स्मार्ट इन्वेस्टर बनें, दौड़ने लगेगा रिटर्न का मीटर और होगा तगड़ा मुनाफा

म्यूचुअल फंड के निवेशकों की संख्या लगातार बढ़ रही है, लेकिन आपको एक आम निवेशक नहीं, बल्कि स्मार्ट निवेशक बनना चाहिए, और अपनी पूंजी बढ़ानी चाहिए

  • Team Money9
  • Updated Date - October 14, 2021, 12:22 IST
How to Become Smart Mutual Fund Investor, these tips will help you

Pixabay - म्यूचुअल फंड में रेगुलर के मुकाबले डायरेक्ट प्लान पसंद करने से 1-1.5 फीसदी अधिक रिटर्न मिल सकता है.

Pixabay - म्यूचुअल फंड में रेगुलर के मुकाबले डायरेक्ट प्लान पसंद करने से 1-1.5 फीसदी अधिक रिटर्न मिल सकता है.

Smart Mutual Fund Investor: निवेश करने के लिए म्यूचुअल फंड लोकप्रिय हो रहे हैं. एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड (AMFI) के आंकड़ों के मुताबिक, शेयर बाजार में तेजी का लाभ लेने में छोटे निवेशक भी पीछे नहीं हैं और सिस्टेमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) के जरिए जमकर निवेश कर रहे हैं. सितंबर में SIP ने पहली बार 10,000 करोड़ रुपये के आंकड़े को पार किया है. वेल्थ क्रिएशन के लिए म्यूचुअल फंड को काफी अच्छा विकल्प माना जाता हैं. यदि आप भी म्यूचुअल फंड निवेशक हैं, तो बेशक आपका इरादा तगड़ा रिटर्न कमाने का ही होगा. यहां कुछ टिप्स दी गई हैं, जो आपके रिटर्न को कई गुना बढ़ा सकती हैं.

रेगुलर नहीं, डायरेक्ट प्लान

डायरेक्ट प्लान को चुनने पर आपको 1%-1.5% अधिक रिटर्न मिल सकता है, क्योंकि रेगुलर प्लान में 1% से 1.5% ब्रोकरेज चुकाना पड़ता है. रेगुलर प्लान के मुकाबले डायरेक्ट प्लान का एक्सपेंस रेशियो (expense ratio) कम होता है. उदाहरणः यदि आप इक्विटी म्यूचुअल फंड के रेगुलर प्लान में 20 साल तक हर महीने 10,000 रुपये की SIP करते हैं, और मान लेते हैं कि, इसका एक्सपेंस रेशियो 2% हैं और सालाना रिटर्न 12% है, तो आपको 20 साल बाद 73.41 लाख रुपये मिलेंगे. इसकी तुलना में डायरेक्ट प्लान पसंद करते हैं तो 1% एक्सपेंस रेशियो (expense ratio) के हिसाब से 10.84 लाख रुपये ज्यादा, यानी 84.25 लाख रुपये मिलते है.

करेक्शन में टिके रहें और ज्यादा यूनिट खरीदें

जब मार्केट में बड़ी गिरावट आए या जब मार्केट मंदी के चरण से गुजर रहा हो तब आपको कम कीमत पर ज्यादा यूनिट खरीदने का मौका मिलता है. आप यदि ऐसे समय में अपनी इक्विटी SIP बरकरार रखते हैं तो इन्वेस्टमेंट कॉस्ट को एवरेज करने में मदद मिलती है. ऐसे वक्त में आपको एकमुश्त इन्वेस्टमेंट के जरिए अधिक यूनिट खरीदने चाहिए, जिसके कारण आपको वेल्थ में अधिक वृद्धि करने का मौका मिलेगा और निर्धारित लक्ष्य को बहुत ही जल्द हासिल कर पाएंगे.

एकमुश्त नहीं SIP को चुनें

एकमुश्त निवेश से अधिकतम रिटर्न हासिल किया जा सकता है, लेकिन उसके लिए आपको जब मार्केट निचले स्तर पर हो तब पैसा डालना होगा और जब मार्केट टॉप पर हो तब निकालना होगा. अब ये कोई नहीं जानता कि मार्केट का बॉटम और टॉप कहां है. इसलिए एकमुश्त के मुकाबले SIP के जरिए निवेश करने से आप धीरे-धीरे अच्छा रिटर्न कमा सकते हैं.

स्टेप-अप SIP

आप हर महीने SIP के जरिए निवेश करते हैं तो उसमें थोड़ा इजाफा करने से रिटर्न में बहुत बड़ा फायदा होता है, जिसे स्टेप-अप SIP कहते हैं. मान लीजिए, आप हर महीने 30,000 रुपये की SIP से 10 साल तक निवेश करते हैं, तो सालाना 12.5% रिटर्न के हिसाब से कुल 71.82 लाख रुपये का फंड जुटा पाएंगे.

यदि आप हर साल 10% इजाफा करते हैं, यानी पहले साल हर महीने 30,000 रुपये, फिर दूसरे साल हर महीने 33,000 रुपये, फिर 36,000 रुपये और ऐसे ही 10 साल तक निवेश करने से कुल 96.95 लाख रुपये की राशि इकट्ठा कर पाएंगे. हर साल सिर्फ 10% इजाफा करने से आप 35% ज्यादा फंड जुटा सकते हैं.

डाइवर्सिफिकेशन रखें

अपनी रिस्क-कैपेसिटी को ध्यान में रखते हुए लार्ज, मिड और स्मॉल-कैप फंड में निवेश करना चाहिए. जो निवेशक ज्यादा रिस्क ले सकते हैं, वे स्मॉल-कैप चुनें और कम-रिस्क लेने वाले निवेशक लार्ज-कैप में ही निवेश करें.

डायवर्सिफिकेशन एक सीमा के अंदर होना चाहिए, ज्यादा डाइवर्सिफइकेशन भी अच्छा नहीं है, वर्ना पोर्टफोलियो के भीतर बहुत सारे फंड के प्रदर्शन को ट्रैक करना मुश्किल हो जाएगा और यहां तक कि आपके समग्र पोर्टफोलियो रिटर्न पर भी खराब असर पड़ेगा.

पोर्टफोलियो में शामिल करें इंडेक्स फंड

जैसे डायरेक्ट प्लान सस्ते हैं वैसे ही पैसिव फंड में भी खर्च कम होता है. हांलाकि, इंडेक्स फंड का मुख्य मकसद मार्केट के इंडेक्स के परफॉर्मेंस की नकल करने का है. ऐसे प्लान में मैनेजर का जोखिम कम हो जाता है. सक्रिय तौर पर मैनेज्ड फंड में मेनेजर का एक्स्पेंस ज्यादा होने से फंड का रिटर्न कम हो जाता है, इसके मुकाबले लो-कॉस्ट, लो-रिस्क फंड्स में थोड़ा फायदा होता है.

Published - October 14, 2021, 12:22 IST