Successful Startups: पेटीएम (Paytm), फ्लिपकार्ट (Flipkart) से लेकर जोमैटो (Zomato) अब शेयर बाजार पर लिस्टिंग की तैयारी कर रहे हैं. इनके IPO को बंपर रेस्पॉन्स की उम्मीदें अभी से हैं. स्टार्टअप्स के तौर पर शुरू हुए इन कारोबार ने बुलिंदियां हासिल कीं और अब भारत हर महीने नए युनिकॉर्न बन रहे हैं.
युनिकॉर्न ऐसे स्टार्टअप्स होते हैं जिनकी वैल्यूएशन 1 अरब डॉलर को पार कर चुकी है. अब जब ये सफल हो चुकी हैं तो इनकी लिस्टिंग के बाद रिटेल निवेशक इनमें खरीदारी कर सकते हैं. लेकिन, अगर वाकई स्टार्टअप्स की ग्रोथ स्टोरी पर आपको भरोसा है तो आप शुरुआती स्टेज में भी निवेश कर सकते हैं.
ऐसे कई प्लेटफॉर्म हैं जो स्टार्टअप्स में निवेश करने की सुविधा देते हैं. हालांकि, इनमें निवेश के लिए आपको सामान्य तौर से ज्यादा निवेश करना पड़ेगा और रिस्क भी ज्यादा रहेगा. कई सफल स्टार्टअप्स ने अपनी शुरुआत क्राउडफंडिंग से ही की है.
भारत में ही देखें तो DPIIT के तहत 50,000 से ज्यादा स्टार्टअप्स रजिस्टर हो चुके हैं और इन स्टार्टअप्स ने लाखों को रोजगार दिया है. इन स्टार्टअप्स को आगे बढ़ने के लिए चाहिए फंडिंग जो कई वेंचर कैपिटल्स के जरिए जुटाई जाती है.
आम निवेशक भी अलग-अलग प्लेटफॉर्म के जरिए निवेश कर सकते हैं. ध्यान रहे, ये निवेश भी SEBI और रेगुलेटरी के अंतरगत आते हैं.
लेट्स वेंचर (Let’s Venture)
इस प्लेटफॉर्म पर आप पेपरवर्क आसानी से कर सकते हैं और साथ ही कंपनी के हर तिमाही के नतीजे – मुनाफे और आय की जानकारी, युनिट्स का प्रदर्शन जैसी जानकारी पा सकते हैं. आपके निवेश की वैल्यूएशन की सालाना रिपोर्ट भी पा सकते हैं. साइन-अप करने के बाद आप अपने पसंद के स्टार्टअप चुन सकते हैं, और फाउंडर्स के साथ सवाल जवाब भी कर सकते हैं. हालांकि, इस प्लेटफॉर्म पर निवेश के लिए कम से कम 5 लाख रुपये से शुरू करना होगा. जब राउंड में जुटाई जा रही पूरी रकम इकट्ठा हो जाएगी तब आपका निवेश सफल होगा. पूरी कानूनी प्रक्रिया प्लेटफॉर्म की ओर से की जाती है और उसके बाद ही फंड ट्रांसफर करना होता है.
रिपब्लिक (Republic)
ये प्लेटफॉर्म वीडियो गेम्स, क्रिप्टोकरेंसी, रियल एस्टेट और अन्य स्टार्टअप्स (startups) में निवेश का मौका देता है. कंपनी की वेबसाइट के मुताबिक इस प्लेटफॉर्म के जरिए 10 डॉलर जैसी छोटी रकम से भी निवेश शुरू किया जा सकता है. हालांकि, ज्यादातर कंपनियां 50 डॉलर से 250 डॉलर तक का कम से कम निवेश एक्सेप्ट करती हैं. प्लेटफॉर्म पर आप स्टार्टअप का प्रोफाइल, उनके पिच देख सकते हैं. छोटा निवेश होने से आप ज्यादा स्टार्टअप्स में डायवर्सिफाई कर सकते हैं. प्लेटफॉर्म का कहना है कि यहां लिस्टेड हर स्टार्टअप में वे खुद भी निवेश करते हैं.
एंजल लिस्ट इंडिया और एंजल लिस्ट अमेरिका (AngelList)
एंजल लिस्ट इंडिया के जरिए भी आप प्री-आईपीओ कंपनियों और स्टार्टअप्स में निवेश कर सकते हैं. ये सिंडिकेट्स और एंजल फंड्स के जरिए निवेश का मौका देते हैं, लेकिन, इसमें निवेश के लिए आपकी एलिजिबिलिटी होनी चाहिए. इंडिवुजुअल निवेशक का नेट टैंजिबल एसेट कम से कम 2 करोड़ रुपये होना चाहिए और अगर वे किसी सीनियर मैनजेमेंट पोजिशन में है या उन्हें बिजनेस का अनुभव है. या फिर, उनके पास अर्ली स्टेज स्टार्टअप्स में निवेश का कुछ अनुभव है.
बतौर एक कॉरपोरेट बॉडी भी इसमें निवेश किया जा सकता है जिसका नेट वर्थ 10 करोड़ रुपये हो. वहीं, अगर आप अमेरिकी कंपनियों में पैसा लगाने चाहते हैं तो उसके लिए एलिजिबिलिटी अलग है. इसके लिए इंडिविजुअल की नेट वर्थ 10 लाख डॉलर (1 मिलियन डॉलर) होनी चाहिए.
एंजल इन्वेस्टर और मेंटर अजीत खुराना कहते हैं कि बेस्ट मैनेजमेंट और ग्रोथ और मुनाफे की सबसे बेहतरीन स्टार्टअप्स जरूरी नहीं कि आपको इन्वेस्टमेंट प्लेटफॉर्म पर मिलें. ये अधिकतर आपसी पहचान के बीच ही पैसे जुटाती हैं. इसके लिए नेटवर्किंग जरूरी है ताकि आप खुद पहचान सकें कि कौन सी कंपनियां फंड जुटाने पर काम कर रही हैं और उनमें कैसे निवेश हो रहा है. वे कहते हैं कि अगर आप प्लेटफॉर्म और एंजल प्लेटफॉर्म के जरिए निवेश कर रहे हैं तो जान लें कि ये एक पूल ऑफ फंड की तरह काम करेगा. आप भले 1 लाख रुपये के निवेश से शुरू कर रहे हों, लेकिन आगे और निवेश करने के लिए तैयार रहें. ये रेगुलेटरी जरूरत है.
दो तरह से आप स्टार्टअप में निवेश कर सकते हैं – एक तो जैसे आप लिस्टेड कंपनियों में निवेश करते हैं – आपने निवेश किया और छोड़ दिया. वहीं, दूसरी ओर आप उन कंपनियों की ग्रोथ का हिस्सा भी बन सकते हैं जैसे उनका नेटवर्क बड़ा करने में मदद करें, उन्हें क्लाइंट्स, पार्टनरशिप और कर्मचारियों से संपर्क में ला सकते हैं.
खुराना कहते हैं कि स्टार्टअप्स (startups) में किए अपने निवेश पर कुछ रिटर्न पाने के लिए आपको कम से कम 3 से 5 साल तक का समय लग सकता है. वे मानते हैं कि भारत में स्टार्टअप्स को लेकर फॉर्मल डेटा की कमी है, लेकिन अगर अमेरिकी बाजार को देखें तो स्टार्टअप एक ऐसा सेक्टर हैं जहां रिटर्न इंडेक्स निगेटिव है – यानी कई लोगों के पैसे का घाटा भी हो रहा है. यही हाल भारत में भी है.
स्टार्टअप निवेश में जोखिम जरूर है. लेकिन, आप अगर उनके इस सफर में ग्रोथ की तरफ साथ देना चाहते हैं तो आप उनके बिजनेस की मदद कर सकते हैं. जो लोग स्टार्टअप में बतौर ऐसेट क्लास निवेश करना चाहते हैं उन्हें रिटर्न के लिए बड़ा इंतजार करना पड़ सकता है. लेकिन, जो लोग इसे बतौर प्रोफेशन चुनकर इन स्टार्टअप्स की ग्रोथ का हिस्सा बनना चाहते हैं उनके लिए बड़ी कमाई का मौका है.
अजीत खुराना के मुताबिक आप जितनी जल्दी किसी स्टार्टअप (startups) में निवेश कर रहे हैं जोखिम उतना ही बड़ा है. अगर आप आइडिया स्टेज पर ही स्टार्टअप में निवेश करते हैं तो बेहद कम रकम में लगा पाएंगे लेकिन रिस्क भी उतना ही होगा. वहीं, अगर ये स्टार्टअप सफल हो जाता है तो कमाई भी उतनी ही बड़ी होगी. स्टार्टअप के शुरू होने के बाद उसमें निवेश करेंगे तो रिस्क कम रहेगा, सफलता की गुंजाइश भी होगी लेकिन थोड़ा ज्यादा पैसा लगाना पड़ सकता है और रिटर्न भी कम रहेगा.
आज के दौर में सबसे ज्यादा सफल स्टार्टअप बिजनेस को देखें तो पाएंगे कि उन्होंने पहले से ही मौजूद बिजनेस को और आसान बनाया और इसी में इन्हें ग्रोथ मिली. खुराना उदारहण के तौर पर बताते हैं कि फ्लिपकार्ट ने पहले से मौजूद रिटेल बिजनेस को बस ऑनलाइन लाने का काम किया, ठीक ऐसे ही ओला ने पहले से मौजूद कैब सर्विस का फायदा उठाना आसान बनाया. सफल होने का मंत्र है कि टेक्नोलॉजी के जरिए पहले से मौजूद जरूरतों और दिक्कतों का हल निकाला जाए, उन्हें आसान बनाकर उनमें बिजनेस का मौका खोला जाए.