Investment Strategy: 10 अगस्त, 2007 को रीलिज हुई फिल्म ‘चक दे इंडिया’ भारतीय महिला हॉकी टीम की शानदार जीत की कहानी है. इस फिल्म से यह सुनिश्चित हो जाता है कि कोच और सही टीमवर्क का मिलन हो जाए तो विजय पाने का कठिन रास्ता आसान है. किसी भी तरह का खेल आयोजन हो, इसका गीत “चक दे हो चक दे इंडिया” अवश्य बजाया जाता है. यह एक प्रभावशाली फिल्म है. अगर इंवेस्टमेंट के नज़रिए से देखे तो यह फिल्म इंवेस्टमेंट रणनीति का एक बेहतरीन उदाहरण भी बन सकती है. फिल्म हमें इंवेस्टमेंट की कुछ रणनीतियां सीखाती है, जिसका पालन करने से कोई भी निवेशक अच्छा पोर्टफोलियो बना सकता है और बढिया रिटर्न हासिल कर सकता है. आइए जानते है कैसे.
केवल अच्छे खिलाड़ी से बेहतर टीम नहीं बनती
फिल्म में दिखाया गया है कि भारत के विभिन्न राज्यों के 16 बेहतरीन महिला खिलाड़ी की एक टीम बनाई जाती है, लेकिन खिलाडीयों में मतभेद के कारण टीम दिशाहीन बन जाती है. अच्छे खिलाडीयों के बावजूद भारतीय महिला हॉकी टीम कई मेच हारती है. म्यूचुअल फंड डिस्ट्रिब्यूटर NJ ग्रुप के AVP प्रशांत कक्कड ने मनी9 को बताया, “यदि हम खिलाडी को शेयर/फंड और टीम को पोर्टफोलियो मान लें, तो कह सकते है कि अच्छे शेयर या म्यूचुअल फंड स्कीम खरीद के बैठ जाने से काम पूरा नहीं होता. आपको पोर्टफोलियो में सही बैलेंस बनाए रखना भी जरूरी है, जिसके लिए एसेट अलोकेशन और रिबैलेंसिंग का सहारा लेना आवश्यक है.”
टीम बनाने के लिए ताकत नहीं, नियत चाहिए
फिल्म में कोच कबीर खान (शाहरुख खान) का एक डायलॉग है, “टीम बनाने के लिए ताकत नहीं, नियत चाहिए.” इसको इंवेस्टमेंट रणनीति के नज़रिए से देखे तो, अच्छा पोर्टफोलियो बनाने के लिए आप कितने आक्रामक है, ये जरूरी नहीं है, लेकिन आपकी नियत कैसी है, ये ज्यादा जरूरी है. कई बार निवेशक लालच का शिकार बनते है. आक्रामक रणनीति के जरिए रिटर्न के पीछे भागने में अपना टार्गेट भूल जाते है. कक्कड़ ने कहा, “बेस्ट प्लेयर से विक्ट्री निश्चित नहीं होती, बल्कि नियत सही रखने से विजय प्राप्त होती है, निवेश में भी अच्छे स्टॉक या फंड रखने से सफलता हासिल नहीं कर सकते, आपको सही नियत के साथ बाजार में बने रहना भी जरूरी है.”
कोच का महत्व
फिल्म में दिखाया गया है कि, रास्ता भटकी हुई टीम एक अच्छे कोच के कारण 2002 कॉमनवेल्थ गेम्स जीत जाती है. 2011 में भी हमने देखा कि कोच गैरी क्रस्टन के कारण भारतीय क्रिकेट टीम 28 साल बाद क्रिकेट वर्ल्ड कप जीत गई थी. हाल ही में खत्म हुए टोक्यो ओलिम्पिक में भी भारतीय खिलाडियों ने उनके विजय के लिए अपने कोच की सराहना की थी.
Thank you my coach Vijay Sharma sir and team for all the hardwork. pic.twitter.com/CwBfqOJBws
— Saikhom Mirabai Chanu (@mirabai_chanu) July 24, 2021
इंवेस्टमेंट के सफर में भी कोच यानि रजिस्टर्ड इंवेस्टमेंट एडवाइजर (RIA) को साथ रखने से निवेशक को फायदा होता है. एड्वाइजर आपको अनुशासित तरीके से निवेश करवाने और पेनिक में गलत निर्णय लेने से बचाने में मदद करता है. निवेश में नॉलेज से ज्यादा जरूरी है, आपका व्यवहार और कोच आपको अच्छा व्यवहार सिखाता है. पोर्टफोलियो में बेस्ट स्कीम या शेयर होने के बावजूद कई निवेशक ज्यादा रिटर्न नहीं कमाते हैं, जिसका कारण निवेश के प्रति उनका रवैया होता है.
गलतियां करने से एडवाइजर ही बचाएगा
कक्कड़ ने कहा, “दुनियाभर के शेयर और स्कीम खरीद के आप पोर्टफोलियो तो बना लेते है, लेकिन उसके बाद ही आपको सटीक योजना और रणनीति की जरूरत पडती है, जैसे चक दे इंडिया में कोच कबीर खान हर मेच से पहले एक सटीक रणनीति बनाता है, ठीक वैसे ही आपको अपने पोर्टफोलियो के लिए करना है,” कम गलतियां करेंगे, तो सही रिटर्न मिलेगा और आपको गलती करने से रोक सकता है आपका कोच यानि एडवाइजर. निवेश के सफर में सबसे कम गलती करने वाला ज्यादा सफल होता है और आपको गलती करने से बचाने का काम केवल एडवाइज कर सकता है.
कक्कड मानते है कि लोग दूसरों की नकल करके पैसा कमाना चाहते है, जो गलत है. आपको अपने टार्गेट तय करके उसे हासिल करने के लिए निवेश करना चाहिए. जैसे चक दे फिल्म में कोच टीम को जीतने का टार्गेट दिखाता है और उसे हासिल करने के लिए विभिन्न रणनीति के तहत जीत दिलाता है, ठीक वैसे ही एक एडवाइज आपको आपका टार्गेट तय करने में और उसे हासिल करने के लिए सही रास्ते पर चलने में मदद करता है.