जीवन बीमा पॉलिसी की किट को देखकर गाजियाबाद के राजू परेशान हैं. पॉलिसी डाक्यूमेंट्स को बार-बार पलट रहे हैं लेकिन कुछ पल्ले नहीं पड़ रहा. दरअसल, बीमा पॉलिसी से जुड़ी शर्तों की भाषा इतनी जटिल होती है कि राजू तो क्या अच्छे खासे पढ़े लिखे लोग भी इसे समझ नहीं पाते.
राजू जैसे हाजारों लोगों की यह समस्या अब दूर होने वाली है. इंश्योरेंस रेगुलेटर इरडा ने इंश्योरेंस कंपनियों के लिए निर्देश जारी किए हैं. इसमें बीमा कंपनियों को किसी पॉलिसी से जुड़ी बुनिया बातों जैसे बीमित राशि, इससे जुड़े नियम और शर्तों, क्या-क्या कवर होगा और क्या नहीं, इस तरह का पूरा ब्योरा सरल भाषा में देना होगा. इसके लिए कस्टमर इनफॉर्मेशन शीट यानी CIS में संशोधन किया गया है. बीमा से जुड़े ये नियम नए साल में यानी 1 जनवरी 2024 से लागू होंगे.
क्यों पड़ी जरूरत?
मार्केट रेगुलेटर इरडा का पुराना नियम है, अगर बीमा खरीदने वाले व्यक्ति प्रपोजल फॉर्म की भाषा या कुछ शर्तों को समझ नहीं पा रहा है तो बीमा कंपनी को उसे स्थानीय भाषा शैली में समझाना होगा. ग्राहक को पॉलिसी के बारे में सही तरह से समझा दिया गया है, इसके लिए एक गवाह से साइन कराए जाते हैं. लेकिन बीमा एजेंट पॉलिसी बेचने के फेर में सिर्फ कोरम पूरा कर लेते हैं. राजू की तरह बड़ी संख्या में लोग पॉलिसी डॉक्यूमेंट्स की वर्डिंग यानी भाषा शैली को नहीं समझ पाते. इस वजह से बीमाधारक क्लेम से भी वंचित रह जा रहे थे. इस बारे में इरडा के पास लंबे समय से शिकायतें आ रही थीं. इन्हें दूर करने के लिए रेगुलेटर ने सीआईएस में संशोधन किया है.
क्या होता है सीआईएस?
बीमा पॉलिसी में कस्टमर इंफॉर्मेशन शीट यानी सीआईएस उस पॉलिसी डॉक्यूमेंट को कहते हैं, जिसमें पॉलिसी से जुड़ी मुख्य बातें विस्तार के साथ दर्ज होती हैं. बीमा कंपनियां ग्राहकों को पॉलिसी खरीदते समय या उसे रीन्यू कराते समय यह शीट मुहैया कराती हैं. आम बोलचाल में इसे पॉलिसी किट भी कहते हैं. यह एक बड़ी बुकलेट जैसी होती है जिसमें काफी जटिल भाषा में नियम और शर्तों को बताया जाता है. इसमें लिखे शब्द बहुत ही छोटे होते हैं जिन्हें पढ़ना और समझ पाना मुश्किल होता है. इरडा की पहल से अब यह समस्या दूर होने वाली है.
क्या होगा फायदा?
इरडा ने अपने आदेश में साफ कहा है कि बीमा कंपनियां, एग्रीगेटर और एजेंट सभी बीमाधारकों को अपडेटेड सीआईएस डिजिटली और फिजकली दोनों तरीके से मुहैया कराएंगे. अगर कोई बीमाधारक हिन्दी और अंग्रेजी भाषा नहीं समझता है उसे उसकी स्थानीय भाषा में भी सीआईएस देना होगा. सीआईसी की भाषा पूरी तरह से पठनीय होगी. बीमा कंपनियों को ग्राहकों से इस बात की हामी के साथ साइन कराने होंगे कि उसे सीआईएस मिल गया है और उसे समझ लिया है.
क्या कहते हैं जानकार?
पर्सनल फाइनेंस एक्सपर्ट जितेन्द्र सोलंकी कहते हैं कि अभी तक बीमा पॉलिसी डॉक्यूमेंट्स की वर्डिंग को समझ पाना हर किसी के लिए आसान नहीं था. इससे पॉलिसीधारकों को कई बार क्लेम लेने में समस्या आती थी. लोगों की इस समस्या को दूर करने के लिए इरडा ने कस्टमर इनफॉरमेशन शीट में बड़ा बदलाव किया है. इस शीट में संक्षेप में पॉलिसी की खूबियों और निमय व शर्तों का ब्योरा दिया जाएगा. इससे लोगों को अपनी बीमा पॉलिसी को समझने और क्लेम लेने में काफी हद तक आसानी हो जाएगी.
राजू जैसे लोगों की समस्या को दूर करने के इरडा ने अच्छी पहल की है.. यह व्यवस्था नए साल में लागू होगी. अगर नई व्यवस्था लागू होने से पहले भी कोई पॉलिसी ले रहे हैं तो चिंतित होने की जरूरत नहीं हैं. बीमा प्रपोजल फॉर्म भरते समय नियम व शर्तों को समझने में परेशानी आ रही है तो बीमा एजेंट से अच्छी तरह से समझ लें.. अगर वह नहीं बता पा रहा है तो फॉर्म पर साइन न करें. यह बीमा कंपनी की जिम्मेदारी है कि वो आपको आपकी भाषा में समझाए.