म्यूच्युअल फंड (Mutual Fund) हर तरह के निवेशको के लिए है. अगर आपको लंबे समय मे अच्छा रिटर्न पाना है या शोर्ट टर्म में पैसे कमाना है. यहां सभी लक्ष्यो के लिए विकल्प है. लेकिन जब हमारे सामने ज्यादा विकल्प होते हैं तो हम उलज जाते हैं. हमारे लिए ठीक क्या है ते हम डिसाइड नहीं कर पाते.
इक्विटी म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) को खरीदकर हमेशा के लिए होल्ड करने से हो सकता है कि फायदा न मिले. इन्वेस्टमेंट अडवाइजर्स का कहना है कि इक्विटी स्कीमों के बीच टॉप परफॉर्मर्स और बदतर प्रदर्शन करने वाली स्कीमों के बीच के अंतर को देखते हुए निवेशकों के लिए अपनी होल्डिंग्स की समीक्षा पहले के मुकाबले ज्यादा जल्दी करना अहम बना दिया है.
निवेशकों के लिए हर साल बेस्ट परफॉर्मर की पहचान करना आसान नहीं होता, लेकिन जिस फंड का प्रदर्शन लगातार अच्छा चल रहा हो, वह अलग दिख ही जाता है. इनवेस्टमेंट एडवाइजर्स पोर्टफोलियो की सेहत का मूल्यांकन करने के लिए अलग-अलग अवधियों को पैमाना बनाते हैं. उनमें से कई के लिए तीन साल की अवधि यह देखने के लिए पर्याप्त होती है कि स्कीम से एग्जिट कर जाना है या नहीं.
एक्सपर्ट के अनुसार हर छह महीने या एक साल में अपने पोर्टफोलियो की समीक्षा करनी चाहिए. ऐसा करते हुए उन्हें शार्प, सॉर्टिनो, स्टैंडर्ड डिविएशन जैसे रिस्क रेशियो को देखना चाहिए. म्यूचुअल फंड स्कीमों की तुलना बेंचमार्क और कैटेगरी के रिटर्न से भी करनी चाहिए. सर्टिफाइड फाइनांसियल प्लानर विशाल शाह कहते हैं की पोर्टीफोलियो की समीक्षा आपके गोल पर आधारीत है. साल में एक बार आप पोर्टफोलियो का रिव्यू कर सकते है लेकिन अगर आप रिटायरमेंट के नजदीक है तो ज्यादा रिव्यू की जरुरत नहीं है. अपने पोर्टफोलियो की समीक्षा करते समय आप किसी म्यूचुअल फंड प्लानर या म्यूचुअल फंड एडवाइजर की भी सलाह ले सकते हैं.
निवेश को लेकर बिल्कुल स्पष्टता होनी चाहिए. निवेश का मकसद क्या है, कितने समय के लिए और कितना निवेश करना है. इन सवालों पर अच्छी तरह से सोच विचार कर लेना चाहिए. खासकर आपको कितने समय के लिए निवेश करना है यह सवाल अहम है. क्योंकि अलग-अलग अवधि के निवेश के लिए म्यूचल फंड अलग-अलग होते हैं. छोटी अवधि के निवेश के लिए डेट फंड या लिक्विड फंड चुन सकते हैं. लंबी अवधि के लिए निवेश कर रहे हैं, तो इक्विटी म्यूचुअल फंड बेहतर रहेंगे.
इस बात का आकलन करना जरूरी है कि निवेश करने के लिए आप कितना जोखिम ले सकते हैं. अधिक रिटर्न के लिए ज्यादा जोखिम लेना पड़ता है. निवेश में सिर्फ रिटर्न ही नहीं आपकी पूंजी की भी सुरक्षा होनी चाहिए. इसलिए इस तरह के फंड आपको चुनने होंगे जिनमें रिटर्न और रिस्क में संतुलन रहे.
फंड हाउस कितने समय से काम कर रहा है, उसकी दूसरी स्कीमों का परफॉर्मेंस कैसा रहा है , कंपनी की साख बाजार में कैसी है. किसी भी म्यूचुअल फंड कंपनी की वेबसाइट पर ये जानकारियां मिल जाती हैं. सही फंड का चुनाव करते वक्त अलग-अलग फंड्स के पिछले प्रदर्शन का अध्ययन करें इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि किसमें निरंतरता है. इससे आपको अपनी पसंदीदा स्कीम और म्युचुअल फंड चुनने में मदद मिलेगी.