Pre-existing illness: पिछले कुछ सालों में लाखों पॉलिसीधारकों के लिए पहले से मौजूद बीमारी विवाद का विषय रही है. ऐसा इसलिए है क्योंकि अक्सर पॉलिसी खरीदते समय हम में से ज्यादातर लोग इन सवालों को समझे बिना नजरअंदाज कर देते हैं. लेकिन, ये इतने मुश्किल भी नहीं हैं यदि आप इसे अच्छी तरह समझते हैं और अपने बीमाकर्ता (इंश्योरर) को पहले से मौजूद अपनी कंडीशन के बारे में एडवांस में बता दें. यहां नीचे इस बारे में जानकारी दी गई है कि आपको अपनी हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी को हमेशा पहले से मौजूद बीमारियों के बारे में क्यों बताना चाहिए.
पहले से मौजूद बीमारी क्या है?
सरल शब्दों में, पूर्व-मौजूदा बीमारी (Pre-existing illness) कोई भी बीमारी है जिसका पॉलिसीधारक को पॉलिसी खरीदने से पहले 48 महीनों के भीतर पता चला था.
इंश्योरेंस रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (IRDAI) के अनुसार, “पहले से मौजूद बीमारी का मतलब किसी भी कंडीशन, बीमारी, या चोट से है जिसका चिकित्सक द्वारा डायग्नोज पॉलिसी की प्रभावी तिथि से 48 महीने के भीतर किया जाता है.”
वेटिंग पीरियड
बीमा कंपनियों के पास पॉलिसी खरीदते समय पहले से मौजूद बीमारियों के लिए दो-चार साल का वेटिंग पीरियड होता है. एक बार यह पीरियड पूरा हो जाने के के बाद, आप पहले से मौजूद बीमारियों से संबंधित क्लेम कर सकेंगे.
पहले से मौजूद बीमारी के बारे में कैसे बताएं?
प्रपोजल फॉर्म भरते समय इसकी जानकारी दें. इंश्योरेंस कंपनी पहले से मौजूद बीमारी के बारे में पूछताछ करने के लिए एक वेरीफिकेशन कॉल भी करती हैं. बिना किसी फैक्ट को छुपाए सभी जानकारियां सही-सही देने की जिम्मेदारी पॉलिसी होल्डर की होती है.
प्रपोजल फॉर्म में स्मोकिंग (धूम्रपान) और शराब पीने से संबंधित सवाल भी शामिल हैं. बेहतर होगा कि आप उनका जवाब देते समय ईमानदार रहें.
पहले से मौजूद बीमारी छिपाना
यदि आप पॉलिसी खरीदते समय पहले से मौजूद बीमारी (Pre-existing illness) को छुपाते हैं तो बीमा कंपनी आपके क्लेम को रिजेक्ट कर सकती है. हालांकि, IRDAI द्वारा जारी की गई नई गाइडलाइनों के तहत, सभी पॉलिसियो में एक मोरटोरियम क्लॉज (moratorium clause) जोड़ा गया है. मोरटोरियम क्लॉज (moratorium clause) के तहत बीमाकर्ता धोखाधड़ी वाले क्लेम को छोड़कर, पॉलिसी में 8 साल बाद के क्लेम रिजेक्ट नहीं कर सकते.
पहले से मौजूद बीमारियों की घोषणा
पहले से मौजूद बीमारियों की घोषणा के बाद, बीमा कंपनी निम्नलिखित कदम उठा सकती है:
ज्यादा प्रीमियम: आम तौर पर, पहले से मौजूद बीमारियों जैसे डायबिटीज और हाइपरटेंशन के लिए, बीमाकर्ता अतिरिक्त प्रीमियम लेते हैं. ऐसा इसलिए है क्योंकि पहले से मौजूद बीमारियों के चलते अस्पताल में भर्ती होने की संभावना बढ़ जाती है.
परमानेंट एक्सक्लूजन (स्थाई बहिष्कार): IRDAI ने हाल ही में बीमा कंपनियों को कुछ बीमारियों को परमानेंट एक्सक्लूजन में शामिल करने की अनुमति दी है जो बीमाकर्ता पहले से कवर करने से इनकार कर रहे थे. लिस्ट में कैंसर, HIV, अल्जाइमर, स्ट्रोक, किडनी डिजीज, लिवर डिजीज, अग्न्याशय रोग (Pancreas ailment), मिर्गी (Epilepsy), हृदय रोग, आंत्र रोग (Bowel disease) और हेपेटाइटिस B शामिल हैं.
पॉलिसी को अस्वीकार करना: यदि बीमा कंपनी को जोखिम का आकलन करने में मुश्किल होती है तो वो प्रपोजल रिजेक्ट भी कर सकती है.