ELSS में निवेश करने से पहले जान लें ये जरूरी बातें, जिंदगी भर आएंगी काम

ELSS: बेहतर ELSS म्यूचुअल फंड चुनने से पहले मूल्यांकन करना चाहिए. जैसे फंड का रिटर्न कितना है, उसका एक्स्पेंस रेशियो कितना है.

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पर्सनल फाइनेंस का महत्व बहुत ज्यादा है, क्योंकि यह हमारे भविष्य को तय करता है.

पर्सनल फाइनेंस का महत्व बहुत ज्यादा है, क्योंकि यह हमारे भविष्य को तय करता है.

ELSS: म्यूचुअल फंड में इक्विटी-लिंक्ड सेविंग स्कीम (ELSS) में निवेश करने के बारे में सोच रहे हैं, तो इसके साथ जुड़े कुछ पहलू को अच्छी तरह समझ लेना जरूरी है.

एक्सपर्ट के मुताबिक, अगर आप ELSS में अच्छा रिटर्न कमाना चाहते हैं, तो कम से कम पांच साल तक निवेश करना चाहिए.

मूल्‍यांकन करना चाहिए

बेहतर ELSS म्यूचुअल फंड चुनने से पहले मूल्यांकन करना चाहिए. जैसे फंड का रिटर्न कितना है, उसका एक्स्पेंस रेशियो कितना है, फंड की अब तक की हिस्ट्री कैसी है और दूसरे फाइनेंशियल रेशियो देखने के बाद ही किसी ELSS फंड को पसंद करें.

लॉक-इन पीरियड और दूसरे जोखिम को जान लेने के बाद ही ELSS का चुनाव करें.

फंड रिटर्न

आप जो फंड पसंद करना चाहते हैं उसकी तुलना अन्‍य फंड के साथ करनी चाहिए. आप चेक कर सकते हैं कि पिछले कुछ वर्षों में इन फंड्स ने कितना रिटर्न दिया है.

ये जरूरी नहीं है कि किसी फंड ने पिछले वर्षों में बेहतर रिटर्न दिया है, तो वो भविष्य में भी ऐसा ही रिटर्न देगा क्योंकि भविष्य का रिटर्न पूरी तरह से बाजार की चाल और फंड मैनेजर के फैसलों पर निर्भर करता है.

लॉक-इन पीरियड

ELSS म्यूचुअल फंड में भी दूसरें टैक्स सेविंग निवेश विकल्प की तरह लॉक-इन अवधि होती है. ELSS की लॉक-इन अवधि 3 साल है. आप इस अवधि से पहले पैसे नहीं निकाल सकते है.

फंड हिस्ट्री

ELSS फंड में निवेश करने से पहले ऐसे फंड की पिछले 5 से 10 साल तक की हिस्ट्री चेक करनी चाहिए. ऐसे फंड हाउस चुनें, जिन्होंने 5 साल से 10 साल तक लंबी अवधि में लगातार अच्छा प्रदर्शन किया हो.

एक फंड का प्रदर्शन कैसा रहा है वो उसके पोर्टफोलियो और बेंचमार्क में स्टॉक की गुणवत्ता से पता चल जाता है.

एक्स्पेंस रेशियो

ये सबसे महत्वपूर्ण पहलू है. म्यूचुअल फंड की कई कैटेगरी है, जिसमें ELSS कैटेगरी का एवरेज एक्स्पेंस रेशियो 2.10% के आसपास है.

आपको ऐसा फंड पसंद करना चाहिए, जिसका एक्स्पेंस रेशियो इस एवरेज से कम हो या उससे ज्यादा ऊपर ना हो. आपका कितना निवेश फंड के प्रबंधन में जाता है, ये इस रेशियो से पता चलता है.

कम एक्स्पेंस रेशियो होगा, तो आपको ज्यादा टेक-होम रिटर्न मिलेगा. मान लीजिए, किसी दो फंड का ट्रैक रिकॉर्ड और एसेट अलोकेशन समान वाले हैं, तो आपको कम एक्सपेंस रेशियो वाला फंड चुनना चाहिए.

दूसरे रिस्क की जानकारी

मार्केट में होने वाली गतिविधियों का प्रभाव ELSS फंड पर पड़ता है, क्योंकि ELSS भी दूसरे फंड की तरह इक्विटी-ऑरिएंटेड होते हैं. एक इक्विटी फंड के साथ जितने जोखिम जुड़े हैं, वे सभी का वहन ELSS फंड भी करते है.

इसलिए निवेशकों को अपनी रिस्क-कैपेसिटी के आधार पर ELSS म्यूचुअल फंड में निवेश करना चाहिए और इसके साथ जुडे जोखिमों को स्वीकार करने के लिए तैयार रहना चाहिए.

फाइनेंशियल रेशियो

फंड के प्रदर्शन का विश्लेषण करने के लिए मानक विचलन (Standard Deviation), शार्प अनुपात (Sharpe ratio), सॉर्टिनो अनुपात (Sortino ratio), अल्फा (Alpha) और बीटा (Beta) जैसे विभिन्न मापदंडों पर विचार करें.

जिस फंड का मानक और बीटा ज्यादा होगा वह फंड कम विचलन और बीटा वाले फंड के मुकाबले में ज्यादा जोखिम भरा होता है. आप हाई शार्प रेशियो वाले फंड को चुन सकते हैं क्योंकि वे आपके द्वारा लिए गए अतिरिक्त जोखिम के सामने ज्यादा रिटर्न दे सकते हैं.

Published - July 5, 2021, 06:07 IST