इतने सारे म्यूचुअल फंड, कैसे करें चुनाव? इन टिप्स से मिलेगी मदद

ओपेन एंडेड फंड या स्कीम का मतलब है कभी भी जरूरत के हिसाब से यूनिट को खरीद या बेच सकते है. इस तरह की योजनाओं की निश्चित अवधि नहीं होती है.

  • Team Money9
  • Updated Date - August 13, 2021, 07:07 IST
Choose the right mutual funds for short or long term

लिक्विड फंड म्यूचुअल फंड की डेट कैटेगरी में आते हैं. ये स्कीमें बहुत छोटी अवधि के मार्केट इंस्ट्रूमेंट में निवेश करती हैं.

लिक्विड फंड म्यूचुअल फंड की डेट कैटेगरी में आते हैं. ये स्कीमें बहुत छोटी अवधि के मार्केट इंस्ट्रूमेंट में निवेश करती हैं.

म्यूचुअल फंड में निवेश की जब भी बात आती है तो अक्सर नए निवेशक उलझन में पड़ जाते हैं. उनके मन में कई सवाल खड़े हो जाते हैं कि म्यूचुअल फंड में निवेश कैसे किया जाए? ये डायरेक्ट और रेगुलर प्लान क्या होते हैं? जो लोग शेयर बाजार में निवेश के बारे में बहुत नहीं जानते, उनके लिए म्यूचुअल फंड निवेश का अच्छा विकल्प है. निवेशक अपने वित्तीय लक्ष्य के हिसाब से म्यूचुअल फंड स्कीम चुन सकते हैं.

दो तरह के होते हैं म्यूचुअल फंड स्कीम्स

म्यूचुअल फंड स्कीम्स को मुख्य रूप से दो श्रेणियों में रखा जा सकता है- ओपन-एंडेड फंड्स और क्लोज इंडेड फंड्स.

ओपेन एंडेड फंड या स्कीम का मतलब है कभी भी जरूरत के हिसाब से यूनिट को खरीद या बेच सकते है. इस तरह की योजनाओं की निश्चित अवधि नहीं होती है. बाजार में भी क्लोज एंडेड फंड की तुलना में ओपेन एंडेड फंड ज्यादा हैं. जबकी क्लोज एंडेड फंड के यूनिट सिर्फ एनएफओ के तौर पर जारी किए जाते हैं. ये यूनिट एक निश्चित अवधि के लिए होते हैं.

निवेश के लिए मौजूद म्यूचुअल फंड स्कीम्स

इक्विटी या ग्रोथ स्कीम्स:

इक्विटी फंड उन निवेशकों के लिए सही होगा जो लंबी अवधि के लिए पैसा लगाकर लाभ कमाना चाहते हैं. म्यूचुअल फंड की इस स्कीम के तहत आपके पैसे का प्रमुख हिस्सा शेयर में निवेशित किया जाता है. जो लोग ज्यादा जोखिम उठा सकते हैं वो इस तरह के फंड का चुनाव कर सकते हैं.

इक्विटी फंड को तीन श्रेणियों में रखा जा सकता है- सेक्टर स्पेशिफिक फंड्स, इंडेक्स फंड्स और टैक्स सेविंग फंड्स.

सेक्टर स्पेशिफिक फंड्स के पैसे को किसी खास सेक्टर जैसे कि इंफ्रास्ट्रक्चर, बैंकिंग, माइनिंग इत्यादि या स्पेशिफिक सेग्मेंट्स जैसे कि मिड कैप, स्माल कैप या लार्ज कैप में निवेश किया जाता है. इंडेक्स फंड्स की बात करें तो यह ऐसे निवेशकों के लिए बेहतर है जो इक्विटी म्यूचुअल फंड्स में निवेश करना चाहते हैं लेकिन अपने फंड मैनेजर पर निर्भर नहीं रहना चाहते हैं. टैक्स सेविंग फंड्स की बात करें तो यह फंड निवेशकों की पूंजी को इक्विटी में निवेश करता है और 3 साल के लॉक-इन पीरियड वाले इस फंड पर सेक्शन 80सी के तहत टैक्स डिडक्शन का लाभ मिलता है.

मनी मार्केट फंड्स या लिक्विड फंड्स:

लिक्विड फंड म्यूचुअल फंड की डेट कैटेगरी में आते हैं. ये स्कीमें बहुत छोटी अवधि के मार्केट इंस्ट्रूमेंट में निवेश करती हैं. इनमें ट्रेजरी बिल, सरकारी प्रतिभूतियां और कॉल मनी शामिल हैं. लिक्विड फंड सेविंग बैंक अकाउंट के मुकाबले थोड़ा ज्यादा रिटर्न देते हैं.

डेट म्यूचुअल फंड्स:

डेट म्‍यूचुअल फंड फिक्‍स्‍ड इनकम सिक्‍योरिटी में पैसा लगाते हैं. इनमें बॉन्‍ड, गवर्नमेंट सिक्योरिटी, ट्रेजरी बिल और नॉन-कन्वर्टिबल डिबेंचर आदि शामिल हैं.

बैलेंड्स या हाइब्रिड फंड्स:

बैलेंस्ड या हाइब्रिड म्यूचुअल फंड अलग-अलग एसेट क्लास में निवेश करते हैं. इनमें शेयर, डेट इंस्ट्रमेंट्स, गवर्नमेंट और मनी मार्केट इंस्ट्रूमेंट्स शामिल हैं. अगर निवेशक जोखिम न लेना चाहें और बाजार के उतार-चढ़ाव से खुद को सुरक्षित रखना चाहें तो वह इस विकल्प को आजमा सकते हैं.

गिल्ट फंड्स:

ये फंड्स सिर्फ सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश करते हैं. ये ऐसे निवेशकों के लिए बेहतर विकल्प है जिनके रिस्क लेने की क्षमता कम होती है और वे अपनी पूंजी को लेकर अधिक रिस्क नहीं उठाना चाहते हैं. इसमें निवेश पर हाई इंटेरेस्ट रेट रिस्क जुड़ा होता है.

Published - August 13, 2021, 07:07 IST