Credit Rating: क्या होती है क्रेडिट रेटिंग, इनवेस्टर के लिए इसे समझना क्यों है जरूरी

Credit Rating: निवेशक को केवल अच्छी क्रेडिट रेटिंग वाले प्रोडक्ट में ही निवेश करने पर ही फोकस रखना चाहिए, फिर भले थोड़ा कम रिटर्न मिले.

don't take cibil score lightly, keep these things in mind

Credit Rating: किसी बॉन्ड इश्यू में निवेश करना हो तो एक्सपर्ट हमें उसकी क्रेडिट रेटिंग (Credit Rating) जांचने की सलाह देते है. हमे बताया जाता है कि अच्छी क्रेडिट रेटिंग (Credit Rating) वाले बॉन्ड या डिबेंचर में ही निवेश करना चाहिए. जब निवेशक किसी बॉन्ड की क्रेडिट रेटिंग चेक करते है तो AAA, BB, AA- या BB+ जैसी रेटिंग दिखती है. इस रेटिंग से क्या पता चलता है और इसका कितना महत्व है ये समझना जरूरी है.

क्रेडिट रेटिंग क्या है?

जैसे किसी व्यक्ति का क्रेडिट स्कोर होता है, ठीक वैसे ही फाइनेंस से जुड़ी प्रोडक्ट का क्रेडिट रेटिंग (Credit Rating) होता है. हमारा क्रेडिट स्कोर कम हो तो लोन मिलने में मुश्किलें आती हैं और अच्छा स्कोर हो तो आसानी से लोन मिल जाती है, ठीक वैसे ही अच्छे क्रेडिट रेटिंग (Credit Rating) वाली प्रोडक्ट को आसानी से इनवेस्टर मिल जाते हैं. क्रेडिट रेटिंग (Credit Rating) और कुछ नहीं बल्कि उधारकर्ता की साख का आकलन है, इससे किसी विशेष ऋण या वित्तीय दायित्व के संबंध में देखा जाता है.

किसे मिलती है क्रेडिट रेटिंग?

जो संस्था पैसे उधार लेना चाहती है उसे क्रेडिट रेटिंग दिया जाता है. यह रेटिंग किसी कंपनी, निगम, राज्य या प्रांतीय प्राधिकरण, या सरकार या देश, किसी कंपनी के बॉन्ड या डिबेंचर इत्यादि को दिया जाता है. इस रेटिंग से किसी भी फाइनेंशियल प्रोडक्ट या कंपनी या देश की आर्थिक हालत कितनी अच्छी या बुरी है यह पता चलता है.

क्रेडिट रेटिंग कौन देता है?

यह रेटिंग देने का काम क्रेडिट रेटिंग (Credit Rating) एजेंसी (CRA) करती है. ऋण लेने वाला ऋण का भुगतान करने की कितनी क्षमता रखता है और मूलधन एवं ब्याज वक्त पर चुकाने में उसके डिफॉल्ट होने की कितनी संभावना है यह पता लगाने का काम CRA करती है. भारत की 6 क्रेडिट रेटिंग (Credit Rating) एजेंसी (CRISIL, ICRA, CARE, SMERA, Fitch India और Brickwork Ratings) को SEBI के तहत रजिस्टर्ड किया गया है.

कितने प्रकार की होती है क्रेडिट रेटिंग?

क्रेडिट रेटिंग एजंसी विभिन्न प्रकार के क्रेडिट रेटिंग देती है, जिसमें बैंक लोन क्रेडिट रेटिंग, कॉर्पोरेट लोन रेटिंग, कॉर्पोरेट गवर्नेंस रेटिंग, फाइनेंशियल सेक्टर रेटिंग, इशुअर रेटिंग, इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर रेटिंग, बीमा सेक्टर की रेटिंग, म्यूचुअल फंड रेटिंग, पब्लिक फाइनेंस रेटिंग, प्रोजेक्ट फाइनेंस रेटिंग, स्ट्रक्चर फाइनेंस रेटिंग, एसएमई रेटिंग इत्यादि शामिल है.

क्रेडिट रेटिंग

मतलब

AAA, AA, A

अच्छी क्रेडिट रेटिंग और कम जोखिम

BBB, BB

औसत क्रेडिट रेटिंग और मध्यम क्रेडिट जोखिम

और C

खराब क्रेडिट रेटिंग और ज्यादा जोखिम

D

डिफॉल्टेड

एक्सपर्ट क्या कहते हैं?
एक्सपर्ट के मुताबिक, IL&FS और DHFL के किस्से के बाद सेबी ने क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों से पेनाल्टी वसूली थी क्योंकि एजेंसियों ने इन कंपनियों के डिफॉल्टेड प्रोडक्ट्स को भी अच्छी रेटिंग दी थी.

उसके बाद सेबी ने नए दिशानिर्देश जारी किए थे. सेबी-रजिस्टर्ड इनवेस्टमेंट एडवाइजर सुधीर दलाल बताते हैं कि निवेशकों को फाइनेंस से जुड़े किसी भी प्रोडक्ट में निवेश करने से पहले उसकी क्रेडिट रेटिंग (Credit Rating) जरूर चेक करनी चाहिए. केवल अच्छी क्रेडिट रेटिंग (Credit Rating) वाली प्रोडक्ट में ही निवेश करने का आग्रह रखना चाहिए, फिर भले थोड़ा कम रिटर्न मिले. किसी भी कंपनी के इश्यू में निवेश करने से पहले वह कंपनी के प्रमोटर और पेरेंट ग्रुप की साख कैसी है उसकी भी जांच करनी चाहिए.

Published - July 13, 2021, 04:22 IST