Taxation in Exchange Traded Funds: आप एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ETF) में निवेश करने के बारे में सोच रहे हैं, तो आपको इसके साथ जुडे़ टैक्स के नियमों को भी समझ लेना चाहिए. आप गोल्ड ETF, इंडेक्स ETF, बॉन्ड ETF, करेंसी ETF, सेक्टर ETF आदि में निवेश कर सकते हैं. ETF दो तरीके के होते हैं, इक्विटी ETF और नॉन-इक्विटी ETF. इन्हें होल्डिंग अवधि के अनुसार भी वर्गीकृत किया जाता है और इन दोनों पर भी दूसरे इन्वेस्टमेंट एसेट की तरह टैक्स लागू होता है.
म्यूच्युअल फंड स्कीम्स के यूनिट का व्यापार शेयर बाजार पर होता है तो ऐसे फंड को एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ETF) कहा जाता है. ऐसे फंड की यूनिट्स शेयर बाजार पर लिस्ट होती हैं, फिर इन्हें वहां से खरीदा और बेचा जा सकता है. अधिकतम ETF इक्विटी-ओरिएंटेडे हैं और इनका न्यूनतम 65% फंड लिस्टेड इक्विटी शेयर्स में निवेश होता है. ऐसे ETF बैंक निफ्टी, निफ्टी50, मिड-कैप इंडेक्स इत्यादि इंडेक्स का प्रतिनिधित्व करते हैं.
ETFs पर सिक्योरिटीज ट्रांजेक्शन टैक्स (STT) लगता है. इक्विटी-ओरिएंटेड और नॉन-इक्विटी ETFs को होल्डिंग पीरियड के आधार पर भी वर्गीकृत किया जाता है और लॉन्ग टर्म एवं शॉर्ट टर्म गेन होने पर टैक्स लगता है.
इक्विटी ETF में लॉन्ग टर्म केपिटल गेन होने पर फ्लैट रेट से टैक्स चुकाना पड़ता है, वहीं नॉन-इक्विटी ETF में 10-20 फीसदी के रेट से टैक्स लगता है. इक्विटी ETF शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन पर 15 फीसदी के रेट से टैक्स लगता है.
इक्विटी-ओरिएंटेड स्कीम्स इंडेक्स ETFs और इक्विटी ETFs हैं. इसमें शॉर्ट-टर्म (365 दिन से कम टाइम) कैपिटल गेन होता है तो 15% टैक्स और 4% सेस लगता है. यदि एक साल से ज्यादा वक्त तक यूनिट रखने पर कैपिटल गेन होता है तो 10% टैक्स (इंडेक्सेशन बेनिफिट के बिना) लगता है. यदि लॉन्ग टर्म में होने वाला कैपिटल गेन 1 लाख रुपये तक है तो उस पर टैक्स नहीं लगता.
गोल्ड ETFs, भारत बॉन्ड ETFs, डेट ETFs और इंटरनेशनल ETFs को नॉन-इक्विटी ETFs कैटेगरी में रखा गया है. इसमें तीन साल से कम समय तक निवेश बनाए रखने पर निवेशक को इसके मुनाफे पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेंस टैक्स देना पड़ता है. टैक्स की दर निवेशक के टैक्स स्लैब के अनुसार होती है. तीन साल से ज्यादा वक्त तक फंड में निवेश बनाए रखने पर निवेशक को इंडेक्सेशन का फायदा मिलता है. इसकी वजह यह है कि इसे लॉन्ग टर्म कैपिटल गेइन माना जाता है. बिना इंडेक्सेशन के 10% या इंडेक्सेशन बेनिफिट्स के साथ 20% टैक्स लगता है.
आप मुनाफे की अमाउंट का उपयोग दो साल में रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी खरीदने के लिए करते है तो लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन पर टैक्स में छूट मांग सकते हैं. ऐसी एसेट को बेचने से होने वाले मुनाफे से तीन साल के अंदर रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी का निर्माण करवाते हैं तो भी टैक्स छूट का दावा कर सकते हैं. अगर आपने लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन होने के एक साल पहले घर खरीद लिया है तो भी आप टैक्स में छूट का दावा कर सकते हैं.