Conservative investment: कंजर्वेटिव इनवेस्टमेंट एक स्ट्रैटेजिक इनवेस्टमेंट है जहां मार्केट रिटर्न या ग्रोथ के मुकाबले पूंजी की सुरक्षा को ज्यादा अहमियत दी जाती है.
इसमें इनवेस्टमेंट पोर्टफोलियो वैल्यू को बचाने के लिए कम जोखिम वाले ऑप्शंस में निवेश किया जाता है. इनमें फिक्स्ड इनकम सिक्योरिटीज (Fixed Income Securities), ब्लू-चिप स्टॉक्स (blue-chip stocks), कैश या कैश इक्विवैलेंट्स और मनी मार्केट्स शामिल होते हैं.
जिस प्रक्रिया से हम अपने इनवेस्टमेंट को बॉन्ड्स, मनी मार्केट सिक्योरिटीज, स्टॉक्स, या कैश जैसे एसेट्स में बांटते हैं उसे हम एसेट एलोकेशन (asset allocation) कहते हैं.
कोई कंजर्वेटिव इनवेस्टमेंट 100% जोखिम मुक्त नहीं है
हमें हमेशा ये बात दिमाग में रखनी चाहिए कि कोई भी ऐसा कंजर्वेटिव इनवेस्टमेंट नहीं है जो कि 100 फीसदी रिस्क-फ्री हो. अर्थव्यवस्था और मार्केट्स में हो रहे उतार-चढ़ाव इसकी वजह हैं.
ऐसे में इस साल हमें काफी सोच-समझकर निवेश का फैसला लेना चाहिए और अपने लॉन्ग और शॉर्ट-टर्म गोल्स पर नजर रखनी चाहिए.
इन सभी फैक्टर्स को देखने के बाद कंजर्वेटिव इनवेस्टमेंट (conservation investment) मोड को चुनना ज्यादा बड़ी चुनौती नहीं रह जाती है. इससे हमें अपने निवेश को सही दिशा में ले जाने में मदद मिलती है.
सेविंग्स बॉन्ड
तमाम लोग फिक्स्ड इनकम (Fixed Income) में दिलचस्पी रखते हैं, ऐसे लोगों के लिए कंजर्वेटिव इनवेस्टमेंट (conservation investment) में सेविंग बॉन्ड सही विकल्प होता है.
इनमें क्युमुलेटिव और नॉन-क्युमुलेटिव फॉर्म दोनों तरह से निवेश करना आसान होता है. क्युमुलेटिव फॉर्म में इंटरेस्ट बॉन्ड की मैच्योरिटी पर दिया जाता है. दूसरी ओर, नॉन-क्युमुलेटिव में हमें हर छह महीने में बैंक खाते में इसका ब्याज मिलता है.
हाई-यील्ड सेविंग्स अकाउंट
मौजूदा वक्त में ऊंची यील्ड वाले निवेश विकल्पों में सेविंग अकाउंट भी शामिल हैं. इसमें आपको अपने पैसे पर ठीक-ठाक रिटर्न मिलता है और ये पूरी तरह से सुरक्षित भी हैं.
म्यूचुअल फंड्स
म्यूचुअल फंड्स (Mutual Funds) को कंजर्वेटिव इनवेस्टमेंट (conservation investment) में ही माना जा सकता है. लॉन्ग-टर्म निवेश के लिहाज से ये एक अच्छा रिटायरमेंट प्लान साबित होते हैं.
इस मोड में निवेश करने से आपको सस्ते और आसानी से अपने निवेश पोर्टफोलियो को डायवर्सिफाई करने में मदद मिलती है.
कॉरपोरेट बॉन्ड्स
कॉरपोरेट फंड्स हमारी ऐसी पूंजी के लिए सही है जिसकी हमें अगले 3-4 साल तक कोई जरूरत नहीं है. बड़ी कंपनियां इन बॉन्ड्स को जारी करती हैं और ये आमतौर पर स्टॉक्स के मुकाबले कम जोखिम वाले माने जाते हैं.
शॉर्ट टर्म कॉरपोरेट बॉन्ड्स
सरकार की तरह से ही कई कॉरपोरेशंस भी बॉन्ड जारी करके पैसा जुटाते हैं. हालांकि बतौर निवेशक हम जोखिम से बचने के लिए शॉर्ट-टर्म बॉन्ड फंड्स के शेयर ले सकते हैं.
ऐसे में कंजर्वेटिव इनवेस्टमेंट (conservation investment) पोर्टफोलियो से आपको कम रिस्क, लेकिन फिक्स्ड इनकम निवेश में दाखिल होने की सहूलियत मिलती है.
(लेखक अलंकित के मैनेजिंग डायरेक्टर हैं. व्यक्त किए गए विचार निजी हैं.)