डेट म्यूचुअल फंड से जुड़े 5 मिथक जिनकी हकीकत आपको पता होनी चाहिए

डेट फंड के साथ कुछ मिथक जुड़े हैं जो निवेशक को इनसे दूर रखते है. निवेशकों को डेट फंड के बारे में अपना ज्ञान बढ़ाना चाहिए और इसका फायदा लेना चाहिए.

  • Team Money9
  • Updated Date - August 24, 2021, 05:13 IST
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म्युचुअल फंड कंपाउंड इंटरेस्ट प्रिंसिपल पर काम करते हैं, जहां अर्जित ब्याज के साथ प्रिंसिपल अमाउंट को लगातार आधार पर जोड़ा जाता है

म्युचुअल फंड कंपाउंड इंटरेस्ट प्रिंसिपल पर काम करते हैं, जहां अर्जित ब्याज के साथ प्रिंसिपल अमाउंट को लगातार आधार पर जोड़ा जाता है

DEBT MUTUAL FUND: रिटेल निवेशकों में डेट म्यूचुअल फंड को लेकर कुछ सामान्य मिथक हैं, जो उन्हें इन अद्भुत निवेश उत्पादों से दूर रखते हैं. इक्विटी म्यूचुअल फंड की तुलना में डेट म्यूचुअल फंड को समझना अधिक जटिल हैं, लेकिन मिथकों की वजह से इसमें निवेश नहीं करना गलत है. आपको केवल हाल के रिटर्न के आधार पर डेट फंड का चयन नहीं करना चाहिए क्योंकि डेट फंड में पॉइंट टू पॉइंट रिटर्न काफी हद तक ब्याज दर और क्रेडिट वातावरण द्वारा संचालित होते हैं. आपको हमेशा जोखिम उठाने की क्षमता और निवेश की जरूरतों के अनुसार निवेश करना चाहिए.

मिथक1ः डेट म्यूचुअल फंड्स में जोखिम ज्यादा है और रिटर्न कम है

वास्तविकताः डेट फंड में निवेश ही जोखिम कम करने के लिए किया जाता है. यदि आप इक्विटी म्यूचुअल फंड के रिटर्न से डेट फंड की तुलना करेंगे तो बेशक डेट कैटेगरी का रिटर्न कम है. रिटर्न का सीधा संबंध है रिस्क से है और चूंकि इक्विटी में रिस्क ज्यादा है इसलिए रिटर्न भी ज्यादा है, वहीं डेट में रिस्क कम होता है, इसलिए रिटर्न भी कम होता है. आप डेट फंड में निवेश करके इक्विटी की तरह 15-20% रिटर्न की उम्मीद नहीं कर सकते, क्योंकि फिक्स्ड इनकम इंस्ट्रूमेंट्स का जोखिम आमतौर पर इक्विटी से कम होता है क्योंकि फिक्स्ड इनकम इंस्ट्रूमेंट्स के जारीकर्ता को इंस्ट्रूमेंट की मैच्योरिटी पर एक निश्चित ब्याज दर और मूलधन का भुगतान करने के लिए अनुबंधित किया जाता है. आमतौर पर लंबी अवधि के डेट फंडों में अधिकांश अंतर्निहित साधन सरकारी प्रतिभूतियां हैं, जिनमें शायद कोई क्रेडिट जोखिम नहीं है क्योंकि उनके पास सॉवरेन गारंटी है.

मिथक2ः डेट फंड में लिक्विड फंड ही अच्छे हैं

वास्तविकताः लिक्विड फंड में भी क्रेडिट रिस्क होता है. ये फंड CP, CD और ट्रेजरी बिल जैसे मनी मार्केट इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश करते हैं, जिसमें CP और CD असुरक्षित इंस्ट्रूमेंट हैं. हालांकि, पिछले कुछ महीनों की घटनाओं से पता चला है कि कुछ लिक्विड फंड निश्चित अवधि में नकारात्मक रिटर्न दे सकते हैं, इसलिए निवेशकों को लिक्विड फंड की क्रेडिट गुणवत्ता प्रोफाइल और निवेश ट्रैक रिकॉर्ड की जांच करने के बाद निवेश करना चाहिए.

मिथक3ः डेट फंड के मुकाबले FD बेहतर है

वास्तविकताः पिछले रिकॉर्ड को देखते मालूम होता है कि अच्छी तरह से प्रबंधित डेट फंड ने बैंक FD से अधिक रिटर्न दिया है. यह सच है कि FD रिस्क-फ्री है और निश्चित रिटर्न की गारंटी है, वहीं डेट फंड का रिटर्न मार्केट के उतार-चढ़ाव पर निर्भर करता है. लेकिन, जैसा ऊपर बताया कि रिस्क जितना ज्यादा उतना ही रिटर्न ज्यादा. बैंक FD रिस्क-फ्री है, इसलिए बैंक ज्यादा रिटर्न नहीं देती और बैंक सरकारी बॉन्ड यील्ड से कम रिटर्न देने का प्रयास करती है, वहीं AAA रेटिंग वाले डेट फंड आपको FD की ब्याज दरों से 1.5-2.0% अधिक रिटर्न दे सकते हैं.

मिथक4ः डेट फंड बड़े निवेशकों को ध्यान में रख कर बनाए गए हैं

वास्तविकताः रिटेल इन्वेस्टर्स के पास डेट फंड के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है इसलिए डेट म्यूचुअल फंड में उनका निवेश कम है. डेट फंड्स में इंस्टिट्यूशनल इन्वेस्टर्स ज्यादा सक्रिय हैं क्योंकि वे जानते हैं कि कम रिस्क और भरपूर लिक्विडिटी के लिए यह बेहतर विकल्प है. रिटेल इन्वेस्टर्स को भी उतना ही फायदा मिलता है जितना बड़े इन्वेस्टर्स को. डेट फंड आपको कम रिस्क के साथ साथ लिक्विडिटी, टैक्स-बेनिफिट और बैंक FD के मुकाबले अच्छा रिटर्न देते हैं.

मिथक5ः सभी डेट फंड एकसमान हैं

वास्तविकताः विभिन्न प्रकार के डेट फंडों में दो मुख्य जोखिम कारक होते हैं – इंटरेस्ट रेट रिस्क और क्रेडिट रिस्क. गिल्ट और डायनेमिक बॉन्ड फंड ब्याज दर में बदलाव के प्रति अत्यधिक संवेदनशील होते हैं, जबकि लिक्विड और ओवरनाइट फंड में ब्याज दर में बदलाव के प्रति बहुत कम संवेदनशीलता होती है. इसी तरह, जो फंड मुख्य रूप से सरकारी और उच्च श्रेणी के कागजात में निवेश करते हैं, उनमें उन फंडों की तुलना में बहुत कम क्रेडिट जोखिम होता है.

Published - August 24, 2021, 05:13 IST