Evaluate the Risk-Capacity: म्यूचुअल फंड में निवेश करने से पहले अपनी जोखिम लेने की क्षमता जान लेनी चाहिए, ऐसा विशेषज्ञ बताते हैं. अब सवाल ये है कि अपनी जोखिम लेने की क्षमता आखिर किस तरह से पता करें? क्या इसके लिए कोई टेस्ट उपलब्ध हैं, क्या इसे नापने का कोई इंटेलिजेंस हैं? कई निवेशक मानते हैं कि उनकी जोखिम लेने की क्षमता तीन श्रेणियों में आती है: निम्न, मध्यम और उच्च. वे यह भी मानते हैं कि “हम कितना जोखिम संभाल सकते हैं”, इस बात से रिस्क लेने की क्षमता का पता चलता हैं, लेकिन ये दोनों धारणाएं गलत हैं.
अधिकांश लोगों (उच्च आय वाले लोगों को छोड़कर) को अपने दीर्घकालिक पोर्टफोलियो में 50-70% इक्विटी की आवश्यकता होती हैं, लेकिन दुर्भाग्य से, अधिकांश लोगों के पोर्टफोलियो में डेट साधनों हिस्सा अधिक होता हैं. जोखिम की गणना करने का सबसे जाना-माना तरीका है अनिश्चितता के बदले स्टैंडर्ड डिविएशन का इस्तेमाल करना. कुल लोग ‘नेगेटिव डिविएशन’ (केवल नकारात्मक प्रतिफल का स्टैंडर्ड डिविएशन) का इस्तेमाल करते हैं. तर्क यह है कि कोई भी अनिश्चितता की परवाह नहीं करता बल्कि सकारात्मक रिटर्न पर ध्यान देता है.
इन्वेस्टमेंट रिस्क इस बात का पैमाना नहीं है कि हम कितना जोखिम उठा सकते हैं. इसे कोई नहीं माप सकता. अपनी रिस्क-केपसिटी पता करने के लिए हमें अपने आप को इस प्रकार के प्रश्न पूछने चाहिए, जैसे “शेयर बाजार 50% तक क्रेश होने पर आप क्या करेंगे?” सेबी पंजीकृत निवेश सलाहकार अपने क्लाइंट के साथ काम करने से पहले इस तरह की प्रश्नावली पूछता हैं, और यह एक नियामक आवश्यकता है.
इससे हमें यह पता चलता है कि हम हमारे वित्त के साथ अभी कहां पर खडे़ हैं, और हमें कहां तक पहुंचना है, और हमें इसके बारे में क्या करने की जरूरत है. ये सफर तय करने का रास्ता गलत या सही हो सकता है, और हम कितनी अच्छी या बुरी तरह जोखिम का प्रबंधन कर सकते हैं? हमारे द्वारा चुने गए प्रत्येक निवेश उत्पाद के फायदे और नुकसान क्या हैं?
दूसरे शब्दों में, जोखिम लेने की क्षमता इस बात का पैमाना नहीं है कि हम कितना जोखिम उठा सकते हैं. यह इस बात की सराहना है कि हमें कितना जोखिम उठाना चाहिए. जोखिम की भूख = जोखिम जागरूकता.
म्यूचुअल फंड हो या बैंक FD, किसी भी साधन में निवेश करने से पहले हमें अपनी जोखिम उठाने की क्षमता की पहचान करनी चाहिए, इसके लिए निवेशक कों नीचे बताई गई बातों पर ध्यान देना चाहिए.
– अपनी भविष्य की जरूरतों को पहचानें.
– समझें कि मुद्रास्फीति इन जरूरतों को कैसे प्रभावित करती है.
– यह पता करें कि, एक ऐसा पोर्टफोलियो कैसे बनाया जाए, जो टैक्स के बाद मुद्रास्फीति के करीब रिटर्न प्रदान करे?
जोखिम की तर्कसंगत परिभाषा खोजना सबसे पहला कदम है. यहां तक कि रेटिंग एजेंसियां भी जोखिम को पहचानने में गलती कर सकती हैं. रिस्क-रिटर्न का निर्धारण करने में जोखिम मुक्त बेंचमार्क रिटर्न को भी परिभाषित करना होता है. यह भी अलग-अलग हो सकता है. एक सुरक्षात्मक रवैया अपनाने वाला निवेशक सरकारी प्रतिभूतियों पर विचार कर सकता है. एक हेज फंड और सक्रिय म्युचुअल फंड शेयर बाजार सूचकांक से प्राप्त रिटर्न का इस्तेमाल ‘जोखिम मुक्त’ बेंचमार्क के तौर पर कर सकता है.