Kargil Vijay Diwas: देश की रक्षा करने वालों को भी रक्षा की जरूरत है. आर्थिक सुरक्षा की. क्योंकि सरहद पर डटे जवान अपनी जिंदगी को दांव पर लगाए रहते हैं. इनके लिए देश की रक्षा के आगे पैसा कभी प्राथमिकता नहीं होता. एसेट्स बैंकिंग के डायरेक्टर- स्ट्रैटेजिक एडवाइजर ब्रिगेडियर जेके तिवारी (शौर्य चक्र) कहते हैं, ‘उनका लक्ष्य अलग है. वे पैसों के पीछे भागने वाले नहीं बनना चाहते.’ नौकरी के चलते हर कुछ समय पर अलग जगह पर पोस्टिंग पाने वाले फौजियों के लिए वित्तीय स्तर पर सुरक्षित होना जरूरी है. मगर, निवेश और उनके बीच कई अड़चनें मौजूद हैं.
जेके तिवारी कहते हैं कि सबसे पहली तो यही कि हर कुछ समय पर उनकी पोस्टिंग नई जगह पर हो जाती है. फिर दूर-दराज के इलाकों में रहने का मतलब हुआ कई आम सुविधाओं से दूर होना.
महीने बीत जाते हैं इंटरनेट के बिना. क्या हो रहा है दुनिया में, इससे बेखबर वे सीमा पर तैनात रहते हैं. ऐसे में बैंकिंग सेवाओं का लाभ उठा पाना मुश्किल होता है उनके लिए.
ब्रिगेडियर तिवारी कहते हैं, ‘रक्षा अधिकारी पूरे देश में कहीं भी भेजे जा सकते हैं. हर तीन-चार साल पर जगह बदलती है. बिना इंटरनेट की सुविधा के वे अपने निवेश पर हर वक्त नज़र नहीं रख सकते.
बैंकों के संपर्क में लगातार बना रहना भी उनके लिए मुमकिन नहीं है.’ इंटरनेट से दूरी के चलते वे वित्तीय स्तर पर उतने जागरूक भी नहीं होते. जवान से लेकर अधिकारियों तक, किसी को खास समझ नहीं होती है फाइनेंस की.
सीईओ कर्नल संजीव गोविला (रिटायर्ड) बताते हैं, ‘जवान हमेशा अपनी सैलरी से संतुष्ट रहते हैं. मैं उन चुनिंदा लोगों में से एक था, जिन्होंने निवेश में दिलचस्पी दिखाई.
जब तक कोई बड़ी विपत्ति नहीं आती, तब तक जवानों को इस बात का एहसास नहीं होता कि निवेश के क्या फायदे हैं. बाद में पछतावा होता है कि काश पहले इस बारे में सोचा होता.’
निवेश कितना जरूरी है, इसे लेकर जवानों को जागरूक करने के लिए एज इंस्टिट्यूट फॉर फाइनेंशियल स्टडीज और उसके डायरेक्टर वरुण मल्होत्रा जैसे लोग आगे आ रहे हैं. वर्कशॉप के जरिए फौजियों तक वित्तीय जानकारियां पहुंचा रहे हैं.
वरुण कहते हैं कि बीएसएफ जवान एक महीने में करीब 30 हजार रुपये तक कमाते हैं. इसमें से तीन हजार रुपये नेशनल पेंशन सिस्टम के तहत जमा होता है.
बाकी के 27 हजार रुपये उनकी जेब में जाते हैं. रहने-खाने का खर्चा बीएसएफ खुद उठाती है. अगर इन पैसों को वे निवेश करना शुरू कर दें, तो 18 से 19 साल में वे करोड़पति बन सकते हैं. इससे उन्हें वित्तीय आजादी मिलेगी.
निवेश जल्द से जल्द शुरू किया जाए, यही मूल मंत्र है. कर्नल गोविला कहते हैं, ‘वित्तीय जानकारियां देने के लिए मैं जो वेबिनार आयोजित करता हूं, वे मुझे काफी फायदेमंद लगते हैं.
अगर कम उम्र में निवेश की आदत पड़ जाए, तो आगे चलकर अच्छा फायदा मिलेगा. वे सीनियर बनने पर जूनियर्स को भी सिखाएंगे. ‘
बड़े पदों पर जो अधिकारी हैं, उन्हें समझना होगा कि वित्तीय जागरूकता बेहद जरूरी है. मल्होत्रा इसके लिए एक अच्छा सुझाव देते हैं. जब ऊंचे पद पर बैठा शख्स चाहेगा कि ऐसा होना चाहिए, तो आसानी से बात आगे बढ़ेगी.
सरकार को निर्देश जारी करना चाहिए कि सभी महानिदेशक अपनी रेजीमेंट में वित्तीय जागरूकता बढ़ाने पर जोर दें. मल्होत्रा कहते हैं कि बीएसएफ के बीच जागरूकता बढ़ाना उनके लिए आसान रहा क्योंकि प्रक्रिया में शीर्ष अधिकारी शामिल थे.
इस तरह पैसे पर चर्चा करना कोई अपराध नहीं. ब्रिगेडियर तिवारी कहते हैं ‘संगठन के स्तर पर वित्तीय मानसिकता बदलने के लिए ठोस प्रयास नहीं हो रहे.
सभी स्तरों पर जागरूकता अभियानों की जरूरत है. तब कहीं सीनियर्स से पैसे के बारे में बात करने में सहज महसूस करेंगे जूनियर्स. ‘
निवेश करते समय प्राथमिकता होती है वित्तीय सुरक्षा. ब्रिगेडियर बताते हैं कि ज्यादातर रक्षा अधिकारी अपने वेतन से मासिक योगदान के रूप में डीएसओपी (रक्षा सेवा अधिकारी भविष्य निधि) में निवेश करते हैं.
पीएसयू फिक्स्ड डिपॉजिट में भी वे निवेश करते हैं. इक्विटी में निवेश करने की जरूरत है. डायरेक्ट स्टॉक ना सही, म्यूचुअल फंड में ही निवेश करें.
एक बार पैसा लगाने के बाद उसे भूल जाएं. निवेश के इस बुनियादी नियम को रक्षा अधिकारी आसानी से अपना सकते हैं. उन्हें निवेश को लगातार ट्रैक करने या मार्केट के उतार-चढ़ाव के हिसाब से खरीदने-बेचने की जरूरत नहीं.
मल्होत्रा कहते हैं ‘हम लंबी अवधि के निवेश का सुझाव देते हैं. अगर इंडेक्स फंड में निवेश करें तो रेगुलर ट्रैकिंग की जरूरत नहीं. मासिक एसआईपी भर से काम बन सकता है. जरूरत है तो सिर्फ वित्तीय जागरूकता की. ‘
कर्नल गोविला सलाह देते हैं कि वित्तीय सलाहकार की भी मदद ली जा सकती है. पैसे को संभालने वाला एक शख्स मिल जाए तो ट्रांसफर होने पर भी आपको चिंता करने की जरूरत नहीं.
मगर, सबसे पहले हमें इस सोच से आगे बढ़ना होगा कि पैसे के बारे में सोचना उसके पीछे भागना है. अपने परिवार को वित्तीय सुरक्षा देना उद्देश्य है. अगर आप खुद वित्तीय रूप से सुरक्षित नहीं महसूस करेंगे, तो देश की रक्षा कैसे करेंगे?