ETF में निवेश के लिए अपनाएं ये तरीके, जिंदगी भर आएंगे काम

ETF: SIP के माध्यम से ETF में निवेश करके, आप अपनी ETF परचेज के लिए एक सिस्टेमैटिक अप्रोच अपना सकते हैं.

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एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड (ETF) उनके द्वारा ट्रैक किए गए इंडेक्स को रिप्लिकेट करने की कोशिश करते हैं, क्योंकि उन्हें फंड मैनेजर के इन्वॉल्मेंट की जरूरत नहीं होती है, उन्हें पैसिवली मैनेज्ड फंड कहा जाता है.

एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड (ETF) उनके द्वारा ट्रैक किए गए इंडेक्स को रिप्लिकेट करने की कोशिश करते हैं, क्योंकि उन्हें फंड मैनेजर के इन्वॉल्मेंट की जरूरत नहीं होती है, उन्हें पैसिवली मैनेज्ड फंड कहा जाता है.

म्यूचुअल फंड युवा निवेशकों के लिए मार्केट वोलैटिलिटी का अनुभव करने के साथ-साथ पैसा बढ़ाने का एक बढ़िया तरीका हो सकता है. म्यूचुअल फंड को उनकी क्वालिटी के हिसाब से क्लासीफाई किया जाता है जैसे कि ऑब्जेक्टिव, रिस्क प्रोफाइल और बेंचमार्क. एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड (ETF) म्यूचुअल फंड हैं जिन्हें शेयर मार्केट में ट्रेड किया जा सकता है, जैसे पब्लिक ट्रेडेट कॉर्पोरेशन के शेयर और स्टॉक्स. एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड, या ETF, अक्सर एक अंडरलाइंग इंडेक्स को अपने बेंचमार्क के रूप में ट्रैक करते हैं, जैसे गोल्ड, PSU बैंक, सेंसेक्स या निफ्टी.

फंड मैनेजर का काम कम से कम ट्रैकिंग एरर के साथ अंडरलाइंग इंडेक्स के परफॉर्मेंस के हिसाब से इक्विटी को खरीदना और बेचना है.

एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड (ETF) उनके द्वारा ट्रैक किए गए इंडेक्स को रिप्लिकेट करने की कोशिश करते हैं, क्योंकि उन्हें फंड मैनेजर के इन्वॉल्मेंट की जरूरत नहीं होती है, उन्हें पैसिवली मैनेज्ड फंड कहा जाता है.

ETF का एक फायदा यह है कि मार्केट की ज्यादा समझ न होने पर भी व्यक्ति उन्हें खरीद सकते हैं. ऐसा इसलिए है क्योंकि ETF कंसीडर करने वाले इन्वेस्टर्स को खास रिसर्च करने या इंडस्ट्री या शेयर मार्केट की गहरी समझ रखने की जरूरत नहीं है.

अपने ETF परफॉर्मेंस को ट्रैक करना भी आसान है क्योंकि फंड अपने अंडरलाइंग बेंचमार्क को ट्रैक करता है.

हालांकि, यदि आप एक समझदार इन्वेस्टर बनना चाहते हैं तो हर इन्वेस्टमेंट को स्ट्रेटजी बनाकर किया जाना चाहिए. ETF में इन्वेस्ट करने के लिए इन स्ट्रेटजी पर गौर करें:

लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट स्ट्रेटजी

ये स्ट्रेटजी उन इन्वेस्टर्स के लिए सही है जो लॉन्ग टर्म फाइनेंशियल ऑब्जेक्टिव को पूरा करना चाहते हैं. ETF में लॉन्ग टर्म पोजीशन बनाए रखने से जहां मार्केट इन्फ्लेशन को मात दी जा सकती है वहीं लॉन्ग टर्म कैपिटल एप्रिशिएशन भी मिलता है.

फंडामेंटल इन्वेस्टमेंट स्ट्रेटजी

अपने ETF इन्वेस्टमेंट के लिए फंडामेंटल अप्रोच रखना जरूरी है. इसके लिए एसेट की सावधानी के साथ प्लानिंग करने की जरूरत है.

इसमें यह निर्धारित करना शामिल है कि आपको रेगुलर बेसिस पर कितना डिपॉजिट करना चाहिए, कौन सा ETF फंड शॉर्टलिस्ट करना है, और आपके ETF इन्वेस्टमेंट की अवधि.

डिसिप्लिनरी इन्वेस्टमेंट स्ट्रेटजी

SIP के माध्यम से ETF में इन्वेस्ट करके, आप अपनी ETF परचेज के लिए एक सिस्टमैटिक अप्रोच अपना सकते हैं. आप अपने ETF के लिए सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान में एनरोल करने के लिए अपने डीमैट अकाउंट का इस्तेमाल कर सकते हैं. SIP इन्वेस्टमेंट इलेक्ट्रॉनिक ट्रांजेक्शन है.

सभी इन्वेस्टर्स को अपने बैंक, ब्रोकर, या AMC को इन्फॉर्म करना होता है, और एक पूर्व निर्धारित रकम उनके बैंक अकाउंट से डेबिट की जाती है और हर महीने एक पूर्व निर्धारित तारीख पर उनके ETF फंड में जमा की जाती है.

SIP में आपके एसेट को डिसिप्लिन करने की क्षमता होती है, और आप उनका इस्तेमाल सिस्टेमैटिकली इन्वेस्ट करने के लिए कर सकते हैं.

इंडेक्स-स्पेसिफिक अप्रोच

ज्यादातर ETF फंड निफ्टी 50 या सेंसेक्स के अगेंस्ट बेंचमार्क किए गए हैं. इस तरह, अपने फाइनेंशियल ऑब्जेक्टिव के आधार पर, आप निफ्टी 50, सेंसेक्स या किसी दूसरे स्पेसिफाइड इंडेक्स को ट्रैक करने वाले एक्सचेंज ट्रेडेड फंड के बीच चुन सकते हैं.

ध्यान रखें कि अगर इंडेक्स मार्केट से बेहतर परफॉर्म करता है तो ही आपके ETF फंड को प्रॉफिट कमाने का मौका मिलेगा. इसलिए इन्वेस्ट करने से पहले इसके सभी पहलुओं पर विचार करें और जरूरत हो तो अपने फाइनेंशियल एडवाइजर से सलाह लें.

Published - October 7, 2021, 11:44 IST