सलाह जरूरी है! फाइनेंशियल एडवाइज के लिए RIAs से संपर्क करें

financial advice: वित्तीय सलाह लेने के लिए RIA के पास जाना ही सही विकल्प है. सलाह को मानना, न मानना आप पर निर्भर है.

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पर्सनल फाइनेंस का महत्व बहुत ज्यादा है, क्योंकि यह हमारे भविष्य को तय करता है.

पर्सनल फाइनेंस का महत्व बहुत ज्यादा है, क्योंकि यह हमारे भविष्य को तय करता है.

financial advice: कोविड-19 ने भारत की अर्थव्यवस्था को पिछले 15 महीनों से हिला कर रख दिया है. इसने हजारों लोगों का जीवन बर्बाद करने के साथ-साथ लाखों लोगों को गरीब के मुहाने पर पहुंचा दिया है. कोरोना की सुनामी ने बीते एक साल से ऐसी तबाही मचाई है, जो बीते चार दशकों में कभी नहीं देखी गई. इसका दूसरा पहलू यह है कि इसने लोगों के मन में वित्तीय असुरक्षा की भावना पैदा कर दी है, यही वजह है निवेशक अपने पर्सनल फाइनेंस को लेकर पहले से ज्यादा जागरूक हो गए हैं.

इंश्योरेंस और इनवेस्टमेंट अब जबरदस्ती परोसने वाले प्रोडक्ट नहीं रह गए हैं, बल्कि लोग खुद ही इनकी ओर खींचे चले आ रहे हैं. ज्यादातर लोगों को वाजिब वित्तीय सलाह के महत्व की समझ नहीं होती. वे अपने दोस्तों, सहकर्मियों, बैंक मैनेजरों या फिर बीमा एजेंटों या अपने सीए से सलाह ले लेते हैं. अधिकततर लोगों ने तो रजिस्टर्ड इनवेस्टमेंट एडवाइजर (RIA), का नाम तक नहीं सुना होगा. बड़ी बात तो यह है कि सेबी में केवल 1300 रजिस्टर्ड इनवेस्टमेंट एडवाइजर हैं.

एक RIA फर्म, ORO Wealth के को-फाउंडर विनय कुप्पा का कहना है, “आरआईए का कॉन्सेप्ट नया है. लोगों को इनके बारे में पता नहीं होता, वे यहां तक नहीं जानते कि उन्हें इनकी जरूरत है. व्यवस्थित फाइनेंशियल प्लानिंग करने वाले अधिकतर लोगों की आमदनी 15 से 20 लाख रुपए सालाना से शुरू होती है.”

RIAs कौन होते हैं?

RIA व्यक्तिगत फाइनेंशियल एडवाइजर या एडवाइजरी फर्म होते हैं, जो अपने ग्राहकों में फाइनेंशियल प्लानिंग की सलाह देते हैं. ये सभी सेबी में रजिस्टर्ड होते हैं. बैंक मैनेजर, बीमा, म्यूचुअल फंड या टैक्स सलाहकार या फिर स्टॉक ब्रोकर सलाह देने के लिए कानूनी रूप से अधिकृत नहीं होते, जबकि ये आरआईए को कानूनी मान्यता मिली हुई होती है.
RIA का काम इनवेस्टमेंट के मामले में लोगों को सलाह देना है. वे प्रोडक्ट नहीं बेचते. अपनी सलाह के एवज में वे फीस लेते हैं. सलाह का एग्जिक्यूशन करना उन पर निर्भर नहीं करता, यदि वे ऐसा करते भी हैं तो वे जीरो कमीशन पर इनवेस्टमेंट प्रोडक्ट बेचते हैं. उदाहरण के लिए, ORO Wealth निवेशकों, ऑफलाइन मध्यस्थों और कंपनियों को जीरो कमीशन पर प्रोडक्ट पेश करती है, वो भी निष्पक्ष सलाह के साथ.

आपको RIA की जरूरत क्यों है?

जब आप ऐसे लोगों के पास जाते जो इनवेस्टमेंट प्रोडक्ट बेचते हैं, उनके सात हितों के टकराव की समस्या होती है, भले ही उनका इरादा गलत न हो. कुछ ऐसे लोग हो सकते हैं जो महंगे प्रोडक्ट बेच देते हैं, भले ही वह आपके के लिए उपयुक्त हो या न हो, लेकिन इन्हें उस पर मोटा कमीशन मिल जाता है.
सेबी ऐसे कारोबार के बिलकुल खिलाफ है. इस बारे में उसका कहना है कि प्रोडक्ट डिस्ट्रीब्यूटर्स सलाह नहीं दे सकते, और RIA प्रोडक्ट नहीं बेच सकते. वित्तीय सलाह लेने के लिए RIA के पास जाना ही सही विकल्प है. सलाह को मानना, न मानना आप पर निर्भर है या फिर जीरो कमीशन प्रोडक्ट पर आप RIA की मदद ले सकते हैं.

RIAs कितनी फीस लेते हैं?

RIA की फीस थोड़ी अधिक होती है. कम सैलरी वालों के लिए यह किफायती नहीं होती. सेबी के गाइडलाइन के मुताबिक, फीस लेने के दो प्रकार होते हैं, पहला, असेट अंडर एडवाइज(AUA) और दूसरा फीक्स्ड फीस मोड. फाइनेंशियल प्लानिंग स्टैंडर्ड बोर्ड के कंट्री हेड राजेश कृष्णामूर्ति बताते हैं, “AUA मोड पर अधिकतम फीस 2.5 फीसदी और प्रति क्लाइंट 1.25 लाख रुपए प्रति वर्ष होती है, हालांकि इनमें कुछ नियम व शर्तें भी शामिल होती हैं.”

वह आगे कहते हैं, “ये एडवाइजर सलाह देने के लिए घंटे के हिसाब से भी फीस ले सकते हैं, और फाइनेंशियल प्लान तैयार करने के लिए अलग से फीस ले सकते हैं. किसी एक वर्ष में किसी क्लाइंट से कुछ कितनी फीस ली जा सकती है, यह सेबी के नियमों के अनुसार होती है, जो फिक्स्ड फी मोड के तहत आती है.”

क्या RIA कम-सैलरी वाले ग्राहकों पर अपनी फीस कम कर सकते हैं? इस बारे में नियम ऐसे हैं कि वे ऐसा नहीं कर सकते. कुप्पा कहते हैं, “फीस स्ट्रक्चर में छूट देने की जरूरत है. बहुत कम लोग फाइनेंशियल एडवाइज के महत्व को समझते हैं. मौजूदा स्ट्रक्टर से RIA को अपना बिजनेस बढ़ाने में दिक्कत हो रही है. दूसरी बात यह है कि व्यक्तिगत RIA 150 एक्टिव क्लाइंट मिलने बाद ही कॉरपोरेट लाइसेंस के लिए आवेदन कर सकते है. सेबी ने हायरिंग के लिए योग्यताओं के मानक भी बहुत ऊंचे रखें हैं, जिसको पूरा करने में लागत बढ़ती है. इन वजहों से RIA को बड़े ग्राहकों की तलाश करनी पड़ती है.”

भले ही अभी RIA बहुतों के लिए किफायती न हों, लेकिन चीजें सही दिशा में आगे बढ़ रही हैं. कृष्णामूर्ति बताते हैं, “ सेबी से साथ इस बारे में चर्चा जारी है. जब तक फाइनेंशियल प्लानिंग से संबंधित नए नियम तैयार नहीं हो जाते, रेगुलेटर्स देश में एडवाइज गैप को कम करने की दिशा में काम करेंगे. मुझे लगता है कि फीस के प्रश्न पर हम आगे बढ़ रहे हैं.”
इस बीच, वित्तीय समझ बढ़ाने की जरूरत है. बच्चों को स्कूल में ही पर्सनल फाइनेंस की शिक्षा देनी चाहिए. वह आगे कहते हैं, “ बच्चों को जानना चाहिए पैसा क्या है, और जब बात पर्सनल फाइनेंस की हो तो उन्हें पता होना चाहिए कि क्या करना है और क्या नहीं करना है. वेल्थ तैयार करने के लिए मैं उचित फाइनेंशियल प्लानिंग पर जोर देना चाहूंगा.”

Published - July 6, 2021, 02:06 IST