क्यों बढ़ रही है एजेंटों से खरीदी गई जीवन बीमा की अनक्लेम्ड रकम?

पिछले पांच वर्षों में कुल दावा न किए गए धन में भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) का योगदान 90 फीसद से ज्यादा है

क्यों बढ़ रही है एजेंटों से खरीदी गई जीवन बीमा की अनक्लेम्ड रकम?

कई लोग बीमा कराने के बाद राशि का क्लेम नहीं करते हैं या फिर पॉलिसी होल्डर की मौत के बाद उनके परिवारवाले राशि का क्लेम नहीं करते हैं. हालांकि यह पाया गया है कि क्लेम न किए गए बीमा के मामले सबसे ज्यादा एजेंट की ओर बेची गई पॉलिसियों में सामने आए हैं. विश्लेषकों और बीमा कंपनियों के अधिकारियों ने कहा कि जीवन बीमा क्षेत्र में दावा न किए गए धन की संख्या बैंक इंश्योरेंस या डिजिटल प्लेटफॉर्म जैसे चैनलों की तुलना में एजेंटों की तरफ से बेची गई पॉलिसियों से ज्यादा है.

बता दें कि जीवन बीमा की अन्क्लेम्ड पॉलिसी जिसमें पॉलिसीहोल्डर की तरफ से पॉलिसी के प्रीमियम का भुगतान तो किया गया है, पर पॉलिसीहोल्डर या उसके नॉमिनी ने बीमा राशि का क्‍लेम नहीं लिया गया हो शामिल है.

क्या है वजह?

दरअसल एजेंसी चैनलों के मामले में, एजेंट के कंपनी छोड़ने के बाद ग्राहकों से जुड़ना मुश्किल हो जाता है. वहीं बीमा कंपनियां बैंक से इंश्योरेंस लेने वाले ग्राहकों के लिए बैंक डिटेल्स को आसानी से वेरिफाई कर सकती हैं और पैन संख्या के आधार पर बैंक से नया बैंक खाता, कॉन्टेक्ट डिटेल्स और पता भी ले सकती हैं. डिजिटल चैनलों के जरिए ली गई पॉलिसियों में ग्राहक के मोबाइल और ईमेल को अपडेट करने से पेमेंट के दौरान बैंक डिटेल्स हासिल करने के लिए ग्राहकों से तुरंत जुड़ने में मदद मिलती है.

12 महीने पहले करें सपंर्क

हाल ही में, भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण (आईआरडीए) ने अनक्लेम्ड बीमा के लिए मास्टर सर्कुलर में संशोधन जारी किया है. नियामक ने बीमा करने वालों को दावा न की गई राशि की घोषणा करने से पहले ग्राहक से 6 महीने के बजाय 12 महीने पहले संपर्क करने का निर्देश दिया है. नियामक अधिसूचनाओं में ग्राहकों के साथ बातचीत, उनके कॉन्टेक्ट और बैंक डिटेल्स को अपडेट करना और ग्राहक पोर्टल और ऐप जैसे डिजिटल तरीकों को अपनाना और ग्राहकों का पता लगाने के लिए प्रिंट/डिजिटल मीडिया में विज्ञापन शामिल हैं.

वास्तविक डेटा की कमी

बिजनेस स्टैंडर्ड में छपी खबर के मुताबिक पिछले पांच वर्षों में कुल दावा न किए गए धन में भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) का योगदान 90 फीसद से ज्यादा है. साहू ने कहा कि चूंकि एलआईसी अपना ज्यादातर कारोबार एजेंटों के माध्यम से हासि करती है, इसलिए हम अनुमान लगा सकते हैं कि एजेंटों की तरफ से बेची गई पॉलिसियों का कुल दावा न किए गए बीमा फंड का एक बड़ा हिस्सा है. हालाँकि, वितरण चैनल की ओर से दावा न किए गए धन पर वास्तविक डेटा उपलब्ध नहीं है.

वित्त वर्ष 2023 में, जीवन बीमा उद्योग में अनक्लेम्ड बीमा निधि एक साल पहले की अवधि में 4.82 करोड़ रुपये से तेजी से घटकर 2.06 करोड़ रुपये हो गई है.

Published - March 4, 2024, 08:31 IST