इंश्योरेंस पॉलिसी को पहले सरेंडर करने पर अब अगले साल से ज्यादा शुल्क नहीं देना पड़ेगा. बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण यानी IRDAI ने इसके लिए प्रस्ताव दिया है. बता दें कि IRDAI की ओर से 12 दिसंबर को जारी एक एक्सपोजर ड्राफ्ट में नॉन-लिंक्ड पॉलिसियों के सरेंडर वैल्यू (Surrender Value) को बढ़ाने के उपायों का प्रस्ताव दिया है. बता दें कि नॉन-लिंक्ड पॉलिसियां या पारंपरिक बीमा योजनाएं शेयर बाज़ार से जुड़ी नहीं हैं. इन पॉलिसी से पॉलिसीहोल्डर्स को एक निर्धारित परिपक्वता राशि और बोनस के साथ कम जोखिम वाला रिटर्न मिलता है.
ड्राफ्ट में इरडा ने प्रत्येक प्रोडक्ट के लिए एक प्रीमियम सीमा का प्रस्ताव दिया है और इस सीमा के ऊपर शेष प्रीमियम पर कोई भी सरेंडर शुल्क नहीं लगाया जाएगा, भले ही पॉलिसी कभी भी सरेंडर की गई हो. इरडा ने हितधारकों से प्रस्तावित नियमों पर 3 जनवरी तक सुझाव मांगे हैं.
जानकारी के मुताबिक अगर कोई पॉलिसीधारक प्रीमियम का भुगतान बंद कर देता है, तो उसके पास पॉलिसी सरेंडर करने का एक विकल्प है. इरडा के प्रस्तावित नियमों का उद्देश्य सरेंडर चार्ज के बोझ को कम करना है, जिससे पॉलिसीधारकों को अपनी पॉलिसियों से बाहर निकलने का अधिक उचित और न्यायसंगत तरीका प्रदान किया जा सके. गौरतलब है कि इंश्योरेंस में गारंटीड सरेंडर वैल्यू (GSV) और स्पेशल सरेंडर वैल्यू (SSV) दो प्रकार के सरेंडर वैल्यू होते हैं. पॉलिसी अवधि खत्म होने से पहले पॉलिसी सरेंडर करने पर पॉलिसीधारक को सरेंडर वैल्यू का भुगतान इंश्योरेंस कंपनी के द्वारा किया जाता है.