हेल्थ इंश्योरेंस लेना क्यों है जरूरी, जानें इसके 9 फायदे

कई बार व्यक्ति के अचानक बीमार पड़ने पर उसकी बचत का काफी हिस्सा खर्च हो जाता है इसलिए हर व्यक्ति को मेडिक्लेम लेना चाहिए.

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सौजन्य: नेशनल डिजिटल हेल्थ मिशन, आप हेल्थ पॉलिसी खरीदने के बाद कुछ दिनों तक होने वाली बीमारी के इलाज के लिए रकम पाने का दावा नहीं कर सकते.

सौजन्य: नेशनल डिजिटल हेल्थ मिशन, आप हेल्थ पॉलिसी खरीदने के बाद कुछ दिनों तक होने वाली बीमारी के इलाज के लिए रकम पाने का दावा नहीं कर सकते.

क्या आप उन लोगों में शामिल हैं, जो सोचते हैं कि स्वास्थ्य बीमा केवल बूढ़ों और बीमार लोगों के लिए होता है. क्या आपने कभी सोचा है कि अस्पताल के अप्रत्याशित खर्च के बीच कई बीमारियों के लिए बीमा कवर वरदान साबित हो सकता है. दुनियाभर में फैली कोरोना महामारी के कारण भी लोग हेल्थ इंश्योरेंस के बारे में विचार करने लगे हैं. बीमारी घंटी बजाकर दस्तक नहीं देती है. कई बार व्यक्ति के अचानक बीमार पड़ने पर उसकी बचत का काफी हिस्सा खर्च हो जाता है. इसलिए हर व्यक्ति को मेडिक्लेम लेना चाहिए. आइए इसके बारे में ज्यादा जानने की कोशिश करते हैं.

महंगे इलाज को प्रबंधित करने में मदद

बीमारियां बढ़ने के साथ-साथ मेडिकल टेक्नोलॉजी में इनोवेशन और विकास हुआ है. साथ ही चिकित्सा की लागत भी बढ़ी है. मेडिकल खर्च केवल अस्पतालों तक सीमित नहीं है. डॉक्टर के परामर्श, टेस्टिंग, एम्बुलेंस शुल्क, ऑपरेशन थियेटर शुल्क, दवाएं, कमरे का किराया आदि के लिए खर्च भी लगातार बढ़ रहे हैं. यदि आप पर्याप्त रूप से तैयार नहीं हैं तो ये सभी मिलकर आपके बजट पर बड़ा दबाव डाल सकते हैं.

कम प्रीमियम

अगर आप युवा हैं और शारीरिक रूप से फिट हैं तो आपको बहुत मामूली प्रीमियम पर हेल्थ पॉलिसी मिल जाती है. जब आपकी उम्र बढ़ती है तो स्वास्थ्य बिगड़ने का खतरा बना रहता है, उस हिसाब से हेल्थ पॉलिसी का प्रीमियम भी बढ़ता रहता है.

बचत की सुरक्षा

अचानक पैदा हुईं स्वास्थ्य स्थितियां आपकी बचत को खत्म कर सकती हैं. एक उपयुक्त स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी खरीदकर आप अपनी बचत से छेड़छाड़ किए बिना अपने चिकित्सा खर्चों का बेहतर प्रबंधन कर सकते हैं. आपको इलाज के दौरान पैसों की चिंता करने की जरूरत नहीं होती, क्योंकि इंश्योरेंस कंपनियों का विभिन्न हॉस्पिटलों से टाई-अप रहता है. इससे आपको अपना उपचार कराने के लिए कैशलेस सुविधा मिल जाती है.

भर्ती होने से पहले और बाद का कवरेज

इंश्योरेंस पॉलिसी में हॉस्पिटल में भर्ती होने से पहले, उसके दौरान और हॉस्पिटल से छुट्टी होने के 60 दिनों के बाद तक की अवधि को कवर किया जाता है. यह इस बात पर निर्भर करता है कि आपने कौनसा प्लान लिया है. यानी प्लान लेने में सावधानी बरतनी चाहिए.

कोई वेटिंग पीरियड नहीं

अधिकतर हेल्थ पॉलिसी में वेटिंग पीरियड होता है. मतलब आप हेल्थ पॉलिसी खरीदने के बाद कुछ दिनों तक होने वाली बीमारी के इलाज के लिए रकम पाने का दावा नहीं कर सकते. आम तौर पर वेटिंग पीरियड 30 दिनों का होता है. अगर आपने युवावस्था में ही हेल्थ पॉलिसी ले ली तो आपको वेटिंग पीरियड की औपचारिकता पूरी करने की जरूरत नहीं रह जाएगी.

ट्रांसपोर्टेशन खर्च

इंश्योरेंस पॉलिसी में मरीज को हॉस्पिटल तक लाने में एंबुलेंस का जो किराया होता है, वो भी कवर होता है.

नो क्लेम बोनस (एनसीबी)

जिस व्यक्ति का बीमा है, अगर उसने पिछले वर्ष कोई क्लेम फाइल नहीं किया है तो उसे कुछ बोनस प्वाइंट मिलते हैं.

फ्री मेडिकल चेकअप

इंश्योरेंस पॉलिसीज में हेल्थ चेकअप का भी विकल्प होता है. कई बीमा कंपनियां आपके पिछले एनसीबी के आधार पर भी हेल्थ चेकअप की सुविधा उपलब्ध कराती हैं. आपको हेल्थ चेकअप का लाभ उठाना चाहिए, ताकि आप किसी भी गंभीर बीमारी से सुरक्षित भी रह सकें.

Income Tax में बचत

हेल्थ पॉलिसी का प्रीमियम चुकाने पर आपको Income Tax कानून के सेक्शन 80D के तहत 25000 रुपये के प्रीमियम पर इनकम टैक्स बचाने में मदद मिलती है

Published - July 28, 2021, 04:06 IST