Dhanteras Business: दिवाली के पहले बाजारों में धनतेरस की सकारात्मक शुरुआत हो चुकी है. कोविड महामारी की मार से गुजरा सोने-चांदी का बाजार अब उबरता नजर आ रहा है, इसकी शुरुआत धनतेरस और पुष्य नक्षत्र में हुई जोरदार बिक्री से हो गई है. इस धनतेरस 15 टन सोने के आभूषण और सिक्कों की बिक्री हुई यानी देशभर में लगभग 7500 करोड़ रुपए का सराफा कारोबार हुआ है.
लाइव मिंट की खबर के मुताबिक कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT- Confederation of All India Traders) की ओर से जारी बयान के अनुसार आभूषण उद्योग महामारी की वजह से आई मंदी से उबरा है.
धनतेरस पर इस बार देशभर में लगभग 7500 करोड़ रुपए की बिक्री हुई है. लगभग 15 टन सोने के आभूषण बिके.
कैट (CAIT) के अध्यक्ष बी.सी भरतिया और महासचिव प्रवीण खंडेलवाल ने कहा कि धनतेरस का भारत में काफी धार्मिक महत्व है और इस वजह से इस दिन ज्वेलरी की काफी बिक्री हुई.
आगे भी सोने की ज्वेलरी की बिक्री में बढ़ोतरी की संभावना है क्योंकि नवंबर मध्य से शादियों का लग्न शुरू हो रहा है.
धनतेरस पर देश के सराफा बाजार में कहां कितनी बिक्री हुई (अनुमानित आंकड़े करोड़ में)
ऑटोमोबाइल सेक्टर के लिए खास नहीं रही धनतेरस
फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन (फाडा) के अध्यक्ष विंकेश गुलाटी ने कहा कि त्योहारी सीजन के बाद भी वाहनों की बिक्री फीकी रही.
उम्मीद थी की कोरोना के बाद त्योहारी सीजन वाहन बिक्री के लिए बेहतर होगा लेकिन रफ्तार धीमी रही. बाजार में मांग बनी हुई लेकिन इसका उत्पादन और आपूर्ति नहीं हो पा रही है.
इसका सबसे बड़ा कारण है चिप संकट. ग्रामीण क्षेत्रों की बात करें तो कोरोना से ग्रसित परिवार ईंधन की कीमतों में वृद्धि के चलते अभी दो पहिया और चार पहिया वाहनों से दूरी बनाए हुए हैं.
वे आगे आने वाले आपातकालीन संकट के लिए बचत कर रहे हैं और यही कारण है कि यहां भी वाहनों की बिक्री में गिरावट आई है. धनतेरस पर टू व्हीलर्स और फोर व्हीलर्स की बिक्री पिछले साल की अपेक्षा 30% कम रही.
प्रीमियम सेगमेंट के उत्पादों में 20 फीसदी की बढ़ोतरी
कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स एंड एप्लायंसेज मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (सीईएएमए) के अध्यक्ष एरिक ब्रैगेंजा ने कहा कि अब तक बिक्री अच्छी रही और आने वाले दिनों में और सुधार की उम्मीद है. हालांकि पिछले साल जैसा उत्साह नहीं दिख रहा है.
शहरी क्षेत्रों की अपेक्षा ग्रामीण क्षेत्रों में मांग कम देखी गई. इसका एक कारण यह भी हो सकता है कि यहां अभी भी लोग कोरोना की दूसरी लहर के प्रभाव से उबर नहीं पा रहे हैं.
कंज्यूमर एप्लायंसेज के लो-फ्रिल वेरिएंट्स की मांग पर बड़ा असर पड़ा है, जबकि प्रीमियम सेगमेंट के उत्पादों में साल दर साल 20 फीसदी की बढ़ोतरी देखी जा रही है.