ज्यादातर भारतीय पेरेंट्स के लिए बच्चे की एजुकेशन सबसे महत्वपूर्ण फाइनेंशियल गोल होता है. एक अच्छे इंस्टीट्यूट में एजुकेशन दिलाना उनकी प्राथमिकता होती है और ज्यादातर मामलों में यह काफी महंगी होती है. हालांकि इसके लिए फाइनेंशियल प्लानिंग की जरूरत होती है, जिससे इसके जरिए बच्चे की एजुकेशन के लिए कई सालों में एक अच्छा कॉर्पस क्रिएट किया जा सके. बच्चों की एजुकेशन के लिए सेविंग करते हुए आपको इन गलतियों से बचना चाहिए.
अच्छी एजुकेशन महंगी होती जा रही है. उदाहरण के लिए, IIM जैसे टॉप मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट में 2 साल की टोटल प्रोग्रामिंग फीस लगभग 20 लाख रुपये है. इसमें पर्सनल एक्सपेंस शामिल नहीं है. आपका बच्चा अगर विदेश की किसी अच्छी यूनिवर्सिटी में पढ़ना चाहता है तो उसका खर्चा इससे कई गुना ज्यादा हो सकता है. फीस समय के साथ बढ़ रही है. एजुकेशन इन्फ्लेशन इकोनॉमी में सामान्य इन्फ्लेशन से कहीं ज्यादा है. इसलिए समझदारी से बच्चे की एजुकेशन के लिए तैयारी करें. ये तैयारी जितनी जल्दी शुरू करेंगे उतना आपके लिए आसान होगा.
आपको जितनी जल्दी हो सके एजुकेशन के लिए सेविंग करना शुरू कर देना चाहिए. यह एक ऐसा काम है जो हर गुजरते साल के साथ और अधिक मुश्किल होता जाता है यदि आप इसमें देरी करते हैं. अपने बच्चे के अनाउंसमेंट का इंतजार न करें की वो कौन सा कोर्स करना चाहते हैं. जल्दी सेविंग शुरू करना बेहतर है ताकि भले ही वो समय आने पर हाई कॉस्ट कोर्स करना चाहे आप उसके लिए तैयार होंगे.
कई बार पेरेंट्स इस गोल के बारे में तब सोचते हैं जब बच्चा सीनियर स्कूल में पहुंच जाता है. तब तक पैसा इकट्ठा करने के बहुत कम समय बचता है. ऐसे में कई बार पेरेंट्स दूसरे गोल के लिए सेव किए फंड का इस्तेमाल बच्चे की हायर एजुकेशन के लिए करते हैं. यह ओवरऑल फाइनेंशियल प्लान को नुकसान पहुंचाता है. पर्सनल कॉन्ट्रीब्यूशन जितना कम होगा, लोन अमाउंट उतना ही ज्यादा होगा. इसलिए ऐसा करने से बचें और समय से बच्चे की एजुकेशन के लिए सेविंग करें.
ड्रीम मनी-बैक प्लान या चाइल्ड प्लान खरीदना ही एक अकेला विकल्प नहीं है. इनमें से कई प्लान में लिक्विडिटी फैक्टर कम होता है जिसकी वजह से जरूरत के समय पैसा नहीं मिल पाता. आइडियली इक्विटी फंड, बॉन्ड फंड, बॉन्ड, फिक्स्ड डिपॉजिट और सुकन्या समृद्धि योजना (बेटी के लिए) में निवेश करें ताकि आपके बच्चे की एजुकेशन के लिए कॉर्पस तैयार किया जा सके.
एजुकेशन लोन देने के लिए बैंकों के कुछ सख्त पैरामीटर होते हैं. यह कई चीजों पर निर्भर करता है जैसे आपकी इनकम, जिस कॉलेटरल को आप गिरवी रखने के लिए तैयार हैं, एजुकेशनल इंस्टीट्यूशन और उस कोर्स से जॉब मिलने का चांस जो आपका बच्चा लेना चाहता है. सभी कोर्स के लिए फाइनेंस अवेलेबल नहीं होता है जिसकी वजह से आपको एजुकेशन का पूरा खर्च खुद उठाना पड़ सकता है. आपके पास बच्चे की एजुकेशन के लिए एक अच्छा कॉर्पस होना चाहिए ताकि अगर बैंक द्वारा आपकी लोन एप्लीकेशन रिजेक्ट हो जाती है तो इसकी की वजह से आपके बच्चे का सपना अधूरा न रह जाए.
यदि आपका बच्चा विदेश में पढ़ने के लिए जा रहा है, तो आप फॉरेन एक्सचेंज रिस्क को अनदेखा नहीं कर सकते. भारत में ऐसी कई यूनिवर्सिटीज और इंस्टीट्यूशन हैं जो फॉरन टाइ-अप ऑफर करते हैं और एक स्टूडेंट को ओवरसीज कैंपस में एक या दो सेमेस्टर ऑफर करते है. यदि फॉरेक्स रेट आपके अगेंस्ट जाता है तो यह आपके लिए महंगा साबित हो सकता है. इसलिए फॉरन एक्सचेंज रिस्क से निपटने के लिए आप US फोकस्ड इक्विटी फंडों के माध्यम से ओवरसीज इन्वेस्टमेंट के लिए कुछ पैसे एलोकेट कर सकते हैं.