मार्केट रेगुलेटर सेबी ने हाल ही में कई नए उपायों को मंजूरी दी है. गोल्ड के फ्रेमवर्क के अलावा, सोशल स्टॉक एक्सचेंजों ने सिल्वर एक्सचेंज ट्रेडेड फंड या ETF की शुरुआत को भीमंजूरी दी. पहले, सिल्वर इन्वेस्टमेंट ज्वेलरी, सिक्के और बार तक सीमित था. सिल्वर ETF इन्वेस्टर्स को इस कमोडिटी में इन्वेस्ट करने के नए तरीके मुहैया कराएगा. एंजेल वन के रिसर्च नॉन-एग्री कमोडिटीज एंड करेंसी के AVP प्रथमेश माल्या ने कहा, “यह एक तरह से गेम-चेंजर साबित होगा, जिसमें निवेशकों के पास इस एसेट क्लास में निवेशकरने के लिए रास्ते और साधन होंगे.
दुनिया भर में ETF ज्यादा लिक्विडिटी को आकर्षित करने के लिए जाने जाते हैं. इसका मतलब यह है कि निवेशक अब सिल्वर को एकअल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट ऑप्शन के तौर पर चुन सकते हैं, जिस तरह से वो फिजिकल, डिजिटल, डेरिवेटिव और ETF के माध्यम से गोल्ड में निवेश करना चुन सकते हैं.”फिंटू के फाउंडर मनीष पी हिंगर ने कहा “चूंकि गोल्ड ETF काफी समय से मार्केट में हैं और यहां तक कि निवेशकों ने भी इसमें निवेश करने में बहुत रुचि दिखाई है, हम मानते हैं किभारत में लोगों के बीच सिल्वर की भी पहले से ही है खास जगह है, सिल्वर ETF भी भारतीय बाजार में अच्छी तरह से स्वीकार किए जाएंगे.” बेसिक फीचरसिल्वर ETF से गोल्ड ETF की तरह ही ऑपरेट करने की उम्मीद है, जहां अंडरलाइंग एसेट खरीदने के बाद ही यूनिट बनाई जा सकती हैं.
नतीजतन, सिल्वर ETF का अंडरलाइंग एसेटकेवल रियल सिल्वर हो सकती है. मॉर्निंगस्टार इंडिया के डायरेक्टर- मैनेजर रिसर्च कौस्तुभ बेलापुरकर कहते हैं, “सेबी ने संकेत दिया है कि, सिल्वर ETF के गोल्ड ETF की तरह ही होने की उम्मीद है. एसेट मैनेजर भीसिल्वर ETF में निवेश करने वाले सिल्वर फंड के लॉन्च का इंतजार कर सकते हैं.”निवेशकों के लिए इसका क्या मतलब है?जिन निवेशकों ने पहले कमोडिटी में निवेश किया था, वो गोल्ड ETF के समान सिल्वर में निवेश करने की संभावना तलाश रहे थे. ऐसे निवेशकों के लिए सिल्वर ETF की शुरुआत बेहदफायदेमंद होगी, क्योंकि वो अपने स्टॉक ब्रोकिंग अकाउंट के डीमैट अकाउंट का इस्तेमाल करके सिल्वर ETF की यूनिट्स खरीद सकेंगे.
निप्पॉन लाइफ इंडिया एसेट मैनेजमेंट के हेड- ETF विशाल जैन ने कहा,”हमारा मानना है कि सिल्वर ETF के लिए फिजिकल मार्केट में पर्याप्त मात्रा है. सिल्वर ETF की शुरुआत सेनिवेशकों को फायदा होगा क्योंकि इससे कमोडिटी में उनकी होल्डिंग में डायवर्सिटी लाने में मदद मिलेगी. गोल्ड ETF में पिछले कुछ सालों में निवेशक आधार में तेजी से विस्तार देखा जारहा है, और यह जारी रहेगा क्योंकि निवेशक अधिक समझदार हो गए हैं.”एक्सपर्ट ने चेतावनी देते हुए कहा, कि गोल्ड के विपरीत, इंडस्ट्री में सिल्वर का ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है, जिसे निवेशकों को ध्यान में रखना चाहिए.
इसके अलावा, गोल्ड की तुलनामें सिल्वर ज्यादा वोलेटाइल होती है. MyWealthGrowth.com के को-फाउंडर हर्षद चेतनवाला ने कहा, “जहां तक एसेट एलोकेशन की बात है, तो आप गोल्ड को एसेट एलोकेशन इन्वेस्टमेंट मान सकते हैं और एसेट एलोकेशनके नजरिए से सिल्वर में निवेश करने की कोई वास्तविक जरूरत नहीं है.” बेलापुरकर ने कहा, “दूसरी कमोडिटी में डायवर्सिफाई एक्सपोजर चाहने वाले निवेशक सिल्वर में एक्सपोजर ले सकते हैं. निवेशकों को अपने एलोकेशन में समझदारी बरतने की जरूरत है;जबकि हाल के सालों का रिटर्न अच्छा दिख सकता है, कई दूसरी कमोडिटी की तरह सिल्वर में भी उतार-चढ़ाव रहा है.”