Covered Bond: इसमें किसे निवेश करना चाहिए? जानें इसके बारे में सबकुछ

Covered Bond: कवर्ड बॉन्ड में निवेशकों को डबल प्रोटेक्शन मिलता है. यानि आपके निवेश को सुरक्षा के दो लेयर से कवर किया जाता है

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पर्सनल फाइनेंस का महत्व बहुत ज्यादा है, क्योंकि यह हमारे भविष्य को तय करता है.

पर्सनल फाइनेंस का महत्व बहुत ज्यादा है, क्योंकि यह हमारे भविष्य को तय करता है.

Covered Bond: बॉन्ड बाजार में आपने गवर्मेंट बॉन्ड, प्राइवेट बॉन्ड, सिक्योर्ड बॉन्ड, अनसिक्योर्ड बॉन्ड, टैक्स–फ्री बॉन्ड आदि के बारे में सुना ही होगा, लेकिन आज हम बात करेंगे कवर्ड बॉन्ड (Covered Bond) की और जानेंगे इसमें किसे निवेश करना चाहिए.

कवर्ड बॉन्ड क्या हैः

कवर्ड बॉन्ड को समझने के लिए सबसे पहले हमें ये जानना जरूरी है कि बॉन्ड क्या है. किसी कंपनी को पैसों की जरूरत होती है, तो वह बॉन्ड इश्यू करके निवेशकों से पैसे जुटाती है, जिसे हम कॉर्पोरेट बॉन्ड कहते हैं.

ठीक वैसे ही सरकार आय और खर्च के अंतर को पूरा करने के लिए बॉन्ड के जरिए कर्ज लेती है, ऐसे बॉन्ड को गवर्नमेंट बॉन्ड कहते हैं.

वहीं, कवर्ड बॉन्ड में निवेशकों को डबल प्रोटेक्शन मिलता है. यानि आपके निवेश को सुरक्षा के दो लेयर से कवर किया जाता है, इसलिए इसे कवर्ड बॉन्ड कहते हैं. फाइनेंस की भाषा में इसे ‘लेयर्ड रीफाइनेंसिंग इन्स्ट्रूमेंट’ कहा जाता है.

उदाहरणः

एक NBFC को पैसों की जरूरत है और वो बॉन्ड इश्यू करके पैसे इकट्ठा करना चाहती है. इस बॉन्ड के बदले में वो फिक्स्ड रिटर्न का वादा करती है और 1.25 गुना ज्यादा अमाउंट की सिक्‍योरिटी देती है.

इस सिक्योरिटी को SPV में रखा जाता है, जो एक ट्रस्ट है और उसके ट्रस्टी सेबी में रजिस्टर्ड है. मान लीजिए, NBFC डिफॉल्ट हो जाती है, तो ये ट्रस्टी सिक्योरिटी के तौर पर रखी गई लोन से निवेशकों को पैसा चुकाते हैं.

यानि आपके पैसे डूबने के चांस कम हो जाते हैं, क्योंकि सिक्योरिटी को एक SPV में रखा गया था.

सिक्योर्ड बॉन्ड से कैसे अलग है कवर्ड बॉन्ड?

सिक्योर्ड बॉन्ड के मुकाबले कवर्ड बॉन्ड में दिवालियापन से बचाने का इंतजाम किया गया है. हमारे सामने DHFL, IL&FS, फ्रैंकलिन जैसे ताजा उदाहरण हैं, जिसके निवेशकों को आज भी पैसा नहीं मिला है.

क्योंकि सिक्योर्ड बॉन्ड में सबसे पहले सरकार (टैक्स) का पैसा चुकाया जाता है, उसके बाद वेंडर्स औऱ दूसरे बड़े इंवेस्टर की बारी आती है और छोटे निवेशकों को अंत में पैसा चुकाया जाता है.

कवर्ड बॉन्ड में रिटेल निवेशकों को सबसे पहले पैसे चुकाए जाते हैं, क्योंकि इनके पैसे की जिम्मेदारी SPV के पास होती है.

कवर्ड बॉन्ड में कौन निवेश कर सकता है?

जीरोधा समर्थित विंट वेल्थ अलग-अलग कवर्ड बॉन्ड इश्यू करती है, जिसमें 18 महीने के निवेश पर 11% तक का फिक्स्ड रिटर्न ऑफऱ किया जाता है. इसमें केवल 10,000 रुपये से निवेश कर सकते हैं, इसलिए रिटेल निवेशकों में इसका आकर्षण बढ़ रहा है. कंपनी ने अब तक जितने भी कवर्ड बॉन्ड इश्यू किए हैं, वो कुछ दिनों में ही 100% सब्सक्राइब हो गए हैं.

एक्सपर्ट की रायः

बैंक FD के 6% और डेट म्यूच्युअल फंड के 7-8% रिटर्न के मुकाबले कवर्ड बॉन्ड में ज्यादा रिटर्न मिलता है. 10,000 से भी शुरुआत कर सकते है.

सेबी-रजिस्टर्ड इंवेस्टमेंट एडवाइजर समीर शाह बताते हैं, “यदि आप 12 महिने से ज्यादा वक्त के लिए कवर्ड बॉन्ड में निवेश रखते हैं तो 10% टैक्स चुकाना होगा और 12 महीने से कम अवधि तक निवेश करने पर आपके इनकम टैक्स स्लेब के हिसाब से टैक्स चुकाना होगा.

यानि टैक्स के हिसाब से ये अच्छा विकल्प है, लेकिन इसमें लिक्विडिटी का रिस्क है, क्योंकि 18 महीने की अवधि से पहले बॉन्ड बेचना चाहते हैं, तो खरीदार के बिना नहीं बेच पाएंगे.”

शाह के मुताबिक, ऐसे बॉन्ड में निवेश करना चाहते हैं, तो भी ज्यादा एलोकेशन नहीं करना चाहिए. मार्केट में अभी ज्यादा कंपीटिशन नहीं है, केवल कुछ कंपनियों ने ऐसे प्रोडक्ट लांच किए हैं. इसलिए जल्दबाजी न करें.

Published - June 22, 2021, 06:26 IST