Corporate Bond Funds में निवेश करते समय क्रेडिट रेटिंग पर ध्यान दें

जब कोई कंपनी पैसा जुटाना चाहती है, तो वो मार्केट में बॉन्ड जारी करती है. इन बॉन्ड्स को आगे क्रेडिट रेटिंग दी जाती है

Corporate bond fund, Corporate bond, Investment, Investment tips

एक आम निवेशक अब बॉन्ड-बाइंग विंडो के जरिए बॉन्ड खरीद और बेच सकता है.

एक आम निवेशक अब बॉन्ड-बाइंग विंडो के जरिए बॉन्ड खरीद और बेच सकता है.

Corporate Bond Funds: क्रिसिल की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय कॉरपोरेट बॉन्ड मार्केट 2025 तक दोगुना हो सकता है. लेकिन सच्चाई यह है कि भारतीय बॉन्ड मार्केट अभी शुरुआती दौर में है. हालांकि, पिछले कुछ सालों में सरकार और सेबी के लगातार कोशिशों से कॉरपोरेट बॉन्ड मार्केट को आगे बढ़ने में मदद मिली है. हाल ही में आरबीआई के घोषित रिटेल डायरेक्ट गिल्ट (RDG) अकाउंट के साथ एक आम निवेशक अब बॉन्ड-बाइंग विंडो के जरिए से बांड खरीद और बेच सकता है. ये दिखाता है कि भारत में बॉन्ड मार्केट विकसित हो रहा है.

कम जोखिम वाले निवेशकों या कम जोखिम वाले निवेश विकल्पों की तलाश करने वाले निवेशकों के लिए, कॉरपोरेट बॉन्ड फंड को अन्य फिक्स्ड इनकम वाले प्रोडक्ट के बीच एक अच्छा विकल्प माना जाता है. हाई रेटिंग वाला यह फंड आमतौर पर आर्थिक रूप से मजबूत होता है और इसके लेनदारों को समय पर चुकाने का एक अच्छा मौका होता है. कॉरपोरेट बॉन्ड फंड जो डेट फंड हैं, उन्हें रेगुलेशन के हिसाब से अपने एसेट का कम से कम 80% हाईएस्ट क्रेडिट रेटिंग वाले AAA कॉरपोरेट बॉन्ड में निवेश करना चाहिए.

कोटक महिंद्रा एसेट मैनेजमेंट के डेट फंड मैनेजर अभिषेक बिसेन ने कहा, “मोटे तौर पर, कॉरपोरेट बॉन्ड फंड सिलेक्ट करने के तीन मेन फेक्टर हैं सेफ्टी, लिक्विडिटी और रिटर्न. किसी भी निवेश में, रिस्क और रिटर्न साथ-साथ चलते हैं. इसलिए, रिटर्न एक्सपेक्टेशन इंडिविजुअल इन्वेस्टर के रिस्क प्रोफाइल के अनुसार होना चाहिए.”

एक निवेशक के रूप में कॉरपोरेट बॉन्ड फंड में निवेश करते समय यह समझना जरूरी है कि क्रेडिट रेटिंग क्यों महत्वपूर्ण है. चलिए इस पर एक नज़र डालते हैं:

कॉरपोरेट बॉन्ड फंड एक ओपन-एंडेड डेट फंड है जो मुख्य रूप से हाई रेटिड कॉर्पोरेट डेट में निवेश करता है. दूसरी ओर, कॉरपोरेट बॉन्ड फंड में निवेश करते समय क्रेडिट रेटिंग महत्वपूर्ण होती है.

जैसा कि पहले कहा गया है, भारतीय बांड मार्केट अभी शुरुआती दौर में है. निवेशकों को कंपनी की बॉरोइंग एक्टिविटी की ज्यादा जानकारी नहीं होती है. इसके अलावा, यह कम जानकारी अक्सर उधार लेने वाले संगठन की एक गलत तस्वीर पेश करके मिस गाइड करती है.

इस स्थिति को संभालने के लिए, बॉन्ड को ग्रेड देने के लिए क्रेडिट रेटिंग का कॉन्सेप्ट लाया गया था, ताकि निवेशक कंपनी के बारे में जान सकें.

भारत में बांड और डिबेंचर का वेल्युएशन क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों जैसे क्रिसिल, ICRA और केयर द्वारा किया जाता है.

कॉर्पोरेट बॉन्ड को स्वतंत्र क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों (CRA) द्वारा रेट किया जाता है, जिसे सेबी नियंत्रित करती है. सीधे शब्दों में कहें, बॉन्ड रेटिंग CRA द्वारा एक पर्टिकुलर बॉन्ड को असाइन किया ग्रेड है जो इसकी क्रेडिट क्वालिटी को इंडिकेट करता है.

बिसेन ने समझाया, “CRA रेटिंग देते समय कंपनी के क्रेडिट प्रोफाइल को ध्यान में रखते हैं, जो मुख्य रूप से फाइनेंशियल हेल्थ और फ्लेक्सिबिलिटी है. कुछ अन्य फैक्टर्स जो क्रेडिट प्रोफाइल का आकलन करते हैं, वो हैं – इंडस्ट्री रिस्क असेसमेंट, बिजनेस रिस्क एनालिसिस, फाइनेंशियल फ्लेक्सिबिलिटी, मैनेजमेंट असेसमेंट, और इश्यूअर का पेरेंटेज. एक अंडरलाइंग बांड के लिए बांड स्पेसिफिक असेसमेंट भी हो सकता है जैसे – सिक्योरिटी / गारंटी, शर्तें, आदि.”

जब कोई कंपनी पैसा जुटाना चाहती है, तो वो मार्केट में बॉन्ड जारी करती है. इन बांडों को आगे AAA रेटेड (ज्यादा स्टेबल) से D (जंक बांड) की क्रेडिट रेटिंग दी जाती है.

आपका कॉरपोरेट बॉन्ड फंड मैनेजर बॉन्ड की क्रेडिट रेटिंग को वेरीफाई करेगा और केवल AAA -रेटेड सिक्योरिटीज में निवेश करेगा. सेबी के अनुसार, कॉरपोरेट बॉन्ड फंडों को AAA -रेटेड डेट में कम से कम 80% निवेश करना चाहिए.

बिसेन ने कहा,”निवेशकों को बॉन्ड फंड में निवेश के लिए निवेश अवधि पर भी ध्यान देने की जरूरत है क्योंकि बॉन्ड फंड की डिफरेंट कैटेगरी निवेश के डिफरेंट टाइम फ्रेम को सूट करती हैं. एक निवेशक को बॉन्ड फंड में क्रेडिट और इंटरेस्ट रेट रिस्क के बारे में पता होना चाहिए और निवेशक की जोखिम क्षमता के अनुसार निवेश करना चाहिए.”

Published - August 5, 2021, 09:44 IST