई यूरोजोन इन्फ्लेशन के कारण 3.4% पर बेंचमार्क इंडेक्स में कमजोरी के संकेत के साथ, स्लो ग्लोबल ग्रोथ और मौजूदा चीनी संकट ने ग्लोबल सेल-ऑफ (बिकवाली) को बढ़ावा दिया. इस सब के बीच, पिछले एक महीने में सेंसेक्स में सिर्फ 1.58% रैली की तुलना में BSE रियल्टी इंडेक्स 22.65% बढ़ा है. ग्लोबल सेल ऑफ के बीच इन्वेस्टर्स को इन्वेस्ट के अच्छे अवसर ढूंढने में मदद करने के लिए मनी9 ने रियल एस्टेट सेक्टर के फ्यूचर प्रोस्पेक्ट को समझने के लिए एंजेल वन के यश गुप्ता के साथ बातचीत की. पेश हैं बातचीत के संपादित अंश:
पिछली बार जब हमने बात की थी तब से BSE रियल्टी इंडेक्स 3,170 के स्तर से 29% बढ़कर 4,039 के स्तर पर पहुंच गया है. क्या अभी इस सेक्टर में पोजीशन ली जा सकती है?
हम मार्केट में सेक्टर रोटेशन देख रहे हैं. रियल एस्टेट इंडेक्स ने पिछले 10 सालों से कुछ नहीं किया है. और अब यह शुरू होने वाला है क्योंकि एक महीने के अंदर ये लगभग 25-30% तक बढ़ गया है, यह मौजूदा स्तरों से दो या तीन गुना ऊपर जा सकता है.
सप्लाई के नजरिए से देखें तो टॉप 10 शहरों में सप्लाई में कमी आ रही है. कंसोलिडेशन हो रहा है, और टॉप 10 डेवलपर्स की हिस्सेदारी पिछले पांच सालों में 10% से बढ़कर लगभग 20 से 23% हो गई है और यह जारी रहने की संभावना है.
जबकि कस्टमर के नजरिए से होम लोन का रेट घटकर 6.5% हो गया है जो दो या तीन दशक के निचले स्तर पर है. इसलिए मांग में लगातार सुधार हो रहा है और इसके साथ ही राज्य सरकारें स्टांप ड्यूटी में कटौती जैसा फायदा दे रही हैं. तो ये सभी फायदे इस सेक्टर को बढ़ावा दे रहे हैं. इसके अलावा कस्टमर गोदरेज, शोभा, प्रेस्टीज, ओबेरॉय जैसे पैन इंडिया डेवलपर्स को पसंद कर रहे हैं क्योंकि उनका ट्रैक रिकॉर्ड लोकल और अनऑर्गनाइज्ड डेवलपर्स की तुलना में अच्छा है.
जैसा कि इंडेक्स ने पहले ही 25% से अधिक का रिटर्न दे दिया है इसलिए नियर टर्म में एक या दो महीने के लिए कुछ कंसोलिडेशन की उम्मीद है. रिटेल इन्वेस्टर्स को रियल एस्टेट सेक्टर में एक बार के बजाय चार से पांच बार में पोजीशन लेनी चाहिए.
एवरग्रांडे ग्रुप सिनेरियो ने दुनिया भर में घबराहट पैदा कर दी है. क्या भारत के लिए कोई चेतावनी संकेत हैं?
अगर आप खास तौर से चीन की स्थिति देखें तो यह पहले से ही बहुत हाई डेट लेवल पर है. अगर आप भारतीय डेवलपर्स की बैलेंस शीट को देखें तो डेट लेवल इतना बढ़ा हुआ नहीं है. दरअसल पिछले डेढ़ साल में कोविड काल के दौरान कई डेवलपर्स अपने कर्ज को 20 से 35% तक कम करने में सफल रहे. अगर आप एवरग्रांडे की स्थिति को देखें, तो चीन में ऐसा नहीं हुआ, वो डेट के लेवल को बढ़ाते रहे जिससे समस्या पैदा हुई. भारत के साथ ऐसा नहीं है.
पिछले 10 सालों में, रियल एस्टेट बिजनेस थोड़ा बदल गया है, पहले डेवलपर्स को एक लैंड बैंक की जरूरत होती थी और फिर वो प्रोजेक्ट लॉन्च करते थे. लेकिन आजकल डेवलपर्स लैंडओनर्स के साथ JV कर रहे हैं. वो एक प्रोजेक्ट शुरू करते हैं, और प्रोजेक्ट को जारी रखने के लिए उन्हें कस्टमर से अच्छा अमाउंट मिलता है, उन्हें प्रोजेक्ट में किसी भी फ्रेश कैश फ्लो की जरूरत नहीं होती है. प्रोजेक्ट पूरा होने पर, वो प्रोजेक्ट का एक हिस्सा लैंडओनर्स को प्रॉफिट परसेंटेज के रूप में देते हैं जिससे प्रोजेक्ट पूरा कर ने में कम पूंजी की जरूरत होती है.
अगर आप कीमतों को देखें तो विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों में कुछ कंपनियों ने पहले ही कीमतों में 10 से 15% की वृद्धि की है. वहीं दूसरी ओर रॉ मटेरियल (कच्चे माल) की कीमतें कम होनी शुरू हो गई है. लेकिन अगर कमोडिटी की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी होती है, तो डेवलपर अपने मार्जिन को सुरक्षित रखने के लिए कीमतों में और बढ़ोतरी करेंगे.
इस सेक्टर में हमारी टॉप पिक शोभा डेवलपर्स है क्योंकि इसके पास लगभग 200 मिलियन वर्ग फुट का बेंगलुरु में एक विशाल लैंड बैंक है. इसके अलावा IT रिक्रूटमेंट ऑल टाइम हाई पर है, टॉप 10 IT कंपनियां चार से पांच लाख एम्प्लॉई को हायर करना चाहती हैं और बेंगलुरू भारत का IT हब है. शोभा के अलावा, गोदरेज प्रॉपर्टीज पर हमारी न्यूट्रल रेटिंग है.