Floater Fund: पिछले कुछ महीनों में कई म्यूचुअल फंड हाउस ने फ्लोटर फंड (Floater Fund) लॉन्च किए हैं. जब भी ब्याज दर बढ़ती है, फ्लोटर फंड पर रिटर्न भी बढ़ता है. क्योंकि फंड मुख्य रूप से फ्लोटिंग-रेट इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश करते हैं.
फरवरी 2021 के महीने से चार फ्लोटर फंड लॉन्च किए गए हैं, जिसमें IDFC फ्लोटिंग रेट फंड, DSP फ्लोटर फंड, टाटा फ्लोटिंग रेट फंड और हाल ही में एक्सिस म्यूचुअल फंड ने एक्सिस फ्लोटर फंड लॉन्च किया है.
MyWealthGrowth.com के को-फाउंडर हर्षद चेतनवाला ने कहा “फ्लोटर फंड के रिटर्न हमेशा इंटरेस्ट रेट के आस-पास रहते हैं. यह फंड उन निवेशकों के लिए अच्छा विकल्प हैं जो अपनी पूंजी को ब्याज दर के उतार-चढ़ाव से बचाना चाहते हैं”
फ्लोटर फंड अपनी एसेट का कम से कम 65% कॉरपोरेशन, सेंट्रल और स्टेट गवर्नमेंट द्वारा जारी फ्लोटिंग-रेट बॉन्ड में निवेश करते हैं.
जब ब्याज दरें बढ़ने की उम्मीद होती है तो ये फंड अच्छा प्रदर्शन करते हैं. क्योंकि वे मौजूदा ब्याज दर के जवाब में अपनी ईल्ड को एडजस्ट कर सकते हैं.
फ्लोटिंग रेट फंड में आमतौर पर दो साल का कार्यकाल होता है और ज्यादातर AAA-रेटेड सिक्योरिटीज में निवेश करते हैं.
फिंटू के फाउंडर मनीष हिंगर ने कहा “ऐसे समय जब ब्याज दरें ऊपर जा रही हो इन फंड में निवेश एक अच्छा विकल्प है. अर्थव्यवस्था में तेजी के साथ, महंगाई देखी जाती है, जो ब्याज दर के बढ़ने का कारण बनती है.”
मार्केट एक्सपर्ट का अनुमान है कि आने वाली तिमाहियों में ब्याज दरों में धीरे-धीरे वृद्धि होने की उम्मीद है और वर्तमान में महंगाई भी ब्याज दरों में और कमी की गुंजाइश को सीमित कर देगी.
इसलिए, ब्याज दर में बढ़त का फायदा फ्लोटर फंडों को मिलने की उम्मीद है. हिंगर ने कहा “ये फंड फ्लोटिंग ब्याज दर वाली डेट सिक्योरिटीज में अपने कॉर्पस का निवेश करते हैं.
ऐतिहासिक रूप से, फ्लोटर फंड ने तीन साल के कम्पाउंडिड एनुअल ग्रोथ रेट(CAGR) रिटर्न पर लगभग 8% का अच्छा रिटर्न दिया है.
ये फंड उन शॉर्ट टर्म इन्वेस्टर के लिए सही है जो एक संभावित बढ़ती दर के माहौल को नेविगेट करना चाहते हैं” भारत में फ्लोटिंग-रेट पेपर की उपलब्धता के मामले में पर्याप्त अवसर नहीं हैं.
हिंगर ने कहा, “कम से मध्यम रिस्क वाले निवेशक जो एक साल से अधिक समय के लिए पैसा लगाना चाहते हैं, वो इन फंडों में निवेश करने पर विचार कर सकते हैं”
जब फ्लोटर फंड की बात आती है, तो रिस्क थोड़ा ज्यादा होता है क्योंकि दूसरे डेट फंड, डेट फंड के टाइप के आधार पर अलग-अलग मैच्योरिटी पीरियड वाले इंस्ट्रूमेंट में निवेश करते हैं.
चेतनवाला ने कहा “निवेशकों को फंड के पोर्टफोलियो को देखना चाहिए और निवेश करने से पहले क्वालिटी ऑफ होल्डिंग की भी जांच करनी चाहिए.
गिल्ट फंड को छोड़कर हर डेट फंड की तरह, फ्लोटर फंड भी सरकार के साथ-साथ निजी संस्थानों के डेट इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश कर सकते हैं. इसलिए फ्लोटर फंड डिफॉल्ट या क्रेडिट रिस्क उठाते हैं”