अलग-अलग इंश्योरेंस पॉलिसी के लिए क्यों अलग होता है जीएसटी रेट? जानिए कैसे होती है इसकी कैलकुलेशन?

निवेश के हिस्से पर जीएसटी नहीं लगाया जाता है. आइए जानते हैं कि इंश्योरेंस पॉलिसी पर GST का कैलकुलेशन किस आधार पर किया जाता है.

  • Team Money9
  • Updated Date - September 14, 2021, 09:20 IST
Insurance is available for free on buying these four things, it is important for you to know

गैर-कोविड बीमारियों से जुड़े क्लेम में भारी इजाफा देख रही हैं. सितंबर से गैर-कोविड बीमारियों के कारण हॉस्पिटलाइजेशन में बढ़ोतरी हो रही है

गैर-कोविड बीमारियों से जुड़े क्लेम में भारी इजाफा देख रही हैं. सितंबर से गैर-कोविड बीमारियों के कारण हॉस्पिटलाइजेशन में बढ़ोतरी हो रही है

देश में टैक्स व्यवस्था को सुधारने के लिए साल 2017 से जीएसटी टैक्स लागू कर दिया गया था. इससे पहले 15 फीसदी सर्विस टैक्स लगा करता था. संयोग से, सभी बीमा पॉलिसियों (insurance policy) के लिए एक समान जीएसटी दर नहीं है. पॉलिसी के प्रकार और पॉलिसी साल के आधार पर दर और उपचार अलग अलग होते हैं. एक्सपर्ट्स के मुताबिक इसके पीछे का मुख्य कारण इंश्योरेंस पॉलिसी (insurance policy) के नेचर में अंतर और उनके अलग अलग मकसद हैं. इसलिए हर पॉलिसी पर अलग अलग जीएसटी दर लगाई जाती है.

PolicyX.com के फाउंडर और सीईओ नवल गोयल के मुताबिक “जनरल इंश्योरेंस और अन्य इंश्योरेंस उत्पादन पूरी तरह से स्कीम पर आधारित होते हैं, जो इंश्योरेंस कंपनियों द्वारा सेवाओं की पेशकश करती हैं. जो जीएसटी लागत को बढ़ाती हैं. वहीं जब इनवेस्टमेंट आधारित प्रोडक्ट जैसे एंडोमेंट प्लान में इंश्योरेंस कंपनियों की सेवा न्यूनतम होती है, यही कारण है कि लगभग 1/10 जीएसटी कॉस्ट लगाया जाता है. जबकि निवेश के हिस्से पर जीएसटी नहीं लगाया जाता है. आइए जानते हैं कि इंश्योरेंस पॉलिसी पर GST का कैलकुलेशन किस आधार पर किया जाता है.

टर्म इंश्योरेंस

अगर बेसिक टर्म इंश्योरेंस 15 हजार रुपए का है, तो आपको जीएसटी के अतिरिक्त 2700 रुपए अदा करने होंगे. फैक्ट ये है कि टर्म प्लान में प्रीमियम मूल्य एकमात्र रिस्क एलिमेंट है, इस पर जीएसटी कुल प्रीमियम राशि पर 18% की दर से लगाया जाता है. इसी तरह, अगर आप गंभीर बीमारी या पर्सनल एक्सीडेंट राइडर्स जैसे ऐड-ऑन कवर के साथ प्लान को टॉप अप करते हैं तो एक्स्ट्रा प्रीमियम के अलावा, आपको चार्ज किए गए प्रीमियम पर भी जीएसटी देना होगा.

प्रीमियम टर्म प्लान पर रिटर्न (TROP)

TROP टर्म इंश्योरेंस की एक सब-कैटेगरी है, जो पॉलिसीधारक को मैच्योरिटी पर पॉलिसी के जीवित रहने पर चुकाया गया कुल प्रीमियम देता है. टर्म इंश्योरेंस पर 18% GST से अलग, पहले साल में TROP पर 4.5% GST लगाया जाता है और उसके बाद 2.25% GST लगाया जाता है. क्योंकि प्रीमियम वापस कर दिया जाता है, प्योर टर्म प्लान की तुलना में जीएसटी ट्रीटमेंट से अलग है.

यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान

यूलिप जोखिम कवर के साथ वार्षिक प्रीमियम का कम से कम 10 गुना बीमा कवर प्रदान करते हैं. इन पॉलिसियों में, जीएसटी पूरा प्रीमियम पर नहीं लगाया जाता है, बल्कि अलग-अलग चार्ज पर लगाया जाता है – प्रीमियम अलॉकेशन, पॉलिसी एडमिनिस्ट्रेशन, मृत्यु दर और फंड मैनेजमेंट फीर – 18% की दर से लगता है. गोयल ने कहा कि “यूलिप एक प्रोटेक्शन प्लन इनवेस्टमेंट पार्ट है, जहां इंश्योरेंस कंपनी का सर्विसिंग में रोल सबसे कम होता है, इसलिए सर्विस के अनुसार जीएसटी कॉस्ट कम हो जाती है.”

परंपरागत प्लान

परंपरागत पॉलिसियों पर जीएसटी की दर अवधि पर तय करती है. उदाहरण के लिए, पहले साल के लिए 4.5 फीसदी और बाकी सालों पर 2.25 फीसदी की दर से जीएसटी दर लगाई जाती है.

सालाना प्लान

सिंगल प्रीमियम सालाना पॉलिसी पर जीएसटी दर 1.8 फीसदी है.

जनरल इंश्योरेंस

जनरल इंश्योरेंस प्लान को शुद्ध प्रोटेक्शन प्लान माना जाता है, इसलिए इस पर 18 फीसदी जीएसटी लगता है. वर्तमान में हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी पर 18 फीसदी जीएसटी दर मान्य है. ऐसे ही, मोटर इंश्योरेंस पॉलिसी पर दोनों थर्ड पार्टियों और कॉम्प्रेहेन्सिव पर 18 फीसदी जीएसटी लगाया जाता है. राइडर्स लेने पर अलग से 18 फीसदी जीएसटी लगाया जाता है.

इनवेस्टमेंट करने से पहले भुगतान किए गए जीएसटी पर विचार करें क्योंकि यह आपकी पॉलिसी की कुल लागत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि लाइफ इंश्योरेंस प्रीमियम पर लगाई गई जीएसटी की राशि टैक्सपेयर्स के लिए प्रीमियम भुगतान के साल में आयकर कटौती के लिए शामिल है.

Published - September 14, 2021, 09:20 IST