FD: ज्यादातर भारतीय बचतकर्ता रूढ़िवादी हैं. फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) या रेकरिंग डिपॉजिट (RD) निवेश के लिए उनकी पहली पसंद हैं. यह सबसे सुरक्षित और सरल निवेश है, लेकिन इस बात की पूरी संभावना है कि FD के मैच्योर होने पर निवेशक ट्रैक से बाहर हो सकते हैं. हो सकता है कि उन्हें ऑटो-रिन्यूअल का विकल्प भी पता न हो. अगर आप FD क्लेम नहीं करते हैं, तो आपकी FD का क्या होगा? हमने यहां इसे समझाने की कोशिश की है.
यदि आपका फिक्स्ड डिपॉजिट या रेकरिंग डिपॉजिट मैच्योर हो गया है और आय का भुगतान नहीं किया जाता है, तो यह ‘ओवरड्यू स्टेटस’ में चला जाता है.
बंधन बैंक के प्रवक्ता ने कहा, “यह मुख्य रूप से तब होता है जब ग्राहक ने बैंक को मैच्योरिटी इंस्ट्रक्शन प्रोवाइड नहीं किए हैं या ग्राहक के पास उस बैंक में मौजूदा सेविंग / करंट अकाउंट नहीं है जहां टर्म डिपॉजिट ओपन किया गया है”
यदि आप उस बैंक में सेविंग अकाउंट रखते हैं जहां आपने अपनी FD ओपन की है, तो यदि आप FD का क्लेम नहीं करते हैं तो FD का मैच्योर्ड अमाउंट सेविंग अकाउंट में चला जाता है.
Bankbazaar.com के फाउंडर आदिल शेट्टी ने कहा “ मेच्योर अमाउंट तब लागू बचत बैंक ब्याज दर अर्जित करेगी. कुछ जमाकर्ता समान अवधि के लिए FD ऑटो-रिन्यूअल का विकल्प भी चुनते हैं.
जब ऐसा होता है, तो मौजूदा ब्याज दर पर एक नई FD बुक की जाती है. यदि आप बैंक को ऑटो-रिन्यूअल के लिए निर्देश नहीं देते हैं, तो बैंक द्वारा मौजूदा ब्याज दरों पर FD का रिन्यूअल एक साल के लिए किया जाता है”
उन्होंने एक उदाहरण के साथ समझाया, यदि आपके पास तीन साल की अवधि की FD है और आप उसके मैच्योर होने के बाद बैंक को ऑटो-रिन्यूअल के बारे में बताना भूल जाते हैं, तो बैंक एक वर्ष के कार्यकाल के लिए FD को रिन्यू करेगा.
अगर बैंक ने अपनी ब्याज दरों में कमी की है, तो ऑटो-रिन्यूअल नुकसानदेह साबित हो सकता है. समय से पहले विद्ड्रॉल के मामले में, आपको ब्याज जुर्माना शुल्क भी देना पड़ सकता है.
पिछले नियमों के अनुसार, FD मैच्योरिटी अमाउंट बचत ब्याज दर कमाना शुरू कर देगा. हालांकि, इस महीने की शुरुआत में, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने एक नया नियम पेश किया.
बंधन बैंक के प्रवक्ता ने कहा “रेगुलेटरी गाइडलाइन्स में हालिया संशोधन के अनुसार, फिक्स्ड डिपॉजिट अमाउंट जो ओवरड्यू स्टेट में है.
अब उस अवधि के लिए सेविंग अकाउंट पर लागू ब्याज दर या मैच्योर्ड फिक्स्ड डिपॉजिट के लिए ब्याज की अनुबंधित दर, जो भी कम हो, को आकर्षित करेगा.” कॉरपोरेट FD के मामले में, कुछ कंपनियां मैच्योरिटी निर्देश के अभाव में कंपलसरी रिडीम पर विचार करती हैं.
Fintso के को-फाउंडर और MD राजन पाठक ने कहा “इस मामले में कमाए हुए इंटरेस्ट के साथ प्रिंसिपल, इन्वेस्टर को उसके बैंक अकाउंट में वापस कर दिया जाता है. नियमों के अनुसार, यदि कोई निवेशक मैच्योरिटी के समय अमाउंट को क्लेम नहीं कर रहा है, तो उस स्थिति में बैंक उसी अवधि के लिए एफडी को मौजूदा ब्याज दर के साथ रिन्यू करती है”