निवेशकों की पहली पसंद बन रहा इक्विटी मार्केट, यह है वजह

Equity Investment: शेयर बाजार में चल रही रैली से मंथली सिस्टेमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) बुक पहले ही 10,000 करोड़ रुपये का आंकड़ा पार कर चुकी है

  • Team Money9
  • Updated Date - September 18, 2021, 12:25 IST
here's why equity market is attracting investors, other investment options

एक्सपर्ट्स की सलाह रहती है कि निवेशक रिस्क को कम करने के लिए SIP का विकल्प भी चुन सकते हैं. नए निवेशकों को सारा पैसा एक ही जगह न लगाकर पोर्टफोलियो को डायवर्सिफाई करने का प्रयास करना चाहिए

एक्सपर्ट्स की सलाह रहती है कि निवेशक रिस्क को कम करने के लिए SIP का विकल्प भी चुन सकते हैं. नए निवेशकों को सारा पैसा एक ही जगह न लगाकर पोर्टफोलियो को डायवर्सिफाई करने का प्रयास करना चाहिए

आज के समय में स्मॉल सेविंग्स स्कीम्स पर इंटरेस्ट रेट काफी कम हो गए हैं. कंजर्वेटिव निवेशकों का पसंदीदा पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF) वर्तमान में 7.1% रिटर्न की पेशकश कर रहा है. इसी तरह सीनियर सिटीजन सेविंग स्कीम (SCSS) सिर्फ 7.4% का ब्याज दे रही है.

पहले स्मॉल सेविंग्स स्कीम्स पर इंटरेस्ट रेट को सरकारी बॉन्ड यील्ड से जोड़ा जाता था. लेकिन अप्रैल 2016 से ब्याज दर बाजार से जुड़ा है. इनका तिमाही रिव्यू पिछली तिमाही में समान maturity वाले सरकारी बॉन्ड पर एवरेज यील्ड और इसपर मार्क-अप के आधार पर होता है. पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF) पर मार्क-अप 25 बेसिस पॉइंट है. आपको बता दें कि 100 बेसिस पॉइंट 1% के बराबर होता है.

निवेशकों को लुभा रहा इक्विटी बाजार

शेयर बाजार में चल रही रैली से मंथली सिस्टेमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) बुक पहले ही 10,000 करोड़ रुपये का आंकड़ा पार कर चुकी है. गिरती ब्याज दरों के साथ-साथ इक्विटी बाजारों से मिल रहे अच्छे रिटर्न ने इक्विटी निवेश को आकर्षक बना दिया है.

इक्विटी बाजार में पहली बार निवेश करने वाले निवेशकों को लार्ज-कैप फंडों में निवेश करने की सलाह दी जाती है. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि रिस्क प्रोफाइल, समय सीमा और लिक्विडिटी की जरूरतों का आंकलन करने के बाद ही इक्विटी में निवेश करना चाहिए.

एक्सपर्ट्स की सलाह रहती है कि निवेशक रिस्क को कम करने के लिए SIP का विकल्प भी चुन सकते हैं. नए निवेशकों को सारा पैसा एक ही जगह न लगाकर पोर्टफोलियो को डायवर्सिफाई करने का प्रयास करना चाहिए. हालांकि कम ब्याज दरों को देखते हुए विकल्प की तलाश में फिक्स्ड इनकम वाले निवेशक इन विकल्पों पर विचार कर रहे हैं –

वोलंटरी प्रोविडेंट फंड (VPF)

वेतनभोगी लोग अपने वेतन का 12% एंप्लॉयीज प्रोविडेंट फंड (EPF) में जमा करते हैं. वर्तमान में EPF 8.5% की ब्याज दर प्रदान करता है. लेकिन जो लोग अधिक जमा करना चाहते हैं, वे वोलंटरी प्रोविडेंट फंड (VPF) के माध्यम से निवेश कर सकते हैं. अच्छी बात यह है कि यहां अर्जित ब्याज के साथ-साथ संचयन निकासी पर भी कोई टैक्स नहीं लगता.

लेकिन VPF बढ़ाते समय बजट में पेश किए गए नए नियमों को ध्यान में रखें. इसके मुताबिक अगर सालाना PF योगदान 2.5 लाख रुपये से अधिक है, तो अर्जित ब्याज अधिक राशि पर टैक्स के अधीन होगा. साथ ही एंप्लॉयर कंट्रीब्यूशन नहीं होने पर सीमा बढ़कर 5 लाख रुपये हो जाती है.

फ्लोटिंग रेट सेविंग्स बॉन्ड

फ्लोटिंग रेट सेविंग्स बॉन्ड में ब्याज की परिवर्तनीय दर होती है. ये बॉन्ड भारत सरकार द्वारा जारी किए जाते हैं और सात साल की लॉक-इन अवधि के साथ आते हैं. इसमें ब्याज दर 7.15% निर्धारित होती है. यह ब्याज दर हर साल 1 जनवरी और 1 जुलाई को अर्ध-वार्षिक अंतराल पर देय होती है. टैक्सेबिलिटी के मुताबिक आपके निवेश से मिलने वाले रिटर्न को आय में जोड़ा जाता है और टैक्स स्लैब के अनुसार टैक्स लगाया जाता है.

बैंक या कंपनी डिपॉजिट्स

बैंक फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) पर सालाना 5-6% का रिटर्न देती है. दूसरी ओर कॉरपोरेट डिपॉजिट बैंक डिपॉजिट की तुलना में 6-8% रिटर्न देते हैं. निवेशकों को यह समझना चाहिए कि कॉरपोरेट डिपॉजिट अधिक रिटर्न केवल इसलिए देते हैं क्योंकि वे जोखिम भरे होते हैं. इसीलिए एक्सपर्ट्स की निवेशकों को सलाह रहती है कि ज्यादा रिटर्न पाने के लिए कम रेटिंग वाली FD की तलाश न करें. इसके अलावा जमा से अर्जित ब्याज ‘अन्य स्रोतों से आय’ के रूप में टैक्स योग्य है और इसमें स्लैब दर के अनुसार टैक्स लगाया जाता है.

डेट म्यूचुअल फंड

स्माल सेविंग्स इन्वेस्टर्स बेहतर इन्फ्लेशन अडजस्टेड रिटर्न के लिए डेट म्यूचुअल फंड में निवेश करने पर भी विचार कर सकते हैं. डेट फंड विशेष रूप से, लिक्विड और अल्ट्रा-शॉर्ट ड्यूरेशन फंड इमरजेंसी के लिए लिक्विडिटी चाहने वालों के लिए उपयुक्त हैं. पिछले एक साल में उन्होंने औसतन 4 से 6% का रिटर्न दिया है. साथ ही यह बहुत अधिक टैक्स एफ्फिसिएंट होते हैं. खासकर जब आप व्यवस्थित निकासी योजना का लाभ उठाते हैं. क्योंकि आप केवल लाभ पर टैक्स का भुगतान करते हैं, न कि निकाली गई पूरी राशि पर.

Published - September 18, 2021, 12:25 IST